स्टेरॉइड क्या है?
स्टेरॉइड दो प्रकार का होता है. प्राकृतिक व कृत्रिम. प्राकृतिक स्टेरॉइड एक प्रकार का हार्मोन है, जो हमारे शरीर की एडे्रनल ग्रन्थियों में स्वाभाविक रूप से बनता है. यह शरीर के अंगों, कोशिकाओं और ग्रन्थियों के विकास व उन्हें सही तरी़के से काम करने में मदद करता है. वहीं कृत्रिम यानी मानव निर्मित स्टेरॉइड एक प्रकार की दवा होती है, जो शरीर में बननेवाले हार्मोन के गुणों से युक्त होती है. इसके दो प्रकार हैं- कोर्टिको स्टेरॉइड और एनाबॉलिक स्टेरॉइड.कोर्टिको स्टेरॉइड्स
लैब में बनाई जानेवाली यह दवा किसी बीमारी या इंफेक्शन के कारण शरीर में होनेवाली सूजन व अन्य लक्षणों को कम करने में मदद करती है. कोर्टिको स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल गठिया बाय, दमा, रैशेज़, एग्ज़िमा, फेफड़ों की श्वासनली में सूजन व म्यूकस के उत्पादन को कम करने व अन्य इंफ्लेमेटरी व ऑटो इम्यून बीमारियों के इलाज के दौरान किया जाता है. यह बीमारी के कारण होनेवाली सूजन, दर्द व स्टिफनेस को नियंत्रित करती है. यह दवा पिल्स, इंहेलर, नेज़ल स्प्रे, लोशन, क्रीम इत्यादि रूपों में उपलब्ध है. कैसे काम करती है? हमारा इम्यून सिस्टम बहुत-से स्पेशलाइज़्ड सेल्स से बना हुआ है. ये सेल्स बहुत तरह के काम करते हैं. इनमें से एक है सूजन पैदा करनेवाले केमिकल्स को शरीर में रिलीज़ करना. सूजन बहुत तरह के इंफेक्शन्स से लड़ने के लिए ज़रूरी है, पर इससे कभी-कभी किसी तरह की एलर्जिक व ऑटोइम्यून बीमारियां भी हो जाती हैं. ऐसे में कोर्टिको स्टेरॉइड्स का सेवन करने से यह दवा इम्यून सिस्टम के अंदर प्रवेश करके सूजन पैदा करनेवाले केमिकल्स के जीन्स को निष्क्रिय कर देती है. इस प्रकार ये एलर्जिक व ऑटोइम्यून बीमारियों को नियंत्रित करने में मदद करती है. कोर्टिको स्टेरॉइड्स के साइड इफेक्ट्सः कोर्टिको स्टेरॉइड्स के साइड इफेक्ट्स इसे ग्रहण करने के तरी़के व अवधि पर निर्भर करते हैं. इंहेल्ड कोर्टिको स्टेरॉइड्सः यानी नेज़ल स्प्रे द्वारा दवा लेना. लंबे समय तक इसके इस्तेमाल से मुंह में फंगल इंफेक्शन होने का ख़तरा रहता है, इसलिए इंहेल्ड कोर्टिको स्टेरॉइड का इस्तेमाल करने के बाद पानी से कुल्ला कर लें. इंजेक्टेड कोर्टिको स्टेरॉइड्सः इंजेक्शन द्वारा मांसपेशियों व जोड़ों में कोर्टिको स्टेरॉइड डालने से इंजेक्ट की हुई जगह पर सूजन व दर्द हो सकता है और लंबे समय तक इंजेक्ट करने से मांसपेशियों के कमज़ोर होने का ख़तरा होता है. नसों में कोर्टिको स्टेरॉइड इंजेक्ट करने से मतली, अनिद्रा, मुंह का स्वाद बदलना, मूड स्विंग्स, वज़न बढ़ना, रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ना और हाइपरटेंशन जैसी समस्याएं होती हैं. ओरल कोर्टिको स्टेरॉइड्सः कम अवधि के लिए भी पिल्स के रूप में इसका सेवन करने से भूख बढ़ना, वज़न बढ़ना, अनिद्रा, मूड स्विंग्स, फ्लूइड रिटेंशन जैसी समस्याएं होती हैं, जबकि लंबे समय तक इनका सेवन करने से हड्डियों का कमज़ोर होना, डायबिटीज़, इंफेक्शन होने का ख़तरा, ग्लूकोमा, मोतियाबिंद, त्वचा का पतला होना व मांसपेशियों का कमज़ोर होना इत्यादि समस्याएं हो सकती हैं. टॉपिकल कोर्टिको स्टेरॉइड्सः एग्ज़िमा इत्यादि त्वचा संबंधी बीमारी होने पर कोर्टिको स्टेरॉइडयुक्त क्रीम लगाने से त्वचा पतली हो सकती है.यह भी पढ़े: समझें सूजन के संकेत (Everything You Need To Know About Swelling)
एनाबॉलिक स्टेरॉइड्स
यह पुरुषों में पाए जानेवाले हार्मोन टेस्टोस्टेरॉन का कृत्रिम रूप है, जो मसल्स को डेवलप करने में मदद करता है. इसे पिल्स के रूप में या इंजेक्शन के द्वारा लिया जाता है. जब शरीर में पर्याप्त मात्रा में टेस्टोस्टेरॉन नहीं बनता या कैंसर, एड्स व अन्य किसी तरह की बीमारी के कारण मसल मास कम हो जाता है, तो डॉक्टर इसे लेने की सलाह देते हैं. एनाबॉलिक का दुरुपयोगः चूंकि इस स्टेरॉइड को ग्रहण करने से मसल्स जल्दी डेवलप होते हैं, इसलिए अधिकतर लोग कम समय में मसल्स डेवलप करने, ख़ासतौर पर एथलीट्स शारीरिक क्षमता बढ़ाने, तेज़ गति से दौड़ने, भारी वज़न उठाने के लिए इस्तेमाल करते हैं. तुरंत फ़ायदा पाने के लिए कुछ लोग इसके बहुत हाई डोज़ेज़ लेते हैं. कुछ तो किसी बीमार के ट्रीटमेंट के लिए डॉक्टर द्वारा दिए जानेवाले डोज़ से सौ गुना अधिक डोज़ लेते हैं. एनाबॉलिक स्टेरॉइड्स के साइड इफेक्ट्स इसके इस्तेमाल से मुंहासे, फ्लूइड रिटेंशन की समस्या हो सकती है. लंबे समय तक इसका प्रयोग करने से पुरुषों मे टेस्टोस्टेरॉन बनना बंद हो सकता है. इसके अलावा इसके सेवन से पुरुषों का टेस्टिकल्स सिकुड़ना, शुक्राणुओं की संख्या कम होना, गंजापन, प्रजनन क्षमता कम होना, स्तनों का आकार बढ़ना इत्यादि समस्याएं होती हैं. जबकि महिलाओं को चेहरे पर बाल, आवाज़ भारी होना, माहवारी संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. किशोरावस्था में स्टेरॉइड्स के अत्यधिक सेवन से हड्डियों व हाइट का विकास रुक सकता है. लॉन्ग टर्म इफेक्ट्सः लंबे समय तक एनाबॉलिक स्टेरॉइड का हाई डोज़ लेने से लिवर, किडनी और दिल के क्षतिग्रस्त होने का ख़तरा बढ़ जाता है. यह स्टेरॉइड शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ा देता है, जिसके कारण हार्ट अटैक व स्ट्रोक का ख़तरा बढ़ जाता है. अन्य समस्याएंः स्टेरॉइड का लंबे समय तक सेवन करने से बहुत-सी साइकोलॉजिकल समस्याएं भी होती हैं. कुछ यूज़र्स बेहद आक्रामक हो जाते हैं. इसके अलावा कुछ लोगों को डर या वहम की समस्या भी होती है. देखा गया है कि जो लोग एनाबॉलिक स्टेरॉइड का सेवन करते हैं, उनके अल्कोहल व कोकीन इत्यादि लेने का ख़तरा भी अधिक होता है.स्टेरॉइड लेना बंद कैसे करें?
अचानक स्टेरॉइड का सेवन बंद करना सही नहीं होता. इससे मूड स्विंग्स, थकान, बेचैनी, मांसपेशियों में दर्द और डिप्रेशन जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं. एनाबॉलिक स्टेरॉइड का सेवन अचानक बंद करने से कामेच्छा पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. अगर आप किसी बीमारी के इलाज के लिए स्टेरॉइड ले रहे हैं, तो दवा नहीं लेने पर बीमारी फिर से बढ़ सकती है. अतः बेहतर होगा कि डॉक्टर की सलाह लेकर धीरे-धीरे स्टेरॉइड के डोज़ेज़ घटाएं. बिना डॉक्टर की सलाह लिए स्टेरॉइड का सेवन रोकना ख़तरनाक हो सकता है. मैक्स सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल, शालीमार बाग के न्यूरोलॉजी के प्रिसिंपल कंसल्टेंट व यूनिट हेड डॉ. मनोज खनल और ग्लोबल हॉस्पिटल, मुंबई की एंडोक्रोनोलॉजिस्ट डॉ. स्नेहा कोठारी के इनपुट्स पर आधारित.- शिल्पी शर्मा
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