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हिंदी दिवस पर विशेष- हिंदी फिल्मों में हिंदी का मिक्सचर… (#Hindi Diwas Special- Hindi Mixed In Hindi Films)

 

हिंदी (Hindi) हमारी आन-बान-शान है. देश की आज़ादी से लेकर आपसी लगाव और एकता में भी हिंदी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. दिलों को जोड़ने में हिंदी फिल्मों (Hindi Films) का भी बहुत योगदान रहा है. देश-विदेश यानी एक तरह से पूरी दुनिया को हिंदी फिल्मों ने एक सूत्र में बांधा है.

Hindi Diwas Special

हमारे हिंदी फिल्मों के सितारों को विश्‍वभर में प्यार-अपनापन मिला है. फिर चाहे वो अमिताभ बच्चन हो, रितिक रोशन, अक्षय कुमार, शाहरुख, आमिर, सलमान ही क्यों न हो. फिल्मों ने भी हिंदी के प्रचार-प्रसार में अहम् भूमिका निभाई है. हिंदी की सरलता, चुटीली शैली और हास्य व्यंग्य ने भी सभी का ख़ूब मनोरंजन किया है. आइए, ऐसे ही कुछ फिल्मों पर एक नज़र डालते हैं...

Hindi Diwas Special

* अमिताभ-जया बच्चन, धर्मेंद्र, शर्मिला टैगोर, ओमप्रकाश अभिनीत 'चुपके-चुपके' फिल्म आज भी हिंदी के मज़ेदार प्रयोग के कारण सभी को ख़ूब हंसाती है. फिल्म में धर्मेंद का शुद्ध हिंदी वार्तालाप सुन हर कोई हंसी से लोटपोट हो जाता है. साथ ही ओमप्रकाशजी की प्रतिक्रियाएं सोने पे सुहागा का काम करती हैं.

Hindi Diwas Special

* अमोल पालेकर-उत्पल दत्त की हास-परिहास से भरपूर 'गोलमाल' ने हर दौर में दर्शकों को हंसने के मौक़े दिए हैं. इसमें भी अन्य साथी कलाकारों ओमप्रकाश, बिंदिया गोस्वामी, दीना पाठक, युनुस परवेज ने भी भरपूर साथ दिया. फिल्म में हिंदी के महत्व के साथ-साथ इसकी उपेक्षा की ओर भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया गया.

Hindi Diwas Special

* अक्षय कुमार की 'नमस्ते लंदन' में तो भारत देश के महत्व, हिंदी पर गौरव, हिंदी भाषा, हमारी संस्कृति, सभ्यता को बेहतरीन ढंग से महिमामंडित किया गया. फिल्म के एक दृश्य में तो अक्षय कुमार भारत की आन, परिवेश, महत्व की अपनी हिंदी में कही गई बात को लंदन में अंग्रेज़ों को कैटरीना कैफ के ज़रिए अंग्रेज़ी में जतला कर उन्हें करारा जवाब देते हैं.

Hindi Medium

* हिदी मीडियम फिल्म ने तो हिंदी के प्रति हमारे सौतेले व्यवहार पर ही हास्य के रूप में ही सही सशक्त व्यंग्य किया है. इसमें इरफान ख़ान व सबा कमर ने उम्दा अभिनय के ज़रिए दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया.

Hindi Diwas Special

साल १९१८ में महात्मा गांधीजी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने पर ज़ोर दिया था. उन्होंने इसे जनमानस की भाषा भी कहा था. आख़िरकार फिर १४ सितंबर, १९४९ के दिन हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिल. तब से हर साल यह दिन 'हिंदी दिवस' के रूप में मनाया जाता है.

हिंदी है हम!..

- ऊषा गुप्ता 

 

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