दिल का दौरा
फर्स्ट एड टिप्स: - व्यक्ति को उस स्थिति में बिठाएं या लिटाएं, जिसमें वह आराम महसूस करे. - बेस्ट पोज़ीशन यह है कि उसे ज़मीन पर दीवार से सटाकर बिठाएं. घुटनों को थोड़ा-सा मोड़ें. सिर और गर्दन को दीवार के सहारे सपोर्ट देकर बिठाएं. - ध्यान रहे, व्यक्ति अपनी कॉन्शियसनेस (चेतना) न छोड़े, इसलिए उसे हवादार जगह पर लिटाएं या बिठाएं. - उसकी धड़कन, नब्ज़, ब्लड प्रेशर और कॉन्शियसनेस के स्तर को बीच-बीच में चेक करते रहें. - उसे तब तक चलने न दें, जब तक कि बहुत ज़रूरी न हो. - यदि व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई हो रही हो, तो उसकी पीठ के पीछे तकिया रखकर ऊंचा करें. - तुरंत डॉक्टर से फोन पर बात करें. उनके द्वारा बताई गई मेडिसिन दें. - इमर्जेंसी महसूस होने पर तुरंत एंबुलेंस के लिए कॉल करें. - अटैक आने के यदि तीन घंटे के अंदर सही उपचार किया जाए, तो ख़तरे को टाला जा सकता है.पैनिक अटैक
फर्स्ट एड टिप्स: - इस स्थिति में पीड़ित को हवादार जगह पर लिटाएं और लंबी-लंबी सांस लेने को कहें. - अटैक के कारण यदि हाथ-पैर कांप रहे हों, गला सूख रहा हो या दिल की धड़कनें तेज़ हो रही हों, तो पीड़ित को लंबी-लंबी सांसें लेने के लिए कहें. - अगर वह कोई बात बताना चाहता/चाहती है, तो उससे बहस करने की बजाय उसकी बात ध्यान से सुनें. - उसकी मनोस्थिति को समझने की कोशिश करें, न कि उसे समझाने की.एसिडिटी
फर्स्ट एड टिप्स: - पीड़ित को बेड पर लिटाएं और बेड को सिर की तरफ़ से छह से आठ इंच ऊपर उठाकर रखें. - ध्यान रहे, व्यक्ति के सिर के नीचे 2-3 तकिए लगाकर नहीं रखें. - तला व मसालेदार भोजन, कैफ़ीन, अल्कोहल और पाचन तंत्र को प्रभावित करनेवाले भोजन न दें. - खाना अच्छी तरह से पच जाए, इसलिए सोने से दो-ढाई घंटे पहले खाना खाएं. - तनावरहित रहने का प्रयास करें. तनाव कम होने पर सारा बॉडी सिस्टम सुचारु रूप से काम करेगा.अस्थमा अटैक
फर्स्ट एड टिप्स: - व्यक्ति को आरामदायक स्थिति में कुर्सी पर बिठाएं. उसे लिटाएं बिल्कुल नहीं. - पीड़ित को अकेला न छोड़ें और न ही उसके आसपास भीड़ इकट्ठा होने दें. -: अस्थमा से पीड़ित लोग हमेशा अपने साथ इन्हेलर और रिलिवर पफ रखते हैं, इसलिए बिना देरी किए पीड़ित को रिलिवर पफ या इन्हेलर दें. - अगर रिलिवर पफ या इन्हेलर से उसकी हालत में कोई सुधार न हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं.बेहोशी की हालत में
फर्स्ट एड टिप्स: - पीड़ित को हवादार जगह पर लिटाकर पैरों के नीचे 2-3 तकिए रखकर ऊंचा करें. - ठोड़ी को ऊपर की तरफ़ ऊंचा करें. - यदि हाथ-पैर ठंडे हो रहे हों, तो गरम करने के लिए मसाज करें. - लिक्विड फूड, जैसे- पानी, छाछ या नींबू पानी पीने के लिए न दें.मोच या हड्डी टूटने पर
फर्स्ट एड टिप्स: - चोट लगी हुई जगह को बिना किसी सपोर्ट के हिलाएं-डुलाएं नहीं, न ही वहां पर किसी तरह का दबाव डालें. - अगर हिलाना ही पड़े, तो चोटवाली जगह के ऊपर और नीचे कार्डबोर्ड का टुकड़ा या अख़बार/मैग्ज़ीन को फोल्ड करके रखें. फिर सावधानीपूर्वक कपड़े से बांध दें. - सूजन और दर्द को कम करने के लिए चोटवाली जगह पर ब़र्फ लगाएं यानी थोड़ी देर तक ब़र्फ रगड़ें. - ध्यान रखें, डायरेक्ट ब़र्फ रगड़ने की बजाय उसे रूमाल या प्लास्टिक बैग में रखकर लगाएं. - किसी ऑइन्टमेंट या तेल से मालिश न करें. - सिर, गर्दन और पीठ पर चोट लगने पर ज़्यादा हिलें-डुलें नहीं. - मोच या चोटवाली जगह पर सूजन और दर्द बढ़ने पर तुरंत ऑर्थोपेडिक डॉक्टर को दिखाएं.जलने की स्थिति में
फर्स्ट एड टिप्स: - कपड़ों में आग लगने पर इधर-उधर भागने की बजाय तुरंत ज़मीन पर रोल करें. - जले हुए व्यक्ति पर पानी डालने की बजाय उसे कंबल में लपेटकर आग बुझाने का प्रयास करें. - पीड़ित को सुरक्षित स्थान पर ले जाकर तुरंत कपड़े बदलें. इससे शरीर को कम हानि होगी. - जली हुई जगह को पानी के नल के नीचे 10-15 मिनट तक रखें. - वहां पर ब़र्फ लगाने की ग़लती न करें, न ही ब़र्फवाला ठंडा पानी डालें. - दर्द और सूजन से राहत पानेे के लिए वहां पर ऐलोवीरा बेस्ड लोशन लगाएं.एसिड से जलने पर
फर्स्ट एड टिप्स: - एसिड से जली हुई त्वचा पर तब तक साफ़ व ठंडा पानी डालें, जब तक कि जलन कम न हो. - एसिड लगे कपड़े, ज्वलेरी और जूते को निकाल दें. - आंखों में यदि कॉन्टैक्ट लेंस लगाया हुआ है, तो तुरंत निकाल दें. ठंडे पानी से आंखों को कम से कम 15-20 मिनट तक धोएं. तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. - जली हुई त्वचा पर कोई क्रीम या ऑइन्टमेंट न लगाएं. केवल डॉक्टर द्वारा बताई गई क्रीम ही अप्लाई करें. - पीड़ित को सांस लेने में परेशानी हो रही हो, तो तुरंत खुली हवा में ले जाएं. - यदि स्थिति गंभीर हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं या पीड़ित के लिए ऑक्सीजन का इंतज़ाम करें. - बेहोश व्यक्ति को ज़बर्दस्ती पानी पिलाने की कोशिश न करें. बल्कि जल्दी से जल्दी डॉक्टर के पास ले जाएं.सड़क दुर्घटना
फर्स्ट एड टिप्स: - ख़ून का बहाव रोकने के लिए उस जगह को ज़ोर से दबाकर रखें या फिर साफ़ कपड़ेे से बांधकर रखें, जब तक ख़ून बंद न हो जाए. - दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की सांसें और नब्ज़ चेक करते रहें. तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं. - सड़क दुर्घटना के दौरान सिर या रीढ़ की हड्डी में चोट लगने पर पीड़ित को ज़्यादा हिलाएं नहीं, बल्कि लिटा दें. - यदि डॉक्टर के पास ले जाने में देर हो रही हो, तो पैरों को ऊपर ऊंचाई पर करके लिटाएं. - घबराहट के कारण दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के हाथ-पैर ठंडे हो जाते हैं. इस स्थिति में उसकी हथेली और पैरों के तलुओं की मालिश करें, ताकि गरमाहट बनी रहे.- पूनम शर्मा
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