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World Mental Health Day: मानसिक स्वास्थ्य सुधारने के लिए अपनाएं ये आदतें

आज वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे है. इस अवसर पर हम आपको मानसिक रुप से स्वस्थ रहने के कुछ आसान तरीक़े बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप अपने मन को शांत व स्वस्थ रख सकते हैं. World Mental Health Day जब किसी व्यक्ति का शरीर बीमार होता है तो वह ख़ुद को शारीरिक रूप से बहुत लाचार महसूस करता है, ठीक उसी प्रकार किसी का मानसिक रूप से अस्वस्थ होना उसके पूरे जीवन को प्रभावित कर सकता है. हालांकि व्यक्ति के व्यवहार, बोलचाल, सोच और समझ से उसकी मानसिक स्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है. दरअसल, जो व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ व मज़बूत होते हैं वो जीवन के प्रति हमेशा सकारात्मक रवैया अपनाते हैं और कभी हार नहीं मानते, लेकिन कई ऐसी आदतें भी हैं जो व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं. अगर आप जंक फूड खाते हैं, ज़रूरत से ज्यादा शराब पीते हैं और एक्सरसाइ़ज नहीं करते हैं तो इससे आपके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. लेकिन कुछ अच्छी आदतों को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाकर आप अपने मानसिक स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं. World Mental Health Day   1- नियमित व्यायाम मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में शारीरिक व्यायाम काफ़ी सकारात्मक भूमिका निभाता है. एक्सरसाइज़ या शारीरिक कसरत फील गुड यानी अच्छा महसूस कराने वाले रासायनिक प्रतिक्रियाओं का कारण बनता है, जो चिंता और तनाव को कम करने के साथ-साथ मूड को भी अच्छा बनाता है. इतना ही नहीं, नियमित रूप से व्यायाम करने पर याद्दाश्त अच्छी होती है, सोचने-समझने की क्षमता तेज़ होती है, काम में एकाग्रता बढ़ती है और तनाव से लड़ने की ताक़त मिलती है. 2- ध्यान और योग प्राचीन काल में बड़े-बड़े ऋषि-मुनि योग व ध्यान किया करते थे और आज के इस आधुनिक दौर में इसकी ताक़त को विज्ञान भी सलाम करता है. ध्यान और योग न स़िर्फ दिमाग़ को स्वस्थ बनाता है, बल्कि इनसे तनाव से लड़ने में भी मदद मिलती है. योग और ध्यान की मदद से आप अपने दिमाग़ के साथ-साथ शरीर को भी स्वस्थ बना सकते हैं, इसलिए कुछ देर के लिए ही सही, पर अपनी दिनचर्या में योग और ध्यान को ज़रूर शामिल करें. ये भी पढ़ेंः  पेट का मानसिक स्वास्थ्य से कनेक्शन (Is There A Connection Between The Stomach And Mental Disorders?) 3- अच्छी नींद नींद की कमी स़िर्फ शरीर ही नहीं, बल्कि व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है. इसकी कमी से चिंता, अवसाद तथा भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन के मुख्य लेखक व क्लिनिकल साइकोलॉजी के प्रोफेसरडैनियल फ्रीमैन के मुताबिक़, अच्छी और भरपूर नींद मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक समस्याओं से निपटने में मदद करती है. इसलिए उचित समय पर बिस्तर पर जाएं और 8 घंटे की भरपूर नींद लें. 4- मल्टीटास्किंग से बचें एक अनुमान के मुताबिक़, दुनिया की कुल आबादी के 2 फ़ीसदी लोग ही प्रभावी ढंग से मल्टीटास्किंग कर सकते हैं. मनोविज्ञान के अनुसार, दिमाग़ एक साथ दो चीज़ें करने में असमर्थ होता है. मल्टीटास्किंग होने के दो नुक़सान हो सकते हैं, एक तो यह दिमाग़ की संचित ऊर्जा को तेज़ी से कम कर सकता है और दूसरा एक साथ दो काम करना काफ़ी तनावपूर्ण हो सकता है. इसलिए बेहतर यही होगा कि एक साथ कई काम करने की बजाय एक समय में एक ही काम की आदत को अपनाएं. 5- काम और निजी जीवन में संतुलन व्यक्ति के लिए काम और उसका पारिवारिक जीवन दोनों ही काफ़ी महत्वपूर्ण होते हैं. लेकिन अगर आपको ऐसा लगता है कि आप अपने जीवन के एक हिस्से पर अधिक ऊर्जा और समय ख़र्च कर रहे हैं, तो इससे आपके काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बिगड़ सकता है. काम और निजी जीवन के बीच संतुलन में गड़बड़ी आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है. अतः अपने काम और जीवन के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करें, ताकि आप तनाव और चिंता जैसी मानसिक समस्याओं से मुक्त रहें. 6- न करें टाल-मटोल किसी भी काम को करने में टाल-मटोल करना तनाव की निशानी है और यह आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती है. अगर आपके पास कोई काम है जिसे करना ज़रूरी है, लेकिन आप टाल-मटोल कर रहे हैं तो ऐसा मत कीजिए और उस काम को अंजाम दे दीजिए. उस काम को अंजाम देने के बाद आप ख़ुद महसूस करेंगे कि आप जिस काम से बचने की कोशिश कर रहे थे वो इतना भी मुश्किल नहीं था और ऐसा करने से आपका तनाव भी काफ़ी हद तक कम हो जाएगा. 7- डिजिटल ब्रेक है ज़रूरी डिजिटल ब्रेक का अर्थ यह नहीं है कि जब आपका स्मार्टफोन, लैपटॉप या कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स ख़राब हो जाएं, तभी आप इनसे ब्रेक लेकर थोड़ा आराम करें. बेशक आज के इस डिजिटल दौर में इन चीज़ों के बिना रहना काफ़ी मुश्किल है, लेकिन यह भी सच है कि ये चीज़ें इंसानी रिश्तों और स्वास्थ्य दोनों पर हावी हो रही हैं. कई अध्ययनों में भी यह बात सामने आई है कि डिजिटल उपकरणों की वजह से लोगों में एकाग्रता और फोकस की कमी आई है. इसलिए अगर आप अपने रिश्तों के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाना चाहते हैं तो हफ़्ते में कम से कम एक बार इनसे ब्रेक अवश्य लें. 8- पौष्टिक खाएं, स्वस्थ रहें मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में आहार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. कई अध्ययन भी बताते हैं कि आहार में पर्याप्त मात्रा में अमीनो एसिड, आवश्यक फैट, कॉम्प्लेक्स कार्ब्स, विटामिन्स और मिनरल्स की मौजूदगी से मूड अच्छा होता है और मन में दूसरों के लिए भलाई की भावना जागती है. पौष्टिक आहार मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद आवश्यक है, इसलिए पौष्टिक खाएं और स्वस्थ रहें. आप चाहें तो डायट चार्ट के लिए किसी न्यूट्रीशनिस्ट की मदद भी ले सकते हैं. ये भी पढ़ेंः जानिए स्ट्रेस और एंज़ायटी में क्या है अंतर? (What’s The Difference Between Anxiety And Stress?)

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