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काव्य- उम्मीद की ज़रूरत क्या है? (Kavay- Ummeed Ki Zarurat Kya Hai?)
आईने को आईने की ज़रूरत क्या है
दिल हो आईना तो सूरत की ज़रूरत क्या है
ज़िंदगी मुश्किल है या आसां फ़र्क़ नहीं है
तू साथ है तो सहारे की ज़रूरत क्या है
हर एक दिल शिकायतों से भारी है
अब किसी को कुछ देने की ज़रूरत क्या है
ज़िंदगी दर्द का सफ़र है न कि सैर सपाटा
इसमें सब मिल जाने की ज़रूरत क्या है
कभी ख़ुद से पूछिए कि किसके काम आए हैं
अब कोई काम न आए तो उम्मीद की ज़रूरत क्या है...
मुरली मनोहर श्रीवास्तव
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