Shayeri

ग़ज़ल- थोड़ी सी ज़िंदगी दे दे… (Gazal- Thodi Si Zindagi De De…)

तेरी आंखों से कब राहों का उजाला मांगा अपनी आंखों में बस थोड़ी सी ज़िंदगी दे दे सदियों से इस…

February 14, 2021

काव्य- लौट आएंगे हम-तुम भी… (Kavya- Laut Aayenge Hum-Tum Bhi…)

जैसे लौट आती हैं चिड़ियां दिनभर की उड़ान के बाद थकी-हारी वापस घोंसलों में जैसे लौट आते हैं बीज ओढ़े…

February 12, 2021

कविता- यात्रा.. आत्मिक एहसास की… (Kavita- Yatra.. Aatmik Ehsaas Ki…)

यात्रा हो या ज़िंदगी कुछ न कुछ छूट ही जाता है पीछे अधजिया सा फिर.. 'जिए' से ज़्यादा 'अधजिए' को…

February 6, 2021

हास्य व्यंग्य काव्य- स्त्री की अभिलाषा- चाटुकारपति! (Hasya Vyang Kavya- Stri Ki Abhilasha- Chatukarpati)

सुबह हुई सब पंछी जागे, एक चाटुकार गृहस्वामी अर्धांगिनी से यह बोला-बीत गई रात सपन की, नयन खोलो देखो, चाय…

January 31, 2021

कविता- स्त्री का यथार्थ (Kavita- Stri Ka Yatharth)

चाहकर भी कोई कवि कभी नहीं लिख सकेगा शोकगीत स्त्री की उन इच्छाओं की मृत्यु पर जो अभिव्यक्त होने से…

January 27, 2021

कविता- सब्र (Kavita- Sabr)

चांदनी लहराती हुई ज़मीं पर उतरी और लिपट गई खेत, खलिहान ताल तलैया नदी और समंदर की लहरों से धरती…

January 18, 2021

काव्य- ईश्वर की खोज जारी है… (Kavya- Ishwar Ki Khoj Jari Hai…)

मनमुटाव तो शुरुआत से ही रहा इसीलिए खींच दी गई लक्ष्मण-रेखाएं ईश्वर को ढूंढ़ा गया उससे मिन्नतें-मनुहार की फ़ैसला तब…

January 17, 2021

कविता- झूठ-मूठ का मनुष्यपन… (Kavita- Jhuth-Muth Ka Manushypan)

गर्मी में भी सबसे ज़्यादा खीझ मनुष्य को हुई उसने हवाओं को क़ैद किया बना डाले एसी और.. रही-सही हवा…

January 15, 2021

कविता- वक़्त और लम्हे… (Kavita- Waqt Aur Lamhe…)

वक़्त से लम्हों को ख़रीदने की कोशिश की वह मुस्कुराया बोला क्या क़ीमत दे सकोगे मैं बोला अपने जज़्बात दे…

January 4, 2021

काव्य- नए साल का पहला दिन है… (Poetry- Naye Saal Ka Pahla Din Hai…)

जी हां, सही समझा आपने आज एक जनवरी है नए साल का पहला दिन है चारों तरफ़ उमंग और उत्साह…

January 1, 2021
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