- अल्पकालीन व दीर्घकालीन लक्ष्यों को ध्यान में रखकर अपने करियर की प्लानिंग करें. जब तक अपने लक्ष्य निर्धारित नहीं करेगें, तब तक अपने करियर में स्थिरता नहीं ला पाएगें.
- अपने काम/असाइनमेंट को छोटा समझने की भूल न करें. सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़े.
- अपने काम/प्रोजेक्ट को ‘टेकन फॉर ग्रारेंटेड’ ले यानी काम के दौरान आपको जो भी ज़िम्मेदारी सौपी जाती है, उसमें अपना 100% देने का प्रयास करें. यदि आप अपने प्रोजेक्ट/कमिटमेंट को पूरा करने में सफल नहीं हो पाते हैं, तो इसका नकारात्मक प्रभाव आपकी परफॉर्मेंस पर पड़ता है.
- अपने काम को प्राथमिकता दें. इसलिए पहले ही निर्धारित कर लें कि आपको कौन-कौन से ज़रूरी काम पहले निपटाने है.
- बॉस और सीनियर्स के साथ किसी प्रोजेक्ट पर काम करते समय डेडलाइन का ध्यान रखें.
- हमेशा सीनियर्स/कलीग्स से सीखने की इच्छा रखें. काम के दौरान यदि कुछ नया सीखने का मौक़ा मिले, तो उसे छोड़े नहीं, न ही कुछ नया असाइमेंट/प्रोजेक्ट हाथ में लेने से घबराएं.
- कोई भी नया प्रोजेक्ट/असाइनमेंट शुरू करने से पहले सीनियर्स से सलाह ज़रूर लें. अपनी योजनाओं व विचारों को उनके साथ शेयर करें.
- नए प्रोजेक्ट पर काम की पहल स्वयं करें. न कि बार-बार बॉस या सीनियर्स द्वारा प्रोत्साहित करने की उम्मीद रखें.
- आप चाहें कितने भी मेहनती हों, लेकिन यदि समय के पाबंद नहीं हैं, तो आपकी सारी मेहनत बेकार है, जैसे- समय पर प्रोजेक्ट/असाइनमेंट पूरा करें, निर्धारित समय पर अपना टारगेट पूरा करें. आदि.
- नया माहौल और नए लोगों के साथ काम करते हुए ईगो न पाले, जैसे- मैं यह नहीं करूंगा... मैं क्यों करूं... आदि जैसे वाक्य आपकी छवि को नकारात्मक बना सकते हैं.
- कंपनी द्वारा आयोजित किए जानेवाले स्पेशल टे्रनिंग प्रोग्राम्स और सेमिनार में जरूर भाग लें. इससे आपकी प्रतिभा और क्षमताओं में सुधार आएगा और यह अनुभव भविष्य के लिए फ़ायदेमंद साबित होगें.
- आप जिस फील्ड में, उससे जुड़ी लेटेस्ट जानकारियों और सूचनाओं से पूरी तरह अपडेट रहें.
- अपने काम के प्रति ईमानदार रहें, कंपनी की महत्वपूर्ण व गोपनीय सूचनाओं और डाटा को बाहर लीक न करें.
- वर्कप्लेस पर अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को अलग-अलग रखें. अपने घर-परिवारा की परेशानियां का बखान सीनियर्स व कलीग्स के सामने न करें और न ही ऑफिस के तनाव को लेकर घर जाएं.
- जल्दी-जल्दी नौकरी न बदलें. अक्सर कंपनियां ऐसे लोगों को नौकरी पर रखने से कतराती हैं, जो जल्दी-जल्दी नौकरी बदलते हैं. कंपनी को इस बात का अहसास रहता है कि इस तरह के लोग मनी-मांइडेड होते है, जो कभी भी नौकरी छोड़कर जा सकते हैं. ऐसे लोगों में कमिटमेंट, पेशन्स, विश्वसनीयता और टीम भावना की कमी होती है.
- छोटी-छोटी बातों से परेशान होकर नौकरी न छोड़े, जैसे- बॉस द्वारा आलोचना किए जाने पर, सहयोगियों के साथ मतभेद होने पर आदि. जब तक कोई बड़ी वजह न हो, तब तक नौकरी न छोड़ें.
- नौकरी बदलना एक अहम् फैसला है. जब तक आपको कोई बेस्ट अपॉर्चिनिटी नहीं मिल जाती है, तब तक नौकरी न छोड़ें. बिना किसी कारण के बार-बार नौकरी बदलने से आपका रिज्यमें ख़राब तो होगा ही, साथ ही आपकी कार्यक्षमता पर भी प्रश्न चिन्ह लगेगा.
- बॉस, सीनियर्स, कलीग्स और ऑफिस बॉय आदि के साथ बातचीत करते हुए बेसिक मैनर्स और बॉडी लैंग्वेज का ध्यान रखें. आपके व्यवहार से किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए.
- करियर की शुरुआती दौर में न तो ज़्यादा वेतन की डिमांड न करें, न ही मनी-माइंडेट बनें. नए जॉब के आरंभ में सबसे पहले अपनी स्किल को एनहेंस करें और करियर की ग्रोथ बढ़ाने पर जोर दें.
- नए माहौल में काम करते हुए यदि किसी तरह परेशानियां का सामना करना पड़ता है, तो सबके सामने अपनी परेशानियों का बखान न करें. जैसे- वेतन कम होना, काम का बढ़ता बोझ, खडूस बॉस आदि. कोई भी व्यक्ति निजी या प्रोफेशनल स्तर पर रोज़-रोज़ ऐसी बातें नहीं सुनना चाहेगा.
- स्मार्ट फोन आजकल सभी की ज़रूरत बन गए हैं. इसलिए वर्कप्लेस पर फोन का इस्तेमाल ज़रूरत के अनुसार ही करें. मीटिंग्स, सेमिनार या क्लाइंट के साथ बातचीत करते हुए फोन साइलेंट मोड पर रखें.
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