आजकल अधिकांश लोग फिटनेस फ्रीक हो गए हैं. वैसे भी आजकल फ़िटनेस की बातें करना, उस पर दूसरों को सलाह देना, जिम जाना जैसे एक फैशन बन गया है, लेकिन फ़िटनेस पर बड़ा-बड़ा ज्ञान देनेवाले ये लोग ख़ुद ही फिटनेस के सही मायने से अंजान हैं. हममें से ज़्यादातर लोग फिटनेस मिथ्स का शिकार हैं, इसलिए ज़रूरी है कि इन मिथ्स को हम जानें और हक़ीक़त को पहचानें.
मिथ: बॉडी पार्ट को टारगेट करके वज़न कम किया जा सकता है.
सच्चाई: स्पॉट ट्रेनिंग एक मिथ है. कई लोग अपने बॉडी पार्ट को टारगेट करके वहां का फ़ैट कम करने की मंशा रखते हैं, जैसे- आर्म्स, थाईज़, टमी आदि, लेकिन यह संभव नहीं. फैट्स और वज़न पूरे शरीर का ही कम होगा, इसलिए सही ट्रेनिंग करें, संतुलित आहार लें और ख़ुश रहें.
मिथ: ज़ितना ज़्यादा पसीना बहाएंगे, उतना ज़्यादा वज़न कम होगा.
सच्चाई: ये सच है कि ज़्यादा वर्कआउट करने से ज़्यादा पसीना बहेगा, लेकिन पसीना आपके शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है यानी आपके शरीर को ठंडा रखने की प्रक्रिया में पसीना बहता है, लेकिन बहुत ज़्यादा पसीना बहाने के चक्कर में तेज़ी से या ज़्यादा वर्कआउट न करें, इससे सिर्फ़ और सिर्फ़ थकान ही होगी.
मिथ: सुबह जल्दी उठकर वर्कआउट करने से सबसे बेहतरीन परिणाम मिलते हैं.
सच्चाई: ये महज़ एक भ्रम है. दिन के किसी भी वक़्त जब भी आप कम्फर्टेबल हों, वर्कआउट कर सकते हैं और उसके भी वही परिणाम मिलेंगे, जो सुबह एक्सरसाइज़ करने से मिलते हैं. इसके अलावा यह भी माना जाता है कि सुबह एक्सरसाइज़ करने से आप दिनभर एनर्जेटिक फील करते हैं और आपका मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है, जबकि हक़ीक़त ये है कि अगर आपको सुबह जल्दी उठने की आदत नहीं है, तो सिर्फ़ वर्कआउट के लिए आप उठने की कोशिश करेंगे, तो ये आपके लिए थकानभरा होगा. ऐसा करने से आप दिनभर थकान महसूस करेंगे और आपका मेटाबॉलिज्म भी स्लो होगा.
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मिथ: देर तक और लंबे वर्कआउट्स बेहतर रिज़ल्ट देते हैं.
सच्चाई: अगर आप यह सोचते हैं कि घंटों कसरत करने से आपका वज़न जल्दी और तेज़ी से कम होगा, तो ये बिल्कुल ग़लत है. पूरे दिन में महज़ आधा-एक घंटा भी आप व्यायाम करते हैं, तो वो अच्छे रिज़ल्ट देगा, क्योंकि देर तक वर्कआउट न सिर्फ़ आपको थकाएगा, बल्कि आपको डीहाइड्रेट भी करेगा और आपको मसल क्रैंप्स होने लगेंगे.
मिथ: आप रोज़ जिम जाते हैं तो आपको डायट करने की ज़रूरत नहीं.
सच्चाई: सही वर्कआउट के साथ-साथ सही डायट भी बेहत ज़रूरी है. एक्सरसाइज़ से आपको 30-35% ही रिज़ल्ट मिलेगा, बाकी का काम डायट से ही होगा, इसलिए बैलेंस्ड डायट लें.

मिथ: डायटिंग का मतलब है भूखा रहना.
सच्चाई: ये सोच ही एकदम ग़लत है. डायटिंग का अर्थ है अनहेल्दी खाने को धीरे-धीरे हेल्दी और संतुलित आहार से रिप्लेस करना. भूखे रहने से आपका वज़न नहीं, शरीर का पोषण कम होगा. सही खाएं, ओवर ईटिंग से बचें. पूरी तरह से सब कुछ छोड़ने की बजाय धीरे-धीरे गोल और टारगेट सेट करें. चीट डे भी ज़रूरी है, जो पसंद है वो खाना बंद नहीं करना है, बल्कि अनुपात यानी रेशियो कम करना है. हेल्दी 80% और टेस्ट बड्स के लिए जो खाएं, वो 20% हो.
मिथ: प्रोटीन ही सब कुछ है, कार्ब्स और फैट्स पूरी तरह बंद करने ज़रूरी हैं.
सच्चाई: बहुत ज़्यादा प्रोटीन फ़ायदे की बजाय नुक़सान करता है. प्रोटीन के साथ-साथ आपको कार्ब्स और हेल्दी फैट्स लेने ज़रूरी हैं, ताकि पाचन तंत्र ठीक रहे. कार्ब्स आपको एनर्जी देते हैं, इसलिए हेल्दी कार्ब्स लें, जैसे- फ्रूट्स में केला, सेब, शकरकंद, बेरीज़, अनाज में ब्राउन राइस, ज्वार, राजमा, दालें, साबूत अनाज, ओटमील आदि. इसके अलावा दही, खजूर, सब्ज़ियां आदि. ठीक इसी तरह हेल्दी फैट्स भी बेहद ज़रूरी है, जैसे- नट्स, ऑलिव ऑयल, अंडे, डार्क चॉकलेट, ऐवोकैडो, सीड्स, फिश, टोफू, चीज़, ओमेगा 3, नारियल तेल आदि.
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मिथ: स्वीट यानी शुगर के हेल्दी ऑप्शंस- गुड और शहद जितना मर्ज़ी खाएं.
सच्चाई: ये हेल्दी विकल्प हैं, लेकिन अंततः ये हैं तो स्वीट ही. इनके अधिक सेवन से फ़ायदे की बजाय नुक़सान ही होगा. इसलिए गुड और शहद भी सीमित मात्रा में ही खाएं.
मिथ: पुरुष और महिलाओं के वर्कआउट्स अलग-अलग होते हैं, फीमेल को मेल एक्सरसाइज़ से बचना चाहिए.
सच्चाई: अधिकांश वर्कआउट्स दोनों के लिए एक ही तरह के होते हैं. ये आपकी मसल स्ट्रेंथ और आपके गोल पर निर्भर करता है कि आपको किस तरह का वर्कआउट करना है या नहीं करना है.
मिथ: वर्कआउट का रिज़ल्ट तभी मिलेगा, जब उसे डेली किया जाए.
सच्चाई: ऐसा कोई नियम नहीं है कि आपको रोज़ाना ही कसरत करनी है. आप हफ़्ते में 3 दिन भी कर सकते हैं, 4-5 दिन भी कर सकते हैं, ये आप पर और आपकी सुविधा पर निर्भर करता है.

मिथ: महिलाओं को वेट लिफ्ट नहीं करना चाहिए, इससे वो बल्की दिखेंगी.
सच्चाई: वेट लिफ़्टिंग से मसल स्ट्रेंथ बढ़ती है, मसल गेन होता है, हड्डियां मज़बूत होती हैं. महिलाएं इन्हें कर सकती हैं. हां, अब कोई भी वर्कआउट अगर आप ग़लत तरी़के से करेंगे तो वो नुक़सान करेगा, बेहतर होगा वर्कआउट अच्छे ट्रेनर की देखरेख में करें और हेल्दी रहें.
मिथ: आपके शरीर को डीटॉक्स के लिए मदद चाहिए होती है.
सच्चाई: पहली बात तो ये है कि शरीर नेचुरल तरीक़े से ख़ुद ही डीटॉक्स करता है. बॉडी में लिवर और किडनी ये काम करते हैं. दूसरे आपको सिर्फ़ इस बात का ख़्याल रखना है कि आपका डायट हेल्दी हो. शराब और अन्य हानिकारक चीज़ों का सेवन कम करें, इसलिए आपको भूखे रहने, इंटरमिटेंट फास्टिंग या डीटॉक्स ड्रिंक्स की कोई ज़रूरत नहीं.
मिथ: वेट लॉस के लिए डीटॉक्स डायट/ड्रिंक्स बेहद कारगर और सबसे सेफ हैं.
सच्चाई: डीटॉक्स ड्रिंक्स/डायट मात्र चंद पाउंड आपको हल्का कर सकती है, वो भी कुछ समय के लिए. लॉन्ग रन में ये कारगर नहीं. दूसरे, लोगों को लगता है कि डीटॉक्स ड्रिंक पूरी तरह सेफ हैं, लेकिन बिना एक्सपर्ट की सलाह के इनको लेना काफ़ी ख़तरनाक हो सकता है.
मिथ: पसीने के ज़रिए शरीर के टॉक्सिंस बाहर निकल जाते हैं.
सच्चाई: ये सबसे बड़ा भ्रम है, जिसमें कोई सच्चाई नहीं. जैसा कि हम पहले भी बता चुके हैं कि पसीने का मुख्य काम शरीर का तापमान नियंत्रित करना होता है और दूसरी बात ये कि टॉक्सिंस स्किन के ज़रिए बाहर नहीं निकल सकते. इसलिए स्वस्थ रहें, मस्त रहें, स्ट्रेस और किसी भी तरह के भ्रम से दूर रहें.
- गीता शर्मा
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