छोटे बच्चों की इम्युनिटी कमज़ोर होती है. इसलिए बच्चे जल्दी-जल्दी बीमार पड़ते हैं. बच्चों के बीमार पड़ने का सबसे बड़ा कारण पर्सनल हाइजीन से जुड़ी लापरवाही होती है. इसलिए बेहतर होगा कि बच्चों के हाइजीन का ख़ास ख़्याल रखा जाए और उन्हें छोटी उम्र से ही बॉडी हाइजीन हैबिट्स सिखाई जाए.
बॉडी हाइजीनः सिखाएं नहाने का सही तरीका
- बॉडी हाइजीन का पहला स्टेप है नियमित स्नान. अपने बच्चे को रोज़ाना दिन में कम-से-कम एक बार अच्छी तरह नहाने के लिए कहें.
- इसके अलावा जब भी वो खेलकर या कहीं बाहर से आए, तो उसे हाथ-पैर धोने को कहें.
- साफ़-सफाई पर ध्यान नहीं देने से तन की दुर्गंध की समस्या बढ़ जाती है.
- अंडरआर्म्स और प्युबिक एरिया में बालों की मौजूदगी भी तन की दुर्गंध के लिए ज़िम्मेदार है.
- दरअसल, प्युबर्टी की शुरुआत होते ही आर्मपिट्स और जेनिटल एरिया में मौजूद एपोक्राइन ग्लैंड्स के एक्टिव होने से इन जगहों पर तेल का स्राव होने लगता है, जिससे दुर्गंध फैलाने वाले बैक्टीरिया पनपने लगते हैं. अतः इन जगहों की सफ़ाई पर ख़ास ध्यान देने की ज़रूरत है.
- आप बच्चे के लिए कोई भी फैमिली सोप इस्तेमाल कर सकती हैं.
- उसकी गंदी कोहनियों और घुटने पर नींबू रगड़ें.
- एक्सपर्ट्स हफ़्ते में 2-3 बार लूफा के इस्तेमाल की भी सलाह देते हैं.
हाथों की सफाई
- बच्चों को पूरी दुनिया एक्सप्लोर करनी होती है, घर का फर्श, दरवाज़े, बाहर की दीवारें, लिफ्ट... सब कुछ छूना होता है. इसी वजह से उन्हें इंफेक्शन भी जल्दी होता है.
- बच्चों पर 24 घंटे नज़र रखना मुश्किल है. इसलिए ज़रूरी है कि बचपन से ही उनमें हैंड हाइजीन की आदत डाली जाए.
- बच्चों को हैंड हाइजीन की अहमियत बताएं. उन्हें हैंड वॉश के लिए प्रोत्साहित करें.
- उन्हें हाथ धोने का सही तरीका सिखाने के लिए उनके साथ खुद भी हैंड वॉश करें.
- खुद भी बाहर से आने के बाद, खाने से पहले हाथ धोएं और अपने साथ बच्चे को भी ऐसा करने के लिए कहें.
- हाथ धोते समय बच्चे को काउंटिंग करने को कहें और उससे कहें कि इतना काउंट करने तक उसे हाथ को धोना है. अगर बच्चे को मनोरंजक तरीके से गुड हैबिट्स सिखाएंगी तो वो जल्दी सीखेंगे.
- बच्चों के लिए कलरफुल सोप और हैंड वॉश रखें.
- बच्चों को हाथ धोते वक्त नाखूनों को साफ करना भी सिखाएं.
- बच्चों को बताएं कि हाथ धोने के बाद उसे सुखाना भी बहुत ज़रूरी है.
नाखूनों की देखभाल
- आजकल छोटे बच्चे भी बड़ों की देखा-देखी नाखून बढ़ाने लगे हैं. अगर आपका बच्चा भी ऐसा करता है, तो उसे ऐसा करने से रोकें.
- बड़े नाखूनों में जमी गंदगी खाने के साथ उसके शरीर में जा सकती है. इसलिए समय-समय पर उसे नाखून काटने के लिए कहें.
- नहाने के बाद हाथों के साथ ही नाखून व आस-पास की त्वचा पर भी मॉइश्चराइजर लगाना ज़रूरी है.
- इंफेक्शन के ख़तरे को कम करने के लिए नाखून के आसपास की कटी-फटी त्वचा को काटकर अलग कर दें.
दांतों की देखभाल
- ज़रूरत है. छोटे बच्चे स्नैक्स और जंक फूड ज़्यादा खाते हैं. अतः दांतों की सफ़ाई पर बहुत ध्यान देने की ज़रूरत है.
- आप एक बार सुबह व एक बार रात में उसके दांतों पर ब्रश करें. धीरे-धीरे उसे ब्रश करना सिखाएं.
- बच्चे को ब्रश करने के दौरान टूथपेस्ट को थूकना सिखाएं. जब तक वह टूथपेस्ट को थूकना न सीख ले, तब तक उसके लिए फ्लोराइड फ्री टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें. यह छोटे बच्चों के लिए ही बनाया जाता है.
- अगर आपके बच्चे ने मीठा खाया है, तो इसके आधे घंटे बाद ब्रश कराएं, इससे उसके दांत स्वस्थ रहेंगे.
- उन्हें कम से कम दो बार और यदि संभव हो तो हर बार खाने के बाद ब्रश करने के लिए कहें.
- बच्चे को फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट दें. साथ ही हर 6 महीने में उसका डेंटल चेकअप करवाएं. ऐसा करने से कैविटी की समस्या शुरू होने से पहले ही रोकी जा सकती है.
- साथ ही अगर स्वस्थ दांतों के लिए आपके बच्चे को एक्स्ट्रा फ्लोराइड या कुछ पोषक तत्वों की ज़रूरत होगी, तो डॉक्टर आपको बता देगा.
पैरों की देखभाल
- ज़्यादा देर तक जूते पहनने की वजह से बच्चे के पैरों से अजीब-सी दुर्गंध आने लगती है. इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि बच्चा अच्छी तरह पैर सूखने के बाद टैलकम पाउडर लगाकर ही जूता पहनें.
- साथ ही उसे हमेशा कॉटन के मोजे ही दें.
- इसके बाद भी अगर पैरों से बदबू आए, तो हफ़्ते में 2-3 बार जूते में कोई एंटी-फंगल पाउडर छिड़कें और जब बच्चा घर पर हो, तो उसे जूते न पहनने दें.
पर्सनल हाइजीन के लिए ये बातें भी हैं ज़रूरी
- बच्चों को ज़्यादा पानी पीने की आदत डालें. इससे वो हाइड्रेटेड रहेगा और उसके मुंह से बदबू आने की समस्या भी नहीं होगी.
- बच्चों को कम उम्र से ही टॉयलेट हाइजीन के बार में भी बताएं.
- बच्चों को फल-सब्ज़ियां धोकर रखने और खाने की आदत डालें. उन्हें बताएं कि फल सब्ज़ियों को खाने से पहले न धोने से कई तरह की बीमारियां होती हैं.
- बच्चों को साफ धुले हुए कपड़े पहनने की आदत डालें. साथ ही खेलने के बाद, बाहर से आने पर तुरंत कपड़े बदलने की आदत डालें.
- सोने से पहले हाथ-पैर, चेहरा अच्छी तहर धोने और साफ कपड़े पहनकर बिस्तर पर जाने की हैबिट डालें.
- बच्चों को सिखाएं कि छींक आने पर मुंह को रूमाल, टिश्यू पेपर से ढंकना ज़रूर है.
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