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ससुराल में क्या बनाएं पहली बार? ससुराल में पहली बार कोई ऐसी डिश बनाएं जो कॉमन हो और जिसका स्वाद हर उम्र के लोगों को पसंद आता हो. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि वो डिश आप पहले भी बना चुकी हों. यदि आप कोई नई या यूनीक डिश ट्राई करेंगी तो ज़रूरी नहीं कि वो परिवार के लोगों को पसंद आए ही. अचानक बहुत अलग स्वाद शायद उन्हें अच्छा न लगे. अत: ससुराल वालों की पसंद को ध्यान में रखते हुए ही पहली डिश का चुनाव करें. स्मार्ट कुकिंग टिप्स * डिशेज का चुनाव मौसम के अनुसार करें. तेज़ गर्मी में आपका बनाया गरम-गरम टेस्टी सूप उतना मज़ा नहीं देगा जितना साधारण छाछ या लस्सी देगी. गर्मी में मॉकटेल्स, दही वड़ा, ठंडी में सूप, हलवा, बरसात में पकौड़े इस तरह डिशेज का चुनाव करें. * परिवार के सभी सदस्यों की आवश्यकताएं अलग-अलग होती हैं, जैसे- बुज़ुर्गों को सादा भोजन और बच्चों को नई-नई चटपटी रेसिपीज़ पसंद आती हैं. अतः रोज़ के खाने में सभी की ज़रूरतों का ख़्याल रखें. * खाने का प्रेज़ेंटेशन अच्छा हो इसका पूरा ख़्याल रखें. परोसते समय सलीके से थोड़ा-थोड़ा परोसें. सलाद सजाएं. एक जैसे बर्तनों का इस्तेमाल करें. * मेनू का चुनाव करते समय रंगों का ख़ास ख़्याल रखें, जैसे- एक सब्ज़ी हरी हो तो दूसरी पीली, स़फेद या लाल रंग की हो. किसी में टमाटर डालें तो किसी में मूंगफली दाना. इस तरह की थाली सुंदर लगती है और हेल्दी भी होती है. * खाना बनाते समय खड़े और ताज़े मसालों का इस्तेमाल करें. इनका स्वाद ज़्यादा अच्छा होता है. * जो चीज़ें आपकी सास न बनाती हों उन्हें अवश्य सीख कर जाएं, जैसे- केक, मेक्सिकन, इटालियन, पिज़ा, पास्ता, बर्गर आदि. इससे ससुराल में आपकी अलग पहचान बनेगी.यह भी पढ़ें: सीखें कुकिंग के नए तरीके
इन बातों का ध्यान रखें: * यदि आपको घर में बनी कोई चीज़ पसंद न आई हो, तो उसकी बुराई न करें. इससे परिवार वालों को बुरा लग सकता है. * सास के खाने की अपनी मां से तुलना कभी न करें. * इसी तरह बात-बात में अपने मायके के खाने की तारीफ़ न करें. आपका ऐसा करना भी ससुराल वालों को बुरा लग सकता है. * ससुराल में किचन में जो भी सामग्री है उसमें मीन-मेख न निकालें. * मेहमानों के आने पर डिशेज का चुनाव अपनी नहीं उनकी पसंद के अनुसार करें. क्यों ख़ास होता है मां के हाथ का खाना? दुनिया में लगभग 80% लोगों को मां के हाथों से बना खाना पसंद है. तो क्या सभी मांएं अच्छा खाना बनाती हैं और पत्नियां नहीं? क्या वो मां किसी की पत्नी नहीं होती? क्या महिलाएं बच्चों को अलग और पति व परिवार को अलग-अलग खाना खिलाती हैं? यदि नहीं, तो मां के हाथों का जादू पत्नी के या बहू के हाथों में क्यों नहीं होता? ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि बच्चा मां के हाथों का बना खाना खाकर बड़ा होता है. उसे उस स्वाद की आदत हो चुकी होती है इसलिए उसे उम्रभर वह स्वाद अच्छा लगता है. अतः कभी भी सास से अपनी तुलना करने की कोशिश न करें और ससुराल में अपनी अलग पहचान बनाएं.
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