क्या करें?
- सबसे पहले आपको ख़ुद यह सोचना होगा कि आप क्या करना चाहती हैं? श्र अपनी प्राथमिकताएं तय करें.
- डबल माइंड में न रहें.श्र आख़िर यह आपकी ज़िंदगी है, तो आपको ही यह निर्णय लेना होगा कि आपको क्या करना है.
- अक्सर लड़कियां या तो ख़ुद यह सोच लेती हैं या फिर उनके परिवार की तरफ़ से उनको यह समझा दिया जाता है कि शादी के बाद देखा जाएगा, फ़िलहाल तो शादी हो जाए, यह ज़रूरी है.
- ऐसे में लड़कियों पर भी दबाव होता है कि वो अपने होनेवाले पति से साफ़-साफ़ बात नहीं कर पातीं, क्योंकि उन्हें ससुरालपक्ष की नाराज़गी का डर रहता है.
- अगर आप करियर ओरिएंटेड हैं और शादी के बाद भी करियर छोड़ना नहीं चाहतीं, तो सबसे बेहतर है कि अपने होनेवाले पति से इस बारे में खुलकर बात करें.
- इससे आपको उनकी सोच व राय का भी अंदाज़ा हो जाएगा.श्र आपके लिए निर्णय लेना भी आसान हो जाएगा कि अब आपको किस चीज़ को प्राथमिकता देनी है.
- आपकी राय भी महत्वपूर्ण है, आपका करियर भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना आपके पति का, इसलिए आपको अपनी बात बिना किसी संकोच के कहने की हिम्मत जुटानी ही होगी.
क्या-क्या पूछें होनेवाले पार्टनर से?
- आपके करियर को कितना महत्व देते हैं?
- शादी के बाद आपके करियर को बढ़ावा देने के लिए उनकी तरफ़ से क्या मदद होगी?
- क्या घरेलू ज़िम्मेदारियों में आपका हाथ बंटाएंगे?श्र घर के कामों में आपकी कितनी मदद करेंगे?
- महिलाओं के प्रति और ख़ासतौर से कामकाजी महिलाओं के प्रति उनकी क्या राय है?
- फैमिली बढ़ने के बाद भी क्या वो आपके करियर को उतना ही महत्वपूर्ण समझेंगे?
- परिवार के लोग यदि नौकरी छोड़ने के लिए कहेंगे, तो वो आपको किस तरह से और किस हद तक सपोर्ट करेंगे?
- बच्चे की ज़िम्मेदारी में किस तरह से आपको सपोर्ट करेंगे... आदि... इत्यादि... ये तमाम सवाल आपको बेझिझक पूछने होंगे, ताकि आगे चलकर आपको अपने करियर को लेकर किसी तरह का समझौता न करना पड़े.
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कितना कॉम्प्रोमाइज़ करें, कितना नहीं?
- बातचीत के बाद आपको स्वयं यह अंदाज़ा हो जाएगा कि आपका होनेवाला पार्टनर आपकी बातों से कितना सहमत है.
- आपको यह भी पता लग जाएगा कि शादी के बाद आपकी क्या चुनौतियां होंगी.
- आपको कितना कॉम्प्रोमाइज़ करना पड़ेगा और आपकी कितनी बातों को समर्थन दिया जाएगा.
- इसी के अनुसार आप अपनी प्राथमिकताएं तय कर सकती हैं. आप प्लानिंग कर सकती हैं कि आपको कितना बदलना है और किस तरह से बदलना है, ताकि आपको करियर से भी समझौता न करना पड़े और परिवार को भी व़क्त दे सकें.
क्या कहते हैं आंकड़े?
- सर्वे बताते हैं कि 48% महिलाएं अपने रियर को बीच में ही छोड़ देती हैं, ताकि वो अपने परिवार को समय दे सकें.
- यदि ये महिलाएं काम करती रहें, तो भारत का जीडीपी 2% तक ऊपर जा सकता है.
- जबकि पूरे एशिया की बात करें, तो 21% महिलाएं अपने करियर को बीच में छोड़ देती हैं.
- इसी तरह से 43% उच्च शिक्षित महिलाएं बच्चों की परवरिश की ख़ातिर कुछ समय के लिए अपना करियर छोड़ देती हैं.
- यही नहीं, विदेशों में भी यह आंकड़ा काफ़ी ज़्यादा है.
कारण क्या है?
- दरअसल, महिलाएं परिवार के प्रति अधिक ज़िम्मेदारी महसूस करती हैं.
- न स़िर्फ ज़िम्मेदारी, विशेषज्ञ बताते हैं कि उनमें अपराधबोध की भावना भी पुरुषों के मुक़ाबले अधिक होती है.
- उन्हें लगता है कि बच्चों और परिवार को उनकी अधिक ज़रूरत है.
- परिवार को समय न दे पाने की चिंता व गिल्ट उन्हें अधिक होता है.
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बदलाव ही रास्ता है...
- बदलाव हो रहा है. लड़कियों की सोच भी बदल रही है और वो भी अब अपने करियर को गंभीरता से लेने लगी हैं.
- लेकिन ज़रूरत है समाज व लड़कियों के माइंडसेट को बदलने की, जहां उन्हें यह साफ़तौर पर निर्णय लेना होगा कि उन्हें परिवार और करियर दोनों ही चाहिए.
- इस सकारात्मक सोच के साथ यदि वो आगे बढ़ेंगी, तो यक़ीनन दोनों के बीच सामंजस्य बेहतर तरी़के से बैठा पाएंगी.
- अपने हक़ के लिए और सही बात के लिए उन्हें बोलना होगा और बोलने का सबसे सही व़क्त शादी से पहले ही है.
- शादी से पहले ही उन्हें अपनी राय साफ़ करनी होगी और उन्हें ख़ुद भी यह तय करना होगा कि वो क्या चाहती हैं.
- आख़िर उन्हें भी अपनी ज़िंदगी व अपने करियर से जुड़े फैसले लेने का पूरा-पूरा हक़ है, तो स़िर्फ त्याग या बलिदान जैसे शब्दों का बोझ वो अकेले ही क्यों ढोएं.
- बेहतर होगा अपने होनेवाले लाइफ पार्टनर को जांचें, परखें और समझदारी से काम लें, क्योंकि एक समझदार लाइफ पार्टनर के साथ ही बेहतर ज़िंदगी और बेहतर करियर की संभावनाएं मौजूद होंगी.
- विजयलक्ष्मी
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