'जब वी मेट' करीना कपूर की बेहतरीन फिल्मों में से एक है. इस फिल्म में करीना कपूर और शाहिद कपूर की जोड़ी को दर्शकों ने बहुत पसंद किया. लव ट्राइंगल पर बनी ये फिल्म दर्शक आज भी भूले नहीं है. लेकिन इस फिल्म का एक ऐसा पहलू भी है, जिसे कई लोग नहीं जानते. क्या आप जानते हैं कि 'जब वी मेट' फिल्म में शाहिद कपूर का रोल पहले बॉबी देओल करने वाले थे, लेकिन करीना कपूर ने फिल्म के डायरेक्टर इम्तियाज़ अली से कहकर बॉबी देओल की जगह बॉयफ्रेंड शहीद कपूर को फिल्म में साइन करवाया था.
जब वी मेट फिल्म में करीना कपूर ने शाहिद कपूर को ऐसे साइन करवाया था
बॉबी देओल ने एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया था. बॉबी ने कहा, "मैंने इम्तियाज़ अली की फिल्म 'सोचा ना था' देखी थी और मैं उससे बहुत इम्प्रेस हुआ था. मैं उनकी अगली फिल्म में उनके साथ काम करना चाहता था और इसके लिए मैं मौका ढूंढ़ रहा था. उसी दौरान 'गीत' नाम की एक फिल्म उनके पास थी, जो करीना कपूर के कैरेक्टर के नाम पर थी. अष्टविनायक नाम का एक स्टूडियो है, जो मुझे साइन करना चाहते थे. मैंने उनसे कहा कि इम्तियाज़ को साइन करते हैं, उनके पास एक स्क्रिप्ट भी रेडी है. मैंने उनसे कहा कि इसके लिए करीना को कॉन्टैक्ट करते हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि इम्तियाज़ तो बहुत महंगी फ़िल्में बनाते हैं. उन्होंने कहा कि करीना भी उनसे कॉन्टैक्ट नहीं करना चाहतीं." इसके बाद बॉबी देओल ने इस रोल के लिए प्रीति जिंटा का नाम सुझाया. वो लोग प्रीति से मिलने भी गए, लेकिन प्रीति ने कहा कि वो छह महीने बाद ही इस प्रोजेक्ट पर काम कर पाएंगी. बात वहीँ पर अटक गई. बॉबी देओल ने आगे बताया, "हैरानी की बात ये है कि कुछ दिनों बाद ही मुझे पता चला कि करीना कपूर इस रोल को करने के लिए तैयार हो गई हैं, लेकिन इम्तियाज़ अली से कहकर करीना ने मेन लीड के लिए शाहिद कपूर को साइन करवा लिया था. मैं फिल्म से बाहर चुका था और मुझे इसकी खबर भी नहीं थी. इस खबर को सुनने के बाद मैं इतना ही कह सका, ”वाह, क्या इंडस्ट्री है!”
बॉलीवुड में गुटबाजी और पक्षपात
बॉलीवुड में गुटबाजी और पक्षपात का इतिहास बहुत पुराना है. आज यदि सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद नेपोटिज़्म पर बहस शुरू हुई है, तो इसके पीछे ठोस वजहें भी हैं. बॉलीवुड में कुछ चेहरे ही चमक पाते हैं और करोड़ों के बजट वाली फ़िल्में भी उनकी ही झोली में आती हैं. स्टारकिड की एंट्री हमेशा धमाकेदार होती है, वहीँ टैलेंटेड कलाकारों को एक ब्रेक पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ता है. बॉलीवुड में ऐसे कई कलाकार हैं, जिन्हें वो सक्सेस नहीं मिली, जिसके वो हक़दार थे, वहीँ कई ऐसे कलाकार भी हैं, जिन्हें स्टारकिड होने का पूरा फायदा मिला. बॉलीवुड में कुछ गुट ऐसे भी हैं, जो चुनिंदा लोगों के साथ ही फिल्में बनाते हैं, ऐसे में उन न्यूकमर्स का रास्ता मुश्किल हो जाता है, जिनका बॉलीवुड में कोई गॉड फादर नहीं है. कंगना रनौत इसका एक बड़ा उदाहरण हैं और उन्होंने बॉलीवुड की इस गुटबाजी का हमेशा विरोध किया है. कंगना रनौत ने ये खुले शब्दों में कहा है कि बॉलीवुड में कोई गॉड फादर नहीं होने के कारण उन्हें बहुत स्ट्रगल करना पड़ा.
कंगना रनौत ने कहा, मेरे साथ कुत्तों जैसा व्यव्हार होता था
कंगना ने एक इंटरव्यू में अपने करियर के शुरुआती दौर की बातें बताते हुए कई खुलासे किए थे. कंगना ने कहा, “जब मैंने करियर शुरू किया था, मेरे साथ कुत्तों जैसा व्यव्हार होता था. इंडस्ट्री के लोग ऐसा व्यवहार करते थे जैसे मुझे आवाज उठाने का हक नहीं है, मेरी जरूरत नहीं है. मैं इंग्लिश में बात नहीं कर पाती थी, तो वे मेरा मजाक उड़ाते थे.”
बॉलीवुड में गुटबाजी और पक्षपात का इतिहास बहुत पुराना है, लेकिन अब इस मानसिकता में बदलाव आना चाहिए और नेपोटिज़्म पर खुलकर बहस होनी चाहिए. आपको क्या लगता है, 'मी टू' #MeToo की तरह ही क्या #Nepotism यानी भाई-भतीजावाद के खिलाफ भी आवाज़ उठाई जानी चाहिए? अपनी राय हमें कमेंट करके ज़रूर बताएं.