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हाथ धोने से जुड़े मिथकों की सच्चाई (Hand Washing Myths Busted)

स्कूल हो, अस्पताल हो या फिर ऑफिस... कीटाणु (Germs) हर जगह मौजूद होते हैं. हम दिनभर अलग-अलग चीज़ों को छूते रहते हैं. ऐसे में कीटाणुओं से बचने के लिए सही तरी़के से हाथ धोना (Hand Wash) बहुत ज़रूरी है. ताकि बीमारी को फैलने से रोक जा सके. इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम आपको हाथ धोने से जुड़े मिथकों (Myths) की सच्चाई बता रहे हैं. Hand Washing Myths अगर आपको लगता है कि आपको हाथ धोने का सही तरीक़ा पता है तो एक बार और सोच लीजिए, क्योंकि वर्ष 2013 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, केवल 5 फ़ीसदी लोग ही अपना हाथ सही तरी़के से धोते हैं. डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन सेंटर के अनुसार, बीमार होने से बचने और कीटाणुओं को फैलने से रोकने के लिए हाथ धोना सबसे ज़रूरी कदमों में से एक है. यूएस नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के शोधकर्ताओं ने पाया कि लोग घंटेभर में औसतन 3 से 4 बार अपने चेहरे को छूते हैं. चूंकि 50 फ़ीसदी से अधिक लोगों के नाक, गले के आस-पास व त्वचा पर स्टेफिलोकोकस ऑरियस नामक बैक्टीरिया होता है इसलिए हाथ धोने में किसी तरह की ग़लती बीमारी को न्यौता देने जैसा है. मिथकः अगर आप साबुन से हाथ धो रहे हैं तो इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आपने कितनी देर तक हाथ धोया. सचः यह सोच बिल्कुल ग़लत है. अगली बार हाथ धोते समय अपना मनपसंद गाना गुनगुनाएं. अध्ययनों से यह सिद्ध हुआ है कि कीटाणुओं से छुटकारा पाने के लिए हाथों को साबुन से कम से कम 15 से 30 सेकेंड तक रगड़ना चाहिए. Hand Wash Myths मिथकः हाथ साफ़ करने के लिए साबुन और पानी की जगह हैंड सैनिटाइज़र ले सकता है. सचः हाथों से माइक्रोब्स और कीटाणु हटाने का सबसे बेहतरीन साबुन और पानी से हाथ को साफ़ करना है. हालांकि अल्कोहल बेस्ड हैंड सैनिटाइज़र ( तक़रीबन 60 फ़ीसदी) हाथों से माइक्रोब्स को काफ़ी हद तक कम कर देते हैं, लेकिन वे बीमार करनेवाले जर्म्स जैसे, क्रिप्टोस्पोरिडियम, नोरोवायरस और क्लोस्ट्रिडियम को हटाने में साबुन और पानी जितने असरदार नहीं होते. ये भी पढ़ेंः इंसुलिन से जुड़े मिथकों की सच्चाई (Insulin Myths And Facts) मिथकः गरम पानी से हाथ साफ़ करना ज़्यादा बेहतर होता है. सचः यह सोच भी सही नहीं है. अध्ययनों से यह सिद्घ हुआ है कि माइक्रोब्स को हटाने में पानी के तापमान की कोई भूमिका नहीं होती यानी इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आप हाथ धोने के लिए ठंडे पानी का प्रयोग करते हैं या फिर गरम पानी का. सच्चाई तो यह है कि गरम पानी से त्वचा रूखी हो जाती है जिससे जर्म्स आसानी से बैठ जाते हैं. इसलिए हाथ धोने के लिए ऐसे पानी का प्रयोग करें, जिससे आप बिना परेशानी कम से कम 20 सेकेंड तक हाथ धो सकें. मिथकः हाथ धोने के बाद सुखाने की कोई ज़रूरत नहीं होती. सचः अध्ययनों से यह सिद्ध हुआ है कि गीले हाथों में जर्म्स आसानी से प्रवेश कर जाते हैं. इसलिए बैक्टीरिया से छुटकारा पाने के लिए हाथ धोने के बाद उसे पोछना बहुत ज़रूरी होता है. Hand Washing Myths मिथकः हैंड ड्रायर पेपर टावल से ज़्यादा हाइजिनिक होता है. सचः मायो क्लिनिक और यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टमिनिस्टर द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, पेपर टावल हैंड ड्रायर से बेहतर होते हैं. एक ओर जहां टावल बैक्टीरिया को हटाने में मदद करते हैं. वहीं हैंड ड्रायर बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ा देते हैं, क्योंकि बाथरूम में होने के कारण हैंड ड्रायर पर भी बैक्टीरिया होते हैं, जो आसानी से फैल जाते हैं. हाल में हुए एक अध्ययन से इस बात की पुष्टि हुई है कि एक मिनट तक भी हाथ हैंड ड्रायर के पास रखने से हाथों पर नए जर्म्स आ जाते हैं. मिथकः अगर हाथ गंदे नहीं हैं तो उन्हें पानी से धोना काफ़ी है. सचः हाथ को पानी से धोने पर भी काफ़ी हद तक जर्म्स निकल जाते हैं, लेकिन हाथ पूरी तरह से कीटाणुमुक्त करने के लिए साबुन का प्रयोग करना ज़रूरी होता है, क्योंकि एक माइक्रोऑर्गेनिज़्म भी बीमारी फैलाने के लिए पर्याप्त होता है. ये भी पढ़ेंः 10+ अस्थमा से जुड़े मिथकों की सच्चाई (10+ Asthma Myths Busted)

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