भारत का इतिहास बहुत ही भव्य है और हमारे देश में बहुत-सी दिलचस्प घटनाएं घटित हुई हैं. बॉलीवुड जब उनमें से ही किसी घटना को उठाकर उसपर फिल्म बनाता है तो कभी-कभी मास्टर पीस तैयार हो जाता है. इन फिल्मों में सच्ची घटनाओं को कहानी के माध्यम से परोसा जाता है, जो दर्शकों में रुचि पैदा करता है. हम आपको बॉलीवुड (Bollywood) की कुछ ऐसी ही फिल्मों (Films) के बारे में बता रहे हैं, जो सच्ची घटनाओं (Real Events) पर आधारित हैं.
बेंडिट क्वीन
शेखर कपूर द्वारा डायरेक्ट की गई मूवी बेंडिट क्वीन फूलन देवी की कहानी है, जो भारतीय इतिहास की सबसे चर्चित महिला डकैत थीं. इस फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह बचपन में ही फूलन की शादी हो जाती है और उन्हें शारीरिक और मानसिक यांत्रणाओं का समाना करना पड़ता है और किस तरह वे परिस्थितियों के आगे मजबूर होकर डाकू बन जाती हैं. शेखर कपूर ने बेंडिट क्वीन में फूलन देवी की जीवनयात्रा का परफेक्ट चित्रण है.
ब्लैक फ्राइडे
अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित यह फिल्म 1993 में बम ब्लास्ट पर आधारित है. जो कि जाने-माने पत्रकार हुसैन ज़ैदी की किताब ब्लैक फ्राइडे से प्रेरित है. ब्लास्ट के सीन के साथ शुरू हुई यह मूवी इस घटना के आफ्टर इफेक्ट के बारे में भी बताती है. इस फिल्म के बम ब्लास्ट के कारणों सहित दाउद इब्राहिम और उनके परिवारवालों के बारे में भी बताया गया है.
फिराक
हम सभी जानते हैं कि 2002 में गुजरात में हुए गोधरा दंगों ने किस तरह भारतीय समाज के कई तबकों की ज़िंदगी को प्रभावित किया था. गोधरा हत्याकांड और उसके बाद हुए दंगों के बारे में बहुत से लेखकों ने लिखा है, लेकिन नंदिता दास ने जब उसे पर्दे पर उतारा तो बहुत-से रहस्यों से पर्दा हटा. इस फिल्म में बताया गया कि दंगे के कारण किस तरह आम लोगों की ज़िंदगियां प्रभावित हुईं. इस फिल्म को दो नेशनल अवॉर्ड्स मिले हैं.
शाहिद
यह फिल्म लॉयर और एक्टिविस्ट शाहिद आज़मी की ज़िंदगी पर आधारित है. जो मुस्लिमों के आधिकारों के रक्षा करते-करते मारे गए थे. यह फिल्म हमें कई ऐसी सच्चाइयां बताती हैं, जो हम स्वीकार नहीं करना चाहते. शाहिद आज़मी के बारे में बहुत से लोगों को ग़लतफहमी थी, लोग उन्हें आंतकवादी समझते थे. इस फिल्म के माध्यम से बताया गया है कि कैसे लोग किसी के बारे में पूरा सच जाने बिना अपनी राय बना लेते हैं.
नो वन किल्ड जेसिका
यह फिल्म दिल्ली के मशहूर जेसिका लाल मर्डर कांड पर आधारित है, जिसमें कई लोगों के सामने एक बार में जेसिका लाल नामक महिला की हत्या कर दी जाती है, लेकिन इसके बावजूद हत्या की गवाही देने के लिए गवाहों की कमी पड़ गई थी. इस फिल्म में बताया गया है कि कैसे अमीर और प्रभावशाली अपने पावर का गलत इस्तेमाल करते हैं और किस तरह मीडिया के मदद से एक परिवार को अंत में न्याय मिलता है. आमतौर पर फिल्मों में मीडिया का निगेटिव पक्ष रखा जाता है, लेकिन इस फिल्म उसे एक अलग रूप में प्रस्तुत किया गया है.
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