मॉनसून में ऐसे रहें फिट और हेल्दी (Ways To Stay Fit During Monsoon)
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मॉनसून में होनेवाली बीमारियां 1. मलेरिया: बारिश में जगह-जगह पानी जमा होनेे के कारण एनोफलीज़ मच्छर तेज़ी से पनपते हैं, जिसकी वजह से मलेरिया फैलता है. तेज़ बुख़ार, सिरदर्द, बहुत अधिक थकान, मांसपेशियों में दर्द, पेटदर्द, उल्टी आदि इसके शुरुआती लक्षण हैं.
2. डायरिया: इसे ङ्गस्टमक फ्लूफ या ङ्गइंटेस्टाइनल फ्लूफ भी कहते हैं, जो बैक्टीरिया और वायरस के कारण फैलता है. फूड पॉयज़निंग, कोलाईटिस, बैक्टीरियल या वायरल इंफेक्शन होने के कारण डायरिया होता है. यह दो-तीन दिन तक रहता है. इसके लक्षण हैं- दस्त, उल्टी, मितली, पेट में
दर्द आदि.
3. हैजा:बारिश में दूषित भोजन और गंदा पानी पीने से हैजा होता है. यह आंतों में होनेवाला गंभीर रोग है. थोड़ी-सी लापरवाही बरतने पर यह जानलेवा भी हो सकता है. शरीर में बैक्टीरिया के प्रवेश करने के
दो-तीन दिन बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं. दस्त, उल्टी होना, पेट में तेज़ दर्द, बेचैनी, बार-बार प्यास लगना इसके मुख्य लक्षण हैं.
4. टायफॉइड: यह मॉनसून में होनेवाली सबसे ख़तरनाक बीमारी है, जो संक्रमित जल और दूषित भोजन खाने से होती है. सही तरह से इलाज न कराने पर टायफॉइड दोबारा भी हो सकता है.
5. चिकनगुनिया: वायरस से फैलनेवाली यह बीमारी एडिस मच्छर के काटने से होती है. यह मच्छर आमतौर पर दिन में काटता है. तेज़ बुख़ार, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव, सिरदर्द, उल्टी और चक्कर आना आदि इसके सामान्य लक्षण हैं.
6. डेंगू: मलेरिया और चिकनगुनिया की तरह डेंगू भी मादा एडिस मच्छर के काटने से होनेवाला वायरल इंफेक्शन है. तेज़ बुख़ार, सिरदर्द, बदन दर्द, उल्टी, चक्कर और कमज़ोरी महसूस होना आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं. डेंगू के मच्छर गंदे पानी में पनपने की बजाय साफ़ पानी में पनपते हैं, इसलिए घर के अंदर-बाहर, उसके आसपास, कूलर, गमलों आदि में पानी जमा न होने दें.
7. मौसमी बीमारियां: बरसात में बैक्टीरिया और जर्म्स बहुत अधिक एक्टिव हो जाते हैं. जगह-जगह पर कचरे के ढेर होने के कारण बैक्टीरिया और जर्म्स को पनपने का अवसर मिल जाता है, जिसके कारण खांसी-ज़ुकाम, बुख़ार तेज़ी से फैलता है.
मॉनसून में ऐसे रहें फिट
बरसात का मौसम न तो बहुत गरम होता है और न ही बहुत ठंडा, लेकिन नमी बहुत अधिक होती है, जो पाचन क्रिया को धीमा कर देती है, जिसके कारण अपच, एसिडिटी, पेट फूलना आदि तकली़़फें होती हैं.
इस मौसम में चटपटा व मसालेदार खाना खाने का मूड होता है, किंतु बहुत ज़्यादा चटपटा, मसालेदार और तैलीय खाना खाने से पाचन संबंधी परेशानियां बढ़ जाती हैं.
बारिश में भीगना सभी को अच्छा लगता है, लेकिन बारिश में भीगने से बचें. भीगने के कारण बुख़ार, सर्दी-ज़ुकाम, बदनदर्द और अन्य मौसमी बीमारियां हो सकती हैं.
विशेष रूप से बच्चों को बारिश में भीगने न दें और न ही बारिश के गंदे पानी में उन्हें खेलने दें.
बारिश के गंदे पानी से पैरों व एड़ी पर फंगल इंफेक्शन हो सकता है.
गंदे हाथों से अपने चेहरे को न छुएं, क्योंकि नाक और मुंह के ज़रिए जर्म्स और वायरस आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं.
भीगने के बाद पैरों को रैशेज़ और फंगल इंफेक्शन से बचाने के लिए उन्हें क्लीन व ड्राई रखें.
बार-बार गीले जुराब व जूते पहनने से भी पैरों और उनके नाखूनों में संक्रमण हो सकता है.
बारिश में भीगने के बाद घर आकर ज़रूर नहाएं, ताकि बारिश के पानी से होनेवाले त्वचा संबंधी संक्रमण से बचा जा सके.
इस मौसम में त्वचा पर पसीने व नमी की परतें जमने लगती हैं. त्वचा को ड्राई रखने के लिए एंटी फंगल टैल्कम पाउडर का इस्तेमाल करें.
गंदे पानी के कारण यदि त्वचा संबंधी संक्रमण होने लगे, तो टैल्कम पाउडर की जगह मेडिकेटेड पाउडर लगाएं.
अस्थमा व डायबिटीज़ के मरीज़ गीली व नमीवाली दीवारों के आसपास न बैठें.
बारिश में यदि आपके बाल और कपड़े गीले हो गए हैं, तो एयर कंडीशनरवाले कमरे में न बैठें.
भीगने के बाद शरीर को अच्छी तरह से पोंछें. सर्दी-ज़ुकाम और ठंड से शरीर को बचाने के लिए सूखे व गरम कपड़े पहनें.
बारिश में कीड़े-मकौड़ों से बचने के लिए घर पर एंटी बैक्टीरियल स्प्रेज़ का इस्तेमाल करें.
बारिश में भीगने पर बुख़ार, शरीर में दर्द, सर्दी-जुक़ाम, फंगल या त्वचा संबंधी संक्रमण होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. ज़्यादा होने पर ये संक्रमण दर्दनाक भी हो सकते हैं.