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छठ महापर्व- आस्था के चार दिन (#Chhath Puja- Four-day festival begins…)
बिहार और उत्तरप्रदेश में बहुत धूमधाम से मनाए जानेवाले छठ पर्व की शुरुआत हो चुकी है. 4 दिनों के इस पर्व का पहला दिन यानी नहाय-खाय है. आइए, आपको बताते हैं इस पर्व से जुड़ी ख़ास बातें.
पहला दिन
छठ पर्व के पहले दिन से ही व्रती नमक का सेवन नहीं करतीं. आज के दिन चावल, चने की दाल, लौकी की सब्ज़ी खाई जाती है. साधारण नमक की बजाय सेंधा नमक खाती हैं.
दूसरा दिन
छठ के दूसरे दिन को खरना के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भूखे-प्यासे रहकर व्रती शाम को चावल व गुड़ की खीर का प्रसाद बनाती हैं और वही खाती हैं. ये प्रसाद ग्रहण करने के बाद फिर निर्जल व्रत की शुरुआत होती है.
तीसरा दिन
छठ के तीसरे दिन शाम के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. बड़ी थाली में कई तरह के फल, ठकुआ आदि सजाकर दूध व जल से डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.
चौथा दिन
चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस महापर्व का समापन होता है. सूर्य की उपासना के बाद व्रती कच्चा दूध और प्रसाद को खाकर व्रत का समापन करती हैं.
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छठ से जुड़ी मान्यताएं
इस पर्व से जुड़ी कई मान्यताएं हैं. एक मान्यता के अनुसार जब राम-सीता 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तो रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए उन्होंने ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूर्य यज्ञ करने का फैसला लिया. पूजा के लिए उन्होंने मुद्गल ऋषि को आमंत्रित किया. मुद्गल ऋषि ने मां सीता पर गंगा जल छिड़क कर पवित्र किया और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने का आदेश दिया, जिसे सीता जी ने मुद्गल ऋषि के आश्रम में रहकर छह दिनों तक सूर्यदेव भगवान की पूजा की थी.
एक अन्य मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी. सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके इसकी शुरुआत की थी. कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और वो रोज़ घंटों कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते थे. आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही परंपरा प्रचलित है. इस कथा के मुताबिक जब पांडव अपना सारा राजपाठ जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था. इस व्रत से उनकी मनोकामना पूरी हुई थी और पांडवों को अपना राजपाठ वापस मिल गया था.
साफ़-सफ़ाई का महत्व
* इस व्रत में साफ़-सफ़ाई और सात्विकता का विशेष ध्यान रखा जाता है.
* घर में अगर एक भी व्यक्ति ने छठ का उपवास रखा है, तो बाकी सभी को भी सात्विकता और स्वच्छता का पालन करना पड़ेगा.