बच्चे की हर अच्छी-बुरी आदत के लिए आप ज़िम्मेदार हैं, क्योंकि वो वही करते हैं जैसा पैरेंट्स को करता हुआ देखते हैं. साइकोलॉजिस्ट पूनम राजभर बता रही हैं आप बच्चे को बुरी आदतों व व्यवहार से कैसे दूर रख सकती हैं
1) चीखना-चिल्लाना
ऑफिस में बढ़ता वर्कलोड, टेंशन, परिवार की ज़रूरतें पूरी करने की चिंता ने आजकल पैरैंट्स को बहुत बिज़ी बना दिया है और उनका यही बिज़ी शेड्यूल अक्सर उन्हें तनावग्रस्त कर देता है. नतीजतन कई बार घर में बच्चों के सामने उनका ग़ुस्सा फूट पड़ता है. बच्चे अपने माता-पिता के ऐसे व्यवहार को बहुत ध्यान से देखते हैं और बाद में उसे दोहराने लगते हैं. 35 वर्षीया रीता बताती हैं, “कई बार घर-ऑफिस की टेंशन के बीच मेरा अपने पति से झगड़ा हो जाता है हम-दोनों एक दूसरे पर चिल्लाने लगते हैं जिसे बच्चे देखते रहते हैं. बाद में मेरा बेटा और बेटी दोनों आपस में वैसे ही झगड़ते हैं. उन्हें ऐसा करता देख मुझे अपनी ग़लती का एहसास हुआ और अब मैं कोशिश करती हूं कि बच्चों के सामने किसी से बहस या झगड़ा न हो.” दरअसल, बच्चों को लगता है कि जो मम्मी-पापा ने किया वो सही है इसलिए वो भी उसी का अनुकरण करने लगते हैं.
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यदि आपका बच्चा कुछ अच्छा करता है तो उसकी तारीफ़ करें. इसी तरह कुछ ग़लत करने पर उसे अकेले में ले जाकर समझाएं. सबके सामने चिल्लाने पर बच्चे तनावग्रस्त हो सकते हैं. पैरेंट्स को ऑफिस की टेंशन घर नहीं लानी चाहिए. पैरेंट्स को बच्चों के सामने आपस में उलझने से भी बचना चाहिए. आपसी मतभेद को अकेले में बातचीत से सुलझाएं.
2) सेलफोन एडिक्शन
ज़रूरत कहें, फैशन या फिर एडिक्शन आजकल पैरेंट्स फोन पर ज़्यादा बिज़ी रहते हैं. बैंकिंग सेक्टर से जुड़ी श्र्रेया कहती हैं, “मेरी 8 वर्षीय बेटी को मुझसे शिकायत रहती है कि मैं हमेशा फोन पर रहती हूं. कुछ दिनों पहले वो भी सेलफोन की डिमांड कर रही थी. उसकी बातें सुनकर लगा कि अब मुझे फोन पर बात कम करनी पड़ेगी.” स़िर्फ फोन ही नहीं आपकी टीवी देखने की लत का भी बच्चों पर असर होता है. यदि आप घंटों सास-बहू सीरियल देखती हैं और ये उम्मीद करती हैं की बच्चा चुपचाप अपना काम करेगा, तो संभव नहीं है. आपकी देखा देखी वो भी होमवर्क छोड़ टीवी देखेगा.
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आधा-एक घंटा टीवी देखने में कोई हर्ज़ नहीं है, लेकिन पैरेंट्स को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वो जो देख रहे हैं उसका बच्चों पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े. ऐसे प्रोग्राम सेलेक्ट करें जिससे बच्चों की नॉलेज बढ़े. साथ ही ये भी सुनिश्चित करें कि होमवर्क ख़त्म करने के बाद ही वो टीवी के सामने बैठें. जहां तक फोन का सवाल है तो पैरेंट्स को फोन पर बहुत लंबी बातचीत से बचना चाहिए.
3) फिटनेस पर ध्यान न देना
अनहेल्दी पैरेंट्स के बच्चे भी अनहेल्दी होते हैं, भले ही आप इस बात से इत्तेफ़ाक न रखें, लेकिन ये सच है. यदि बच्चा आपको एक्सरसाइज़ या आउटडोर एक्टिविटी में शामिल होता नहीं देखेगा तो वो भी ऐसा करने के लिए प्रेरित नहीं होगा. होम मेकर दिप्ती बताती हैं “मैं बहुत ज़्यादा फिटनेस फ्रीक नहीं हूं, लेकिन मेरे हसबैंड हैं. वो दोनों बच्चों को हमेशा स्विमिंग के लिए ले जाते हैं और देखते हैं कि दोनों रोज़ाना एक्सरसाइज़ करें.” बच्चे अपनी आदतें और व्यवहार सब कुछ पैरेंट्स से ही सीखते हैं. तो यदि आप चाहती हैं कि आपका बच्चा फिट और हेल्दी रहे तो रेग्युलर एक्सरसाइज़ के साथ ही हेल्दी डायट की भी आदत डाल लें.
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पैरंट्स को स़िर्फ बच्चों की स्कूल एक्टिविटिज़, होमवर्क आदि का ही ध्यान नहीं रखना चाहिए, बल्कि उसकी फिटनेस को भी प्राथमिकता देनी चाहिए. पैरेंट्स को अपनी डायट और एक्सरसाइज़ का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि बच्चे उन्हें ही फॉलो करते हैं. रोज़ाना कम-से-कम एक घंटे की एक्सरसाइज़ ज़रूरी है. ये दौड़ना, गेम खेलना या वर्कआउट किसी भी रूप में हो सकता है. बच्चों के लिए फिज़ीकली एक्टिव रहना ज़रूरी है. अतः बच्चे को इंडोर की बजाय आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रेरित करें.”
4) जंक फूड की आदत
आजकल वर्किंग पैरेंट्स ख़ुद तो फास्ट व जंक फूड खाते ही हैं साथ ही बच्चों के टिफिन में भी पोटैटो चिप्स, फ्रेंच फ्राइस, बर्गर जैसी चीज़ें देकर उनकी आदत और सेहत दोनों बिगाड़ रहे हैं. कई बार तो घर पर भी स्नैक्स के तौर पर उन्हें जंक फूड ही देते हैं. जब पैरेंट्स ख़ुद ही जंक फूड को बढ़ावा दे रहे हैं, तो बच्चों को इसके नुक़सान समझाना मुश्किल है. कई बार पैरेंट्स ईनाम के रूप में बच्चे को पिज़्ज़ा, बर्गर, फ्राइस आदि की ट्रीट देते हैं इससे बच्चे जंक फूड खाने के लिए प्रोत्साहित होते हैं और वो इसे अनहेल्दी फूड नहीं समझते. यदि आप घर पर खाना बनाने की बजाय ज़्यादातर होटल से खाना मंगाती है तो बच्चे को भी इसकी लत लग जाएगी और उसे घर का हेल्दी खाना अच्छा नहीं लगेगा.
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बच्चे को स़िर्फ जंक फूड खाने के लिए मना करना ही काफ़ी नहीं है, बल्कि उसकी डेली डायट में ताज़े फल और सब्ज़ियों को शामिल करना भी ज़रूरी है. आप बच्चे को जंक फूड से पूरी तरह दूर तो नहीं कर सकतीं, लेकिन उसकी डायट में हेल्दी चीज़ें शामिल करके उसे बैलेंस ज़रूर कर सकती हैं, जैसे- यदि आपका लाड़ला आपसे बर्गर की डिमांड करे तो बर्गर के साथ उसे एक कटोरी सलाद दें न कि कोला या फ्रेंच फ्राइस. पैरेंट्स को ख़ुद हेल्दी डायट का रूल फॉलो करना चाहिए इससे बच्चे ख़ुद-ब-ख़ुद उनकी देखा-देखी सब खाने लगेंगे.
5) पूरी नींद न लेना
कई पैरेंट्स लेट नाइट पार्टीज़, टीवी शो, देर रात तक फिल्म देखते रहते हैं, जिससे बच्चे भी वैसा ही करने लगते हैं. नतीजतन बच्चों की नींद पूरी नहीं होती और वो सुबह जल्दी नहीं उठ पातें, अगर उठ भी जाएं तो उन्हें क्लासरूम में नींद आने लगती है. मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाली दिव्या कहती हैं, “मुझे देर रात तक फिल्में देखना पंसद है, लेकिन जब मैंने देखा कि मेरा बेटा भी मुझे फॉलो करने लगा और देर रात सोने के बाद वो सुबह जल्दी नहीं उठ पाता था. नतीजतन पढ़ाई पर असर दिखने लगा. फिर मैंने अपनी आदत बदल डाली अब मैं न तो देर रात बाहर रहती हूं और न ही फिल्म देखती हूं.” अच्छी और बुरी बच्चों की सभी आदतों के लिए पैरंट्स ही ज़िम्मेदार होते हैं.
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हेल्दी और फ्रेश रहने के लिए नींद पूरी होनी ज़रूरी है. ख़ासतौर पर बच्चों को सही टाइम पर सोना और उठना चाहिए, लेकिन वो ऐसा तभी करेंगे जब आप ऐसा करेंगी. 7-8 साल के बच्चों को कम से कम 8-9 घंटे सोना चाहिए. टीनेजर्स के लिए 7-8 घंटे की नींद ज़रूरी है. बच्चों के सोने का समय नियमित रखें. वीकेंड्स पर रिलैक्स होने के लिए उन्हें कुछ घंटों के लिए बाहर ज़रूर ले जाएं, लेकिन बहुत देर या लेट नाइट बाहर रहने से बचें. बच्चों की ख़ातिर आपको अपनी आदत थोड़ी बदलनी होगी.”