Link Copied
दमा के मरीज़ क्या खाएं, क्या न खाएं (Diet Guide For Asthma Patients)
हमारे खानपान का सीधा संबंध हमारे स्वास्थ्य (Health) से होता है. स्वस्थ रहने व महसूस करने के लिए पौष्टिक खाना (Nutritious Food) बहुत ज़रूरी है. अस्थमा (Asthma) जैसी बीमारी में खानपान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन से दमा उभरता है, जबकि कुछ खाद्य सामग्रियां दमे को शांत करती हैं. ख़ासतौर पर ठंड का मौसम दमा के मरीज़ों (Asthma Patients) के लिए बहुत कठिन होता है, लेकिन कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन करके स्थिति को क़ाबू में रखा जा सकता है.
ब्राउन राइस
ब्राउन राइस अस्थमा व फेफड़ों से संबंधी बीमारी से जूझ रहे लोगों के डायट का अभिन्न अंग होना चाहिए. यदि किसी व्यक्ति की पाचन शक्ति कमज़ोर है, तो ब्राउन राइस पकाते समय ख़ास सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि चावल को पचाने में आसानी हो. ऐसे लोगों के लिए ब्राउन राइस की खिचड़ी अच्छा विकल्प है. शुरुआत में इसे हफ़्ते में तीन से चार दिन खाएं. जिन लोगों को इरिटेबल बाउल सिंड्रोम जैसी पेट संबंधी कोई बीमारी न हो वे रोज़ाना ब्राउन राइस का सेवन कर सकते हैं.
दाल
दाल प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत होती है. काला चना, हरी और पीली मूंग दाल, कुलथी और सोयाबीन फेफड़ों के लिए बेहतरीन दालें हैं. ये हमारे पाचन तंत्र के साथ-साथ किडनी व एड्रीनल ग्रंथियों को भी मज़बूत बनाती हैं. इसका सकारात्मक प्रभाव शरीर के अन्य अंगों पर पड़ता है. लेकिन ध्यान रखें कि इन दालों को अच्छी तरह पकाना बहुत ज़रूरी है, ताकि ये शरीर में आसानी से अवशोषित हो सकें. इतना ही नहीं, इन दालों को अंकुरित करके उनका इस्तेमाल सलाद या सूप में भी किया जा
सकता है. चूंकि फेफड़ों और बड़ी आंत की फंक्शनिंग आपस में जुड़ी हुई होती है, इसलिए पाचन प्रक्रिया को सुचारु रखने के लिए इन दालों को अच्छी तरह पकाना बहुत ज़रूरी होता है. इसके अलावा अरहर दाल, मोथ दाल और चना दाल भी बहुत फ़ायदेमंद होती है. जिस भी दाल का रंग गहरा होता है, उसमें कई मिनरल्स होते हैं और उनसे पाचन संबंधी समस्याएं नहीं होती हैं. हफ़्ते में कम से कम तीन से चार दिन ऐसी दालें अवश्य खाएं. इसके ठीक विपरीत स़फेद चावल या पॉलिश की हुई दाल सेहत के लिए अच्छी नहीं होती है. जो लोग स़िर्फ पॉलिश की हुई दाल खाते हैं, उनका पाचन तंत्र कमज़ोर हो जाता है.
हरी पत्तेदार सब्ज़ियां
हमारे फेफड़ों के लिए हरी सब्ज़ियां फ़ायदेमंद होती हैं. जिस तरह पेड़ में पत्तियां बाहर की ओर उगती हैं, उसी तरह फेफड़ा भी शरीर के ऊपरी हिस्से में होता है और ब्रोन्कॉइटल ट्यूब्स भी पत्तियों की तरह फैले होते हैं. फाइबर युक्त हरी सब्ज़ियों का सेवन करने से फेफड़ों में कफ एकत्रित नहीं होता, जिससे अस्थमा का अटैक होने की संभावना कम हो जाती है. ग़ौरतलब है कि कफ़ के कारण भी अस्थमा उभर सकता है. रोज़ाना हरी सब्ज़ी का सेवन करने से बड़ी आंत और फेफड़े दोनों ही स्वस्थ रहते हैं.
कफ को पतला करनेवाली सब्ज़ियां
स़फेद मूली, लाल मूली, कद्दू, ब्रोकोली और रतालू जैसी सब्ज़ियों का सेवन करने से छाती में कफ जमने की आशंका कम होती है. इसके ठीक विपरीत स़फेद चावल, पास्ता, चीज़, मक्खन, दूध और शक्कर शरीर में जाकर कफ में परिवर्तित हो सकता है. ऐसे में तीखी और कड़वी सब्ज़ियां, जैसे-सफेद मूली, लाल मूली, अदरक, हरी प्याज़, करेला आदि कफ को गलाने का काम करते हैं. इसके अलावा हल्की मीठी और गर्म तासीरवाली सब्ज़ियां, जैसे-गाजर, फूलगोभी, प्याज़, लौकी और शकरकंद का भी सेवन करना ज़रूरी होता है. अगर आप अपने फेफड़ों और शरीर से अतिरिक्त म्यूकस यानी कफ को कम करने की कोशिश कर रहे हैं तो कड़वी सब्ज़ियों के साथ मीठी सब्ज़ियों का सेवन ज़रूर करें.
फर्मेंटेड फूड्स
हमारे पेट में लाखों बैक्टीरिया होते हैं. लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि सभी बैक्टीरिया सेहत के लिए अच्छे नहीं होते. ऐसे में हमारा मुख्य उद्देश्य पेट में गुड बैक्टीरिया की मात्रा का बढ़ाना है. आपको एक बात बता दें कि हमारे पेट की बनावट मस्तिष्क से मिलती-जुलती है इसलिए ये दोनों आपस में जुड़े होते हैं. अतः हम जो खाते हैं, उसका सीधा प्रभाव हमारे मस्तिष्क और मूड पर पड़ता है. इस तथ्य को मेडिकल जगत भी स्वीकार करता है. बहुत से मनोचिकित्सक मेंटल हेल्थ सुधारने के लिए पेट की सेहत पर ध्यान देते हैं, क्योंकि पेट को सेकेंड ब्रेन कहकर भी पुकारा जाता है. बहुत से अध्ययनों से यह सिद्ध हुआ है कि वैगस नर्व्स पेट और मस्तिष्क के बीच मैसेज का आदान-प्रदान करता है. फर्मेंंटेड फूड्स पेट में गुड बैक्टीरिया व माइक्रोब्स की संख्या बढ़ाने में मदद करते हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप फर्मेंटेड फूड्स के चक्कर में बीयर और वाइन इत्यादि का सेवन शुरू कर दें. इटली, डोसा, अप्पम, अचार इत्यादि हेल्दी फर्मेंटेड फूड्स हैं. ऐसे खाद्य पदार्थ पेट में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाते हैं.
ये भी पढ़ेंः इन 9 पोषक तत्वों की कमी से हो सकता है डिप्रेशन ( Nutritional Deficiencies That May Cause Depression)
समुद्री सब्ज़ियां
ज़्यादातर लोग समुद्री सब्ज़ियों का सेवन नहीं करते. आमतौर पर लोगों को ये पसंद नहीं आती हैं, जबकि सच्चाई यह है कि समुद्री सब्ज़ियां सेहत के लिए बहुत अच्छी होती हैं. ये मिनरल्स और फाइबर से भरपूर होती हैं और शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में मदद करती हैं. ये सब्ज़ियां थायरॉइड, हार्मोन्स, नर्वस सिस्टम और हड्डियों के लिए फ़ायदेमंद होती हैं. इनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो हमारे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता के लिए अच्छे माने जाते हैं.
सेब
ब्रिटेन में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग अन्य सावधानियों के साथ-साथ हफ़्ते में दो से पांच सेब का सेवन करते हैं, उन्हें अस्थमा अटैक होने का ख़तरा ऐसा न करनेवालों की तुलना में 32 फ़ीसदी कम होता है. लेकिन इससे कम सेब खाने से कोई फ़ायदा नहीं होता. शोधकर्ताओं के अनुसार, ऐसा सेब में मौजूद फ्लैवोनॉइड्स के कारण होता है. फ्लैवोनॉइड्स फेफड़ों तक ऑक्सीज़न पहुंचानेवाले पाइप्स को खोल देते हैं.
ये भी पढ़ेंः 10+ अस्थमा से जुड़े मिथकों की सच्चाई (10+ Asthma Myths Busted)
विटामिन सी युक्त फूड्स
विटामिन सी एक ऐसा एंटीऑक्सीडेंट है, जो फ्री रेडिकल्स से हमारे फेफड़ों की रक्षा करता है. जापान में हुए एक अध्ययन से इस बात की पुष्टि हुई है कि जो लोग भरपूर मात्रा में विटामिन सी का सेवन करते हैं, उन्हें अस्थमा का अटैक होने का ख़तरा कम होता है. वैसे तो विटामिन सी बहुत से खाद्य पदार्थों में पाया जाता है, लेकिन यह प्रमुख रूप से सिट्रस फूट्स, खरबूज, संतरा, किवी और ब्रोकोली में भरपूर मात्रा में होता है.
बीटा कैरोटीन
बीटा कैरोटीन अस्थमा के रोगी के लिए बहुत फ़ायदेमंद होता है. गाजर में यह तत्व भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा खुबानी, चेरी, हरी मिर्च, शिमला मिर्च और शकरकंद खाना भी लाभकारी है.
शहद और दालचीनी
रात को सोने से पहले एक चम्मच शहद में 2-3 चुटकी दालचीनी का पाउडर मिक्स करके खाने से अस्थमा के मरीज़ों को बहुत फ़ायदा होता है. सुबह उठने के बाद फिर यही प्रक्रिया दोहराना चाहिए. कुछ दिन लगातार इस प्रयोग से दमा रोग में बहुत आराम मिलता है.
कॉफी
कॉफी प्रेमियों के लिए ख़ुशखबरी है. एक शोध में पाया गया है कि कॉफी फेफड़ों को ऑक्सीज़न पहुंचाने वाले पाइप्स की कायर्र्क्षमता बढ़ाता है. कैफीन एक प्रकार का ब्रॉन्कोलाइटर है, जो एयरफ्लो को बेहतर बनाता है. कॉफी के साथ-साथ ब्लैक टी भी अस्थमा पीड़ितों के लिए फ़ायदेमंद होती है.
तुलसी
तुलसी की चाय या फिर 1 कप गर्म पानी में 2-3 पत्ते तुलसी के डालकर पीने से बहुत फ़ायदा होता है.
अलसी
अलसी में मैग्नीशियम जैसे ओमेगा3 फैटी एसिड्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है. बहुत से अध्ययनों से सिद्ध हुआ है कि अलसी और सैल्मन मछली जैसे ओमेगा3 फैटी एसिड्स से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना अस्थमा में फ़ायदेमंद होता है. अलसी में मौजूद मैग्नीशियम फेफड़ों के मसल्स को रिलैक्स करता है और उन्हें खुला रखने में मदद करता है.
अस्थमा को बढ़ाने वाले फूड्स
अंडे, खट्टे फल, गेहूं, सोया और इससे बने पदार्थ अस्थमा रोगियों के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं. अस्थमा रोगियों को अपने आहार से इन खाद्य पदार्थों को बिल्कुल हटा देना चाहिए. कई लोगों के लिए खट्टे फल और अंडे फ़ायदेमंद हो सकते हैं, लेकिन कई मरीज़ों में इन खाद्य पदार्थों से समस्याएं होने लगती हैं. कुछ लोगों को केला, पपीता, चावल, चीनी और दही से भी अस्थमा उभर जाता है. इसके अलावा तले हुए खाद्य पदार्थों से दूरी बनाकर रखना चाहिए. अस्थमा के मरीज़ों को मूंगफली खाने से भी परहेज़ करना चाहिए. इस रोग में ज़्यादा नमक का सेवन करना भी सही नहीं होता है. साथ ही जंक फूड और डिब्बाबंद भोजन, बासी व ठंडा खाना, मक्खन आदि भी परेशानी को और भी बढ़ा सकते हैं.
ये भी पढ़ेंः विंटर डायट टिप्स (Winter Diet: Best Foods To Eat In Winter To Stay Healthy)