- आपकी उम्र 16 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिए.
- किसी भी प्रोफेशनल, वोकेशनल या एकैडमिक कोर्स में मेरिट या एंट्रेंस टेस्ट पासकर दाख़िला मिला हो.
- भारत में उच्च शिक्षा के लिए ञ्च् 10 से 15 लाख तक का लोन मिलता है, जबकि विदेश में पढ़ाई के लिए अधिकतम लोन अमाउंट ञ्च् 20 लाख है.
- अगर आपके लोन की रक़म ञ्च् 4 लाख से ज़्यादा है, तो लोन की रक़म वापस लौटाने के लिए आपको इन्कम प्रूफ जमा करना होगा.
- अगर लोन अमाउंट ञ्च् 7.5 लाख से ज़्यादा है, तो इन्कम प्रूफ के साथ-साथ कोलैटरल सिक्योरिटी की भी ज़रूरत पड़ती है. कोलैटरल सिक्योरिटी यानी लोन रीपेमेंट की तसल्ली के लिए बैंक प्राइमरी सिक्योरिटी के अलावा इसकी मांग भी करते हैं, जो कोई प्रॉपर्टी, फिक्स डिपॉज़िट, लाइफ पॉलिसी, शेयर्स या थर्ड पार्टी गारंटी हो सकती है.
- कॉमर्स के क्षेत्र से जुड़े चार्टेड अकाउंटेंट (सीए), कंपनी सेक्रेटरी (सीएस), कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंटेंसी (सीडब्ल्यूए), चार्टेड फाइनेंशियल एनालिस्ट (सीएफए), मेडिसिन,
- इंजीनियरिंग आदि प्रोफेशनल और वोकेशनल कोर्सेस.
- सरकार व यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) द्वारा मान्यता प्राप्त ग्रैजुएशन व पोस्ट ग्रैजुएशन कोर्सेस.
- मान्यता प्राप्त फॉरेन यूनिवर्सिटी द्वारा भारत में होनेवाले कोर्सेस के लिए.
- आईआईटी व आईआईएम द्वारा चलाए जानेवाले कोर्सेस के लिए.
- किसी मान्यता प्राप्त फॉरेन यूनिवर्सिटी में एमबीए, एफसीए या मेडिसिन का कोर्स करने के लिए.
- जिस कोर्स व कॉलेज में एडमिशन लेने जा रहे हैं, उस कोर्स का एडमिशन लेटर व कॉलेज की पूरी जानकारी.
- कोर्स के फीस की विस्तृत जानकारी.
- मार्कशीट की एक कॉपी और उसी से जुड़े कुछ ज़रूरी काग़ज़ात.
- उम्र व पहचान पत्र. अगर आपका उस बैंक में अकाउंट नहीं है, तो आपको इसके साथ-साथ रेसिडेंस प्रूफ भी देना होगा.
- गार्जियन या पैरेंट्स की इन्कम का प्रूफ. (अगर एप्लीकेंट ख़ुद कमा रहा है, तो पिछले दो महीने के सैलरी स्लिप, अगर एप्लीकेंट सेल्फ एम्प्लॉइड है, तो पिछले छह महीने के बैंक स्टेटमेंट और अगर एप्लीकेंट प्रोफेशनल और सेल्फ एम्प्लॉइड है, जैसे- सीए या सीएस तो इन का़ग़ज़ात के साथ-साथ आपको पिछले दो साल का इन्कम टैक्स रिटर्न भी दिखाना होगा).
- दो लेटेस्ट पासपोर्ट साइज़ फोटोग्राफ्स.
- अगर एप्लीकेंट को साथ में ही कोई स्कॉलरशिप भी मिली है, तो स्कॉलरशिप के लेटर की एक कॉपी.
- अगर विदेश में पढ़ाई के लिए जा रहे हैं, तो पासपोर्ट व वीज़ा की 1-1 कॉपी.
- अगर आपके पास बैंक जाने का समय नहीं है, तो आप उस बैंक की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन भी इसके लिए अप्लाई कर सकते हैं.
- एजुकेशन लोन पर दिए जानेवाले ब्याज की राशि पर आपको इन्कम टैक्स में छूट भी मिल सकती है.
- व्यक्तिगत सफलता के अलावा इसके कारण देश में साक्षरता दर में भी बढ़ोतरी हुई है.
- जाने-माने शिक्षण संस्थान में दाख़िला लेने पर कई राष्ट्रीय बैंक एजुकेशन लोन में डिस्काउंट भी देते हैं. इसलिए किसी भी बैंक में एजुकेशन लोन लेने से पहले उनकी प्रायोरिटी लिस्ट ज़रूर देख लें.
- कई बैंक ग्राहकों को लुभाने के लिए एजुकेशन लोन के साथ-साथ इंश्योरेंस भी देते हैं, जिसके लिए आपको मासिक प्रीमियम भरना होता है या फिर वह फ्री होता है.
- 4 लाख तक के लोन पर कोई ब्याज नहीं देना पड़ता. इसके अलावा आपको कोई सिक्योरिटी भी नहीं देनी पड़ती.
- कुछ लोग एजुकेशन लोन की बजाय पर्सनल लोन लेते हैं, क्योंकि एजुकेशन लोन में लिमिटेशन होता है और उन्हें उससे ज़्यादा अमाउंट चाहिए होता है. पर यहां ध्यान देनेवाली बात यह है कि एजुकेशन लोन के ब्याज की दर पर्सनल लोन के मुक़ाबले बहुत कम होती है और एजुकेशन लोन में पर्सनल लोन की बजाय रीपेमेंट ऑप्शन्स ज़्यादा हैं.
- कोर्स ख़त्म होने के सालभर बाद या नौकरी मिलने के छह महीने बाद आपके रीपेमेंट की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. लोन चुकाने के लिए आपको पांच से सात साल का समय दिया जाता है.
- एजुकेशन लोन लेना चाहते हैं, तो सबसे पहले कुछ राष्ट्रीय बैंकों के ब्याज दर को टैली कर लें. कई बैंक मनमाने ढंग से ब्याज वसूलते हैं, इसलिए ब्याज दरों की विस्तृत जानकारी लेना बहुत ज़रूरी है, वरना आप भारी ब्याज दर पर लोन चुकाने पर मजबूर हो जाएंगे.
- एजुकेशन लोन लेने से पहले सबसे ज़रूरी है, ब्याज के भुगतान की पूरी जानकारी लेना. कुछ बैंक फ्लोटिंग रेट पर लोन देते हैं, तो कुछ फिक्स्ड रेट पर. फ्लोटिंग रेट पर लिए गए लोन में ब्याज दर बाज़ार के घटने-बढ़ने के साथ घटता-बढ़ता रहता है, जबकि फिक्स्ड रेट में ब्याज फिक्स रहता है. अगर आपको लगता है कि भविष्य में बाज़ार के बढ़ने की उम्मीद है, तो फिक्स रेट पर ही लोन लेना सही होगा. कभी-कभार ऐसा भी देखने को मिलता है कि फिक्स रेट में कुछ समय बाद बढ़ोतरी कर दी जाती है. इसलिए बैंक से पहले ही पूरी जांच-पड़ताल कर लें कि भविष्य में ऐसा कुछ तो नहीं होगा.
- ब्याज किस प्रकार से चार्ज किया जाता है, यह देखना भी बहुत ज़रूरी है. यह मासिक होगा या त्रैमासिक जानना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि उसी के अनुसार आपको ब्याज भरना पड़ेगा.
- आप जिस बैंक से लोन ले रहे हैं, वहां इस बात की तसल्ली ज़रूर कर लें कि आपको कोर्स ख़त्म होने के बाद रीपेमेंट के लिए कितना समय दिया जा रहा है और क्या वह समय आपके लिए पर्याप्त है.
- एजुकेशन लोन पर लगनेवाली प्रोसेसिंग फीस, एडमिनिस्ट्रेटिव फीस और डॉक्यूमेंटेशन कॉस्ट बहुत कम होनी चाहिए. लोन के लिए अप्लाई करने से पहले 2-3 बैंकों के फीस स्ट्रक्चर के बारे में पता लगाएं.
- ज़्यादातर बैंक में ञ्च् 4 लाख के ऊपर लोन के लिए आपको सिक्योरिटी और को-एप्लीकेंट की ज़रूरत पड़ती है. हर बैंक के अपने कुछ ख़ास नियम होते हैं, इसलिए लोन लेने से पहले सिक्योरिटी और गैरंटर आदि के बारे में पूरी जानकारी लें.
- इसके अलावा डाउन पेमेंट के बारे में भी जानकारी हासिल कर लें. लोन लेने से पहले आपके एजुकेशन लोन का 5-20% तक अमाउंट आपको बैंक को डाउन पेमेंट के तौर पर देना पड़ता है. डाउन पेमेंट का प्रतिशत हर बैंक का अलग-अलग होता है, इसलिए इस बात पर भी ग़ौर करके ही लोन लें.
- अक्सर बैंक ब्याज दर के अलावा कई और तरह के फीस के नाम पर ज़्यादा चार्ज करने की कोशिश करते हैं. इसलिए लोन लेने से पहले सभी चार्जेज़ के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लें.
- लोन लेने से पहले प्रोसेसिंस टाइम के बारे में जान लें, क्योंकि इससे आपको यह पता चलेगा कि लोन अमाउंट आपको कब मिलेगा. प्रोसेसिंग टाइम पीरियड के बारे में हर बैंक एक निश्चित समय देता है, लेकिन कई बार इसमेें काफ़ी देरी हो जाती है, जिसके कारण एडमिशन मेें परेशानी आ सकती है.
- कोर्स पूरा होने और जॉब मिलने के बाद ही रीपेमेंट की प्रक्रिया शुरू होती है, लेकिन कई बार समय सीमा कम पड़ती है, इसलिए अगर आप चाहें, तो कोर्स पूरा होने के पहले से ही रीपेमेंट की शुरुआत कर सकते हैं.
- लोन से जुड़े सभी नियम व शर्तों को ध्यानपूर्वक पढ़ें.
- उस बैंक की विश्वसनीयता की जांच के लिए आप उस बैंक के वर्तमान ग्राहकों से अधिक जानकारी ले सकते हैं.
- कर्ज़ तो कर्ज़ ही होता है, इसलिए कोशिश करें कि कम से कम लोन लेना पड़े.
- कोर्स के दौरान मासिक तौर पर थोड़ी-बहुत रक़म जमा करके आप ब्याज के बोझ तले दबने से बच सकते हैं.
- अनीता सिंह
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