शादी को आज भी हमारे समाज की सबसे अहम परंपरा माना जाता है. ऐसे में लोगों को लगता है कि बस शादी की उम्र हो रही है, तो शादी कर ही लेनी चाहिए. ऐसे में किसी के भी मन में यह बात तक नहीं आती कि क्या वो वाकई शादी करने के लिए तैयार है? जी हां, शादी करने से पहले आपको मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह तैयार होना चाहिए तभी आप इस रिश्ते की ख़ूबसूरती को समझेंगे और इसे निभा भी पाएंगे, इसलिए शादी करने जा रहे हैं, तो ज़रूर एक बार ख़ुद से पूछ लें कि क्या वाकई तैयार हैं आप?
- शादी क्यों करना चाह रहे हैं आप? क्योंकि घरवाले कह रहे हैं, बाकी दोस्तों की शादी हो चुकी है या फिर आप ख़ुद एक कंपैनियन यानी लाइफपार्टनर चाहते हैं? अक्सर लोग घरवालों और रिश्तेदारों के दबाव में आकर शादी के लिए हामी भर देते हैं या फिर दोस्तों को देखते हैं कि सबकी शादी हो गई तो हमें भी कर ही लेनी चाहिए, लेकिन बाद में ऐसा लगने लगता है कि गलत निर्णय ले लिया. बेहतर होगा कि जब आपको ख़ुद यह महसूस हो कि हां, अब मुझे पार्टनर की ज़रूरत है, तब ही शादी का निर्णय लें.
- शादी जीवनभर की ज़िम्मेदारी है और यह बंधन भी है. इसमें समर्पण और सामंजस्य बनाए रखना पड़ता है, तो क्या आप इस बंधन और ज़िम्मेदारी के लिए तैयार हैं? अगर हां, तो बेशक आगे बढ़ें, लेकिन ज़रा भी शंका हो, तो रुककर सोच लें.
- अक्सर लड़के यह सोचकर शादी कर लेते हैं कि उनकी देखभाल करनेवाली कोई आएगी, तो अच्छा है और लड़कियां अपनी सामाजिक व आर्थिक सिक्योरिटी के चलते यह फैसला लेती हैं. लेकिन लड़के यह समझ लें कि आप कोई दूध पीते बच्चे नहीं, तो आपको बेबी सिटिंग करनेवाली चाहिए. वो आपकी पार्टनर होगी, न कि आया. दूसरी ओर लड़कियों को भी यह समझना होगा कि आपका पति आपका बैंक बैलेंस नहीं, बल्कि आपका साथी है, आपको उसके सुख-दुख में साथ निभाना है, स़िर्फ अपनी सिक्योरिटी सोचकर शादी करेंगी, तो शादी के बाद हो सकता है आपको निराशा हाथ लगे.
- अक्सर कई लड़कियां अपने घर के माहौल से इतनी उकता जाती हैं कि उन्हें शादी ही बेहतर विकल्प लगता है. वो सोचती हैं इस बहाने अपने घर की पाबंदियों से छुटकारा मिलेगा, शादी के बाद ज़िंदगी आसान हो जाएगी... वगैरह... वगैरह... लेकिन इस सोच के साथ की गई शादी आपको सुख नहीं देगी.
- शादी के बाद बहुत कुछ बदल जाता है, आपकी बैचलर लाइफ से बिल्कुल अलग होता है शादीशुदा जीवन... इस पहलू पर पूरी तरह विचार करके और इसे पूरी तरह समझते हुए आपको शादी के लिए आगे बढ़ना चाहिए.
- आप दो अलग व्यक्तित्व के लोग एक छत के नीचे रहेंगे, आपके विचार अलग हो सकते हैं और आपकी सोच से लेकर रहन-सहन तक का तरीका भी पूरी तरह अलग हो सकता है, ऐसे में क्या आप तैयार हैं सामनेवाले को उसके उस व्यक्तित्व के साथ अपनाने के लिए या फिर आप यह मानकर चल रहे हैं कि मैं उसे बदल दूंगा या बदल दूंगी? शादी का अर्थ अपनाना है, एक-दूसरे को बदलना नहीं.
- शादी के बाद आपको कई जगहों पर समझौते करने पड़ते हैं. अपना ईगो त्यागना पड़ता है, गुस्से पर काबू करना पड़ता है, गलत न होते हुए भी हो सकता है सॉरी बोलना पड़ जाए... इन सवालों को अपने ज़ेहन में रखकर ही आगे बढ़ें.
- अगर आप बहुत मनचले हैं, तो शादी के बाद यह नहीं चलेगा. अपने मन की चंचलता और फ्लर्टिंग नेचर को क्या आप बदलने को तैयार हैं?
- अगर आप किसी फिल्मी कल्पना से अपनी शादी का भविष्य जोड़कर देखते हैं, तो ठोकर ही खाएंगे. शादी हक़ीक़त है और वो फिल्मी शादियों से बहुत अलग होती है. पूरी गंभीरता और ज़िम्मदारी से इन पहलुओं को अपने मन के तराज़ू में तौलें.
- लड़कियां भी अगर यह सोचती हैं कि शादी के बाद बस अपने पति के साथ मज़े करेंगी, उनकी सैलरी पर उन्हीं का हक होगा, तो यह सोच आपके रिश्ते के लिए ही हानिकारक होगी. आपको भी पूरी शिद्दत से पति के परिवार को अपनाना होगा, उनके प्रति अपनी ज़िम्मेदारी व अपने पति की ज़िम्मेदारी न सिर्फ समझनी होगी, बल्कि सहयोग भी करना होगा.
- मानसिक रूप से तैयार होने के अलावा आपको अपनी हेल्थ और शारीरिक रूप से भी तैयार होने के बारे में सोचना होगा. आपका स्वास्थ्य और सेहत ही आपके रिश्ते के स्वास्थ्य व सेहत को बनाए रखेगी. यदि आप किसी भी तरह के शारीरिक कष्ट या मानसिक बीमारी का शिकार हैं या आपको महसूस हो कि इससे उबरने के लिए आपको व़क्त चाहिए, तो यह व़क्त ज़रूर लें.
- अक्सर लोग सोचते हैं कि डिप्रेशन है, तो शायद शादी के बाद मन लगने लगेगा, ख़ासतौर से परिवारवालों की यह सोच होती है, लेकिन इससे स़िर्फ सामनेवाले के साथ ही नहीं आपके साथ भी नाइंसाफी होगी. शादी के लिए पूरी तरह से मन व मस्तिष्क प्रसन्न व तैयार होना चाहिए.
- अफेयर है और परिवारवाले उसे छुड़ाने के लिए कहीं और शादी कर रहे हैं, तो आप ख़ुद सोचिए कि क्या यह सही होगा?
- शादी टीनएज रोमांस नहीं, न ही परिकथा है... यह परिपक्वता का ही दूसरा नाम है. आपको नए रिश्तों को अपनाना होता है और नए तरीके से अपनी सोच रखनी होती है. क्या आप तैयार हैं?
- क्या आप फाइनेंशियली सिक्योर हैं कि शादी की ज़िम्मदारी उठा सकें? इस पहलू पर भी विचार बहुत ज़रूरी है. अगर आप ससुराल से मिलनेवाले दहेज के लालच में शादी करेंगे, तो बहुत बड़ी ग़लती करेंगे.
- क्या आपने सही प्लानिंग की है? अक्सर लोग सोचते हैं कि शादी के बाद सब अपने आप ठीक हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है. आपको अपने फाइनेंस से लेकर अपने करियर तक की सही प्लानिंग करनी होती है, ताकि शादी आपके लिए मात्र एक समझौता बनकर न रह जाए. आप शादी के बाद भी अपने सपने पूरे कर सकें और शिद्दत के साथ अपने रिश्ते को भी निभा सकें.
- शादी के बाद सिर्फ लड़कियों की ही ज़िंदगी बदलती है या उन्हें ही ज़िम्मेदारी निभानी होती है, ये सोच लड़के अपने दिमाग से निकाल दें. उन्हें यह लगता है कि हमको क्या फर्क पड़ता है. शादी के बाद भी अपनी लाइफ तो वैसे ही मस्तमौला रहेगी. शादी के बाद अगर लड़की आपके घरवालों से जुड़ती है, तो आप भी तो उसके परिवारवालों से जुड़ते हैं. आपकी जवाबदेही बनती है और आप पर भी रिश्ता निभाने का उतना ही दबाव रहता है. आप शादी के बाद दोस्तों के साथ लेट नाइट पार्टीज़ करते रहें और पत्नी घर पर आपके इंतज़ार में नींद खराब करे इस उम्मीद में शादी कभी न करें. वैसे भी आजकल लोगों की सोच बदल चुकी है, तो आप भी समय के साथ बदलें.
- यह मान लें और जान लें कि अगर आपकी पत्नी भी वर्किंग है, तो आपको भी घर के काम में उसकी मदद करनी ही होगी.
- यह मान लें कि आपको भी बच्चों की उतनी ही ज़िम्मेदारी लेनी होगी.
- यह मान लें कि आपको भी ससुरालवालों के दुख-दर्द में सदा साथ निभाना होगा.
- यह मान लें कि पत्नी को बराबरी का ही दर्जा देना होगा. वो बीमार हो, तो आपको भी उसकी उतनी ही देखभाल करनी होगी.
अगर इन तमाम बातों को पूरी गंभीरता और परिपक्वता से समझते हैं आप तो बेशक आप हैं शादी के लिए पूरी तरह तैयार, वरना फिर सोच लें एक बार.
रिंकु शर्मा
यह भी पढ़ें: शादी से पहले और शादी के बाद, इन 15 विषयों पर ज़रूर करें बात! (15 Things Every Couple Should Discuss Before Marriage)