दो दोस्त और बोलनेवाला पेड़ (Panchtantra Story: Two Friends And A Talking Tree)
एक गांव में मनोहर और धर्मचंद नाम के दो दोस्त रहते थे. एक बार वे कमाने के लिए अपना गांव छोड़कर बाहर गए. दूसरे शहर से वो दोनों ख़ूब सारा धन कमाकर लाए. उन्होंने सोचा कि इतना सारा धन घर में रखेंगे, तो ख़तरा हो सकता है. बेहतर होगा कि इसे घर में न रखकर कहीं और रख दें, इसलिए उन्होंने उस धन को नीम के पेड़ की जड़ में गड्ढा खोदकर दबा दिया. दोनों में यह भी समझौता हुआ कि जब भी धन निकालना होगा, साथ-साथ आकर निकाल लेंगे. मनोहर बेहद भोला और नेक दिल इंसान था, जबकि धर्मचंद बेईमान था. वह दूसरे दिन चुपके से आकर धन निकालकर ले गया, उसके बाद वह मनोहर के पास आया और बोला कि चलो कुछ धन निकाल लाते हैं. दोनों मित्र पेड़ के पास आए, तो देखा कि धन गायब है. धर्मचंद ने फौरन मनोहर पर इल्ज़ाम लगा दिया कि धन तुमने ही चुराया है. दोनों मे झगड़ा होने लगा. बात राजा तक पहुंची, तो राजा ने कहा कि कल नीम की गवाही के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा. ईमानदार मनोहर ने सोचा कि ठीक है नीम भला झूठ क्यों बोलेगा? धर्मचंद भी ख़ुशी-ख़ुशी मान गया. दूसरे दिन राजा उन दोनों के साथ जंगल में गया. उनके गांव के अन्य लोग भी थे. सभी सच जानना चाहते थे. राजा ने नीम से पूछा- हे नीमदेव बताओ धन किसने लिया है? मनोहर ने... नीम की जड़ से आवाज़ आई. यह सुनते ही मनोहर रो पड़ा और बोला- महाराज, पेड़ झूठ नहीं बोल सकता, इसमें ज़रूर किसी की कोई चाल है. कुछ धोखा है. राजा ने पूछा कैसी चाल? यह भी पढ़ें: पंचतंत्र की कहानी: खरगोश, तीतर और धूर्त बिल्ली (Panchtantra Story: The Hare, Partridge & Cunning Cat) मैं अभी सिद्ध करता हूं महाराज. यह कहकर मनोहर ने कुछ लकड़ियां इकट्ठी करके पेड़ के तने के पास रखी और फिर उनमें आग लगा दी. तभी पेड़ से बचाओ-बचाओ की आवाज़ आने लगी. राजा ने तुरंत सिपाहियों को आदेश दिया कि जो भी हो उसे बाहर निकालो. सिपाहियों ने फौरन पेड़ के खोल में बैठे आदमी को बाहर निकाल लिया. उसे देखते ही सब चौंक पड़े, क्योंकि वह धर्मचंद का पिता था. अब राजा सारा माजरा समझ गया. उसने पिता-पुत्र को जेल में डलवा दिया और उसके घर से धन ज़ब्त करके मनोहर को दे दिया. साथ ही उसकी ईमानदारी सिद्ध होने पर और भी बहुत-सा ईनाम व धन दिया. सीख: विपरीत परिस्थितियों में भी अपना आपा नहीं खोना चाहिए. अपनी समझ-बूझ से काम करना चाहिए. कठिन परिस्थितियों में भी डरने की बजाय उसका सामना करने की हिम्मत करें और शांत होकर अपने दिमाग से फैसले लें. यह भी पढ़ें: तेनालीराम की कहानी : तेनालीराम और सोने के आम (Tenali Rama And The Golden Mangoes)
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