दर्द को मात दे दीपा ने जीता सिल्वर मेडल (Deepa wins silver medal )
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जज़्बे के आगे हार गया दीपा मलिक का दर्द. जी हां, रियो में चल रहे पैरालिंपिक में हर दिन भारतीय खिलाड़ी देश का गौरव बढ़ा रहे हैं. भारत की दीपा मलिक ने गोला फेंक प्रतियोगिता में रजत पदक जीतकर इतिहास रच डाला. दीपा ने गोला फेंक एफ-53 में सिल्वर मेडल जीता. पैरालिंपिक में किसी महिला का यह भारत के लिए पहला मेडल है.17 साल पहले जब ट्यूमर ने बदल दी दीपा की लाइफ
17 साल पहले दीपा भी आम महिला की तरह थीं, लेकिन एक ट्यूमर ने उनकी ज़िंदगी बदल दी. 17 साल पहले रीढ़ में ट्यूमर के कारण उनका चलना-फिरना असंभव हो गया था. इस रोग ने दीपा की कड़ी परिक्षा ली. दीपा के 31 ऑपरेशन किए गए, जिसके लिए उनकी कमर और पांव के बीच 183 टांके लगे थे.
मुश्किलों ने बनाया मज़बूत
अक्सर हम मुश्किलों के आगे हार जाते हैं, लेकिन दीपा ने अपने मुश्किल भरे समय में ख़ुद को संभाला और मानसिक रूप से और भी मज़बूत होकर मुश्किलों का सामना किया. रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर होने के बाद 31 ऑपरेशन और 183 टांके लगने के बाद भी उस दर्द को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया. ट्यूमर के उस दर्द को मात देकर दीपा आज इस मुक़ाम तक पहुंची हैं.
अपने नाम को सिद्ध कर दिखाया दीपा ने
दीपा, दीप से बना दीपा शब्द अपने आप में रोशनी का पर्याय है. बचपन में सोच-समझकर दीपा के माता-पिता ने उनका नाम दीपा रखा. अपनी प्रतिभा की रोशनी से दीपा पूरे देश को रोशन कर रही हैं. देश को अपनी इस खिलाड़ी पर नाज़ है.
उम्र के बैरियर को क्रॉस किया
आमतौर पर ये धारणा है कि किसी भी खेल में खिलाड़ियों का दमखम तभी तक चलता है, जब तक वो यंग होते हैं. उस समय उनमें ज़्यादा एनर्जी और गेम के प्रति हार्डकोर मेहनत करने की क्षमता होती है. जैसे-जैसे उम्र ढलने लगती है, खिलाड़ी खेल को छोड़ कुछ और करना शुरू कर देते हैं, लेकिन हरियाणा की दीपा मलिक ने इस एज बैरियर को कहीं पीछे छोड़ दिया. 30 सिंतबर 1970 में जन्मी दीपा मलिक ने 45 साल की उम्र में पैरालिंपिक में रजत पदक जीतकर दुनिया के सामने ये मिसाल रख दी कि अगर दिल में कुछ करने का जज़्बा हो, तो बढ़ती उम्र का बोझ कभी भी आपको झुका नहीं सकता. बस हमेशा ख़ुद पर
विश्वास रखिए और अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते रहिए, मज़िंल ख़ुद ब ख़ुद आपके पास पहुंचने को आतुर हो जाएगी.
बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं दीपा
अगर आपको ऐसा लगता है कि दीपा स़िर्फ गोला फेंक खेल में ही आगे हैं, तो आप ग़लत हैं. दीपा हरफनमौला खिलाड़ी हैं. गोला फेंक के अलावा दीपा भाला फेंक और तैराकी में हिस्सा ले चुकी हैं. वह अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में तैराकी में मेडल भी जीत चुकी हैं. भाला फेंक में उनके नाम पर एशियाई रिकॉर्ड है, जबकि गोला फेंक और चक्का फेंक में उन्होंने 2011 में वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता था. 2012 में दीपा मलिक को अर्जुन अवॉर्ड से नवाज़ा गया.
महिलाओं के लिए मिसाल क़ायम की
आमतौर पर भारत में 40 की उम्र पार करने के बाद भारतीय महिलाएं ख़ुद को एक ऐसे ज़ोन में सेट करने की कोशिश करने लगती हैं, जो आराम तलब हो. परिवार का काम करने के अलावा अपनी ज़िंदगी में किसी और तरह का काम करने के क़ाबिल वो ख़ुद को नहीं समझतीं. महिलाओं की इसी सोच को बदलने के लिए शायद इस उम्र में दीपा मलिक ने ये करतब कर दिखाया. वो महिलाओं के लिए एक मिसाल के रूप में ख़ुद को स्थापित कर चुकी हैं.
पीएम मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर बधाई देते हुए कहा, “शानदार, दीपा. पैरालंपिक में आपके रजत पदक ने राष्ट्र को गौरवांवित किया है. बधाइयां.”
क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर ने भी दी बधाई
दीपा की जीत के बाद पूरे देश से उन्हें बधाइयां मिलने लगीं. सचिन तेंदुलकर ने भी दीपा को बधाई देते हुए कहा, “पैरालिंपिक में लाजवाब प्रदर्शन के लिए बहुत-बहुत बधाई दीपा और जीत के लिए बहुत सारी शुभकामनाएं. ”
ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा ने भी दी बधाई
2008 के बीजिंग ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीतकर देश का गौरव बढ़ाने वाले अभिनव बिंद्रा ने भी दीपा मलिक की सफलता पर उन्हें बधाई दी. बिंद्रा ने कहा, “बहुत-बहुत बधाई दीपा. आप भारत के लिए एक प्रेरणा हैं.”