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कहीं आप भी तो नहीं हो रहे चैरिटी स्कैम का शिकार? (Are you also becoming a victim of a charity scam?)

एक वक़्त था जब परोपकार और समाज कल्याण के लिए दान-धर्म किया जाता था. लेकिन समय के साथ बहुत कुछ बदला. हालात, लोगों की सोच, नीयत और दान-सेवा को लेकर नज़रिया. अब जहां कुछ लोग दिखावे के लिए तो कुछ लोग पाप-पुण्य के डर के वशीभूत तो कुछेक हैं जो पूरी तरह से निस्वार्थ भाव से चैरिटी करते हैं. लेकिन दान के नाम पर फ्रॉड भी ख़ूब होता है.

क्या आप जानते हैं कि चैरिटी के नाम पर देश-दुनिया, समाज हर जगह काफ़ी लूट भी मची हुई है, बस फ़र्क़ इतना है कि कुछ का दिखाई देता है, तो बहुत से केसेस भ्रष्टाचार व क़ानून के ढुलमुल रवैये के कारण दब जाते हैं. आख़िर चैरिटी स्कैम कैसे होता है, आइए इस बारे में जानते-समझते हैं.

प्राकृतिक आपदाएं, दान-धर्म, बच्चे-बुज़ुर्गों की मदद या फिर कोई भयंकर बीमारी जैसे कैंसर से जूझ रहा हो तो इनके नाम पर तमाम दान से जुड़े घोटाले देखे गए हैं. इसमें फ्रॉड करनेवाला शख़्स चैरिटी में शामिल होने का नाटक करता है, जबकि हक़ीक़त में ऐसा नहीं होता.

इसी तरह कभी बाढ़ पीड़ितों के लिए, अन्य नेचुरल डिजास्टर के नाम पर, महिलाओं के उत्थान को लेकर, सेना-पुलिस की विधवाओं-बच्चों आदि मुद्दों को सुर्ख़ियों में रखते हुए चैरिटी स्कैम किए जाते हैं.

अक्सर इस तरह के अपराधी फर्ज़ी संस्थाओं का नाम लेकर फोन करते हैं और कहते हैं कि हम फौजी या फिर पुलिस के परिवारों के ज़रूरतमंद लोगों के लिए फंड इकट्ठा कर रहे हैं. अक्सर वे समय की कमी का भी झांसा देने से भी नहीं चूकते, जैसे- अगले चार-पांच दिनों में हमें पीड़ित लोगों के लिए इतनी रकम जमा करनी है.

आपको भी उनकी विनती भरी मीठी-मीठी बातों के मायाजाल में फंसने में देर नहीं लगती. और जब तक आपको सच्चाई का पता चलता है तब तक स्कैम करनेवाला पैसे लूटकर नौ दो ग्यारह हो चुका होता है.

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हम दान क्यों करते हैं?

कोई इंसानियत की ख़ातिर, तो कोई अपने स्वार्थ ख़ासकर टैक्स बेनेफिट्स पाने के लिए भी चैरिटी करते हैं. लेकिन अधिकतर मानवता के नाते सहायता करने के लिए लोग मदद का हाथ आगे बढ़ाते हैं.

कैसे करते हैं स्कैम?

स्कैम करनेवाले फेस रीडिंग बहुत अच्छी तरह से जानते हैं. जिस किसी व्यक्ति से पैसे ऐंठने होते हैं, कुछ दिन पहले से ही उसके बारे में विस्तार से जानकारी एकत्रित कर लेते हैं. फिर उस शख़्स की उदारता का दुरुपयोग करने में उन्हें देर नहीं लगती.

अब यहां पर यह ज़रूरी हो जाता है कि जब भी आप अपनी कड़ी मेहनत से कमाए गए धन का दान करने जाएं, तो निम्न बातों का ज़रूर ख़्याल रखें.

- सबसे पहले आपको यह जानना बहुत आवश्यक है कि जो पैसे आप दान कर रहे हैं, उसका सही तरी़के से इस्तेमाल हो रहा है कि नहीं.

- ऐसे कई सोर्सेस हैं जिनके ज़रिए आप इस बात का पता लगा सकते हैं कि जो दान आप कर रहे हैं, वो सही है या नहीं.

- दान करने से पहले अरन संगठन से पता करें कि उन पैसों का किस तरह से उपयोग किया जाएगा, ख़ासकर कितना प्रतिशत चैरिटी के मिशन में इस्तेमाल होगा.

- जब कभी कोई संस्था आपको चैरिटी को लेकर लिखित या अन्य कोई जानकारी देने से इंकार करे, तो समझ जाइए कि कुछ तो गड़बड़ है.

- कोई ऑर्गेनाइजेशन तुरंत दान करने की वकालत करे, नकद या मनीऑर्डर से पैसे भेजने की पेशकश करे, यहां तक कि कुरियर करने की सुविधा भी मुहैया करवाए, तो समझ जाइए कि यक़ीनन दाल में कुछ काला है.

- कई बार गुमराह करने के लिए सोशल वर्क करनेवाली किसी मशहूर संस्था का नाम और लोगो इस्तेमाल करने से भी लोग बाज नहीं आते.  

- ध्यान रहे, दान उन्हीं संस्थाओं या लोगों को दें, जिन्हें आप पहले भी दे चुके हैं और उनकी विश्‍वसनीयता के प्रति आश्‍वस्त हैं.

- कभी भी फोन पर पैसे मांगनेवाले अथवा घर-घर जाकर फंड इकट्ठा करने वालों पर तुरंत विश्‍वास न करें. उनसे चैरिटी को लेकर लिखित जानकारी मांगें. यदि आप चाहें तो अमुक संस्था से बात करके पता लगा लें कि वो शख़्स उनकी संस्था में काम करता है या नहीं.  

- हमेशा चेक या फिर क्रेडिट कार्ड से दान करें. नकद रुपए देने की भूल न करें. खुदा न खास्ता भविष्य में आपके साथ कोई धोखाधड़ी हो जाए, तो इससे अपराधी को पकड़ने में मदद मिल सकती है.

- राष्ट्रीय त्रासदियों व प्राकृतिक आपदाओं के उद्देश्य से चैरिटी के समय विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है, क्योंकि स्कैमर ताक में रहते हैं कि कहां नेचुरल डिजास्टर हो और वे अपना मतलब साध सकें.

- सोशल नेटवर्किंग के ज़रिए चैरिटी करते समय अधिक अलर्ट रहें. यहां पर सबसे अधिक फ्रॉड होता है और इनकी विश्‍वसनीयता भी अक्सर सवालों के घेरे में रहती है.

- बहुत सारे ऑर्गेनाइजेशन ऐसे भी होते हैं, जो कई ऐसे सामानों की बिक्री करते समय इस बात का दावा करते रहते हैं कि आमदानी का सौ प्रतिशत हिस्सा धर्म-कर्म के कामों में उपयोग होगा, जो अक्सर झूठ के सिवा कुछ नहीं होता. यहां पर यह पूछना आपका अधिकार है कि हर ख़रीद पर कितना प्रतिशत धर्मार्थ कामों में इस्तेमाल किया जाएगा.

कहीं तो लगाम लगाई जाए...

ऐसा देखा जाता रहा है कि चैरिटी के नाम पर घोटाला करने वाली न जाने कितनी संस्थाएं पकड़ी जाती हैं, पर लोगों की उदासीनता, समय का अभाव, टालने की प्रवृत्ति आदि के चलते मामला ठंडे बस्ते में बंद होकर रह जाता है. इसलिए यह ज़रूरी है कि चैरिटी स्कैम का पता चलने पर इसका भंडाफोड़ किया जाए, रिपोर्ट लिखाई जाए और मुक़दमा भी चलाया जाए. इससे इस तरह के अपराधों को अंजाम देने वाले ऐसा करने से पहले कई बार सोेचेंगे ज़रूर.  

इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहेंगे कि इस तरह ग़लत काम करनेवालों की वजह से सच्चे-अच्छे लोग भी कई बार सवालों के कठघरे में खड़े कर दिए जाते हैं.

चैरिटी अलर्ट

- चैरिटी स्कैम का पता करने और इसे ख़त्म करने के लिए समय-समय पर चैरिटी अलर्ट को लेकर दिशा निर्देश दिए जाते हैं. इससे अपडेट रहें.

- दानकर्ताओं को चैरिटी से जुड़ी तमाम ज़रूरी जानकारियां दी जाती हैं.

- भावनाओं में बहकर या फिर किसी के बहकावे में आकर कभी दान न करें.

- कोई भी चेक दे रहे हों, तो व्यक्ति विशेष के नाम पर न दें. संस्था के नाम पर दें.

- कैश देने से बचें. नकद देने का सबसे बड़ा नुक़सान यह होता है कि आपके पास केस करने व एक्शन लेने के लिए कोई काग़ज़ी सबूत नहीं रहता.

- ऊषा गुप्ता

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