तुम मिल जाओगी किसी गली में तो कमाल हो जाएगा मगर पता है कि आज भी इस बात पर बवाल…
हे नारी! तू अबला नारी है क्यों हर युग में रही बेचारी है क्यों कभी रावण द्वारा चुराई गई फिर…
उलझा हूं ज़िंदगी की उलझनों में ऐसेउनको याद करने की फ़ुर्सत नहीं मिलती जो इश्क़ में करते थे जीने मरने…
आई कार्तिक की पूर्णिमा लेकर ख़ुशियां हज़ार प्रतिवर्ष में एक दिन आता है ये पावन त्योहार आज दिन है गंगा…
जगमग जगमग दीप जलाओ शुभ दीपावली आई है सब मिलजुल ख़ुशी मनाओ संग कितनी ख़ुशियां लाई है पाँच दिनों का…
तुम मेरी रगों में फिर नशा बन के बह रहे हो क्या मेरी तमन्नाएं जी उठी हैं तुम्हारे दिल में…
ज़िंदगी का आईना देख कर डर लगता है ऐ ज़िंदगी अब तुझे देख कर डर लगता है डर लगता है…
श्रम-निष्ठा जो हो सच्ची, माँ मेरे द्वारे तुम आना, आत्मा को तृप्त करें, वरदान मुझे वो दे जाना। युक्ति की…
बहुत ज़रूरी काम है ये, भाई मेरे मत झुठलाना इक बेटी की हंसी खो गई, कहीं मिले तो बतलाना ओढ़…