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जानिए स्ट्रेस और एंज़ायटी में क्या है अंतर? (What’s the difference between anxiety and stress?)
इन दिनों एंज़ायटी, स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसे शब्द बहुत सामान्य हो गए हैं और हमें अक्सर इनके बारे में सुनने को मिलता है. लेकिन आपके लिए यह जानना ज़रूरी है कि स्ट्रेस (Stress) यानी तनाव एक सामान्य बात है और यह हमेशा नकारात्मक नहीं होता. तनाव हमें कार्य करने और लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रेरित करता है. लेकिन हम यह बताना चाहते हैं कि स्ट्रेस और एंज़ायटी में काफ़ी अंतर होता है. तनाव होने पर किसी तरह के इलाज की ज़रूरत नहीं होती, जबकि एंज़ायटी होने पर मेडिकल सहायता की आवश्यकता पड़ सकती है. क्या आप इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि आपको स्ट्रेस होता है या एंज़ायटी. तो निम्न लक्षणों और संकेतों पर ग़ौर करें.
तनाव की वजह होती है, एंज़ायटी की नहींः जब हम रोज़मर्रा के तनाव की बात करते हैं तो इसकी कोई न कोई वजह होती है. उदाहरण के लिए ऑफिस का खराब माहौल, रिश्तों में किसी तरह की परेशानी इत्यादि के कारण कोई भी व्यक्ति तनावग्रस्त हो सकता है. लेकिन एंज़ायटी में ऐसा नहीं होता. एंज़ायटी होने पर कारण का पता लगाना थोड़ा मुश्क़िल होता है. व्यक्ति को समझ में ही नहीं आता कि किस वजह से उसे इस तरह की फीलिंग हो रही है. एंज़ायटी एक प्रकार का मनोरोग है, जो बार-बार होता है और स्ट्रेस से ज़्यादा समय तक बना रहता है.
स्ट्रेस ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है, जबकि एंज़ायटी ध्यान भटकाता हैः अगर आपको ऐसा लगे कि आप ऑफिस में मन लगाकर काम नहीं कर पाते या लाख कोशिशों के बावजूद ध्यान नहीं लगा पा रहे तो समझ लीजिए कि मामला कुछ और है, क्योंकि तनाव काम करने के लिए प्रेरित करता है. यह कभी भी काम में बाधा उत्पन्न नहीं करता, जबकि एंज़ायटी आपकी सोच को ही बाधित कर देता है, जिसके कारण काम पर ध्यान लगाना मुश्किल हो जाता है.
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स्ट्रेस के कारण आप बीमार नहीं हो सकते, लेकिन एंज़ायटी के कारण हो सकते हैंः जहां तक रोज़मर्रा के तनाव का प्रश्न है तो हम आपको बताना चाहेंगे कि इसका शरीर पर किसी तरह का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता और यह आपकी शारीरिक क्रियाओं को किसी तरह प्रभावित नहीं करता, जबकि एंज़ायटी के शारीरिक लक्षण होते हैं. एंज़ायटी अटैक आने पर मांसपेशियां टाइट होने लगती हैं, पसीने छूटने लगते हैं, गर्दन व मसूढ़ों के आसपास जकड़न महसूस होती है. एंज़ायटी के कारण पैनिक अटैक और अनिद्रा की समस्या हो सकती है.
तनाव आपको लोगों से जुड़ने के लिए प्रेरित करता है, लेकिन एंज़ायटी लोगों से दूर करता हैः जब भी हमें तनाव महसूस होता है, हम अपने दोस्तों या परिवारवालों से बात करके मन हल्का करने की कोशिश करते हैं, जबकि एंज़ायटी की समस्या होने पर व्यक्ति समाज से कट जाता है. ऐसा व्यक्ति अकेला रहना
चाहता है.
तनाव हताशा है, जबकि एंज़ायटी डरः इसके लिए आपको अपने अंतरमन में झांककर देखना होगा कि आख़िर आपके मन में क्या चल रहा है? क्या आपको किसी बात की हताशा है. अगर ऐसा है तो समझ लीजिए कि आपको किसी बात का तनाव है और आपको स़िर्फ उसे दूर करना है. जबकि एंज़ायटी डर के कारण होता है, जो आमतौर पर काल्पनिक होती है.
स्ट्रेस वास्तविक होता है, जबकि एंज़ायटी काल्पनिकः हमारे कहने का यह अर्थ जिन कारणों से एंज़ायटी होती है, वे अक्सर काल्पनिक होती हैं, जबकि स्ट्रेस यानी तनाव असली वजहों से होता है और वजह खत्म होते ही तनाव भी मिट जाता है. जबकि एंज़ायटी जल्दी खत्म नहीं होती. एंज़ायटी होने पर उन चीज़ों के लिए डर लगता है, जो हुई नहीं हैं और जो शायद होंगी भी नहीं.
एंज़ायटी परिस्थिति का सामना करने से रोकती है, लेकिन स्ट्रेस नहींः जिन लोगों को अक्यूट एंज़ायटी की समस्या होती है वे लोगों और सामाजिक कार्यक्रमों से दूर भागते हैं. ऐसे लोग घर से निकलना नहीं चाहते और अकेला महसूस करते हैं, जबकि तनाव आपको लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है.
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