मां के गर्भ से बाहर आते ही नन्हा-सा शिशु स्वतंत्र आहार पर निर्भर हो जाता है. उसे क्या आहार दिया जाए, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह आहार उसके पूरे जीवन को प्रभावित कर सकता है. दादी मां के अनुसार निम्न प्रकार से शिशु को आहार देना चाहिए.
* पहले चार माह तक बच्चे को केवल मां के स्तनपान पर रखा जाना चाहिए. * पांचवें माह से उबालकर ठंडा किया हुआ पानी पहले चम्मच से, फिर छोटी गिलास से पिलाया जाना चाहिए. * किसी भी उम्र में बोतल से कोई आहार नहीं पिलाना चाहिए. * इसके बाद धीरे-धीरे निम्न पदार्थों को बच्चे के आहार में शामिल करना चाहिए. * घर में बनाई गई दलिया, रवे की खीर, चावल की फिरनी एक से दो चम्मच की मात्रा में या बच्चा जितनी मात्रा सुगमता से पचा सके, सुबह-शाम पांचवें माह में देना चाहिए. * छठे माह में केले को दूध में मसलकर दिन में एक बार देना चाहिए, फिर धीरे-धीरे सेब, पपीता, चीकू, आम जैसे फलों को बच्चे के आहार में शामिल करना चाहिए. * सप्ताह भर बाद अच्छी तरह पकाई गई सब्जियां मसलकर या मक्खन के साथ 2 से 4 चम्मच देना चाहिए. * सातवें-आठवें महीने में दाल या खिचड़ी अच्छी तरह पकाकर एवं मसलकर दो से चार चम्मच देना प्रारंभ करें. बच्चे की रुचि के अनुसार इसकी मात्रा बढ़ाते जाएं. * नौवें माह में गाय या भैंस का दूध गिलास से देना प्रारंभ करें. * मां का दूध बच्चा जब तक पीता है, जारी रखना चाहिए. * एक वर्ष के बाद संतुलित व पूर्ण आहार, बच्चा जितना इच्छा से खा सके, खिलाना चाहिए. इस तरह का आहार स्वतः ही बच्चे की सामान्य वृद्धि व वजन को नियंत्रित करता है.- परमिंदर निज्जर
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