आईने को आईने की ज़रूरत क्या है दिल हो आईना तो सूरत की ज़रूरत क्या है ज़िंदगी मुश्किल है…
बहार का तो महज़ एक बहाना होता है तुम्हारे आने से मौसम सुहाना होता है वाइज़ हमें भी कभी…
मेरी आंख से बता क्यों ख़्वाब झांकता है एहसास का समंदर तेरी आंख में छुपा है दिल मेरा स़िर्फ लफ़्ज़ों…
कुछ तो मिलता है सोच कर तुझको हर उड़ान की जद में आसमां नहीं होता दिल अगर आंख,…
बाकी थी तमन्नाएं हसरत अधूरी थी चाहतें तड़पती थीं और दुआ अधूरी थी फिर तेरी आंख से जीने का उजाला…
ऐ दोस्त यह जीने का कोई ढंग नहीं है कि सांस चल रही है पर उमंग नहीं है अब जिससे…
नमी आंखों में तेरी देखकर घुटता है दम मेरा बड़ा बेचैन करता है तेरा उतरा हुआ चेहरा तेरी मायूसियां…
प्यार भी खिलौने की तरह हो गया है शायद एक टूटा नहीं कि दूसरा खरीद लाए तुम्हें पाने…
बोल रहे लोग कि दुनिया बदल गई! कहां बदली दुनिया? औरत तो एक गठरी तले दब गई.. गठरी हो…
ग़ज़ल 1 गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया इक इश्क़…