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वास्तु के अनुसार कैसी होनी चाहिए सीढ़ियां?
आपके घर की सीढ़ियां आपकी क़ामयाबी की सीढ़ियां भी बन सकती हैं. बस, सीढ़ियां बनवाते समय वास्तु के कुछ नियमों का पालन करें और आप क़ामयाबी की ऊंचाइयों को छू सकते हैं.
* मकान की सीढ़ियां पूर्व से पश्चिम या उत्तर से दक्षिण की ओर जाने वाली होनी चाहिए.
* बड़े मकानों में सीढ़ी का पूरा हिस्सा मकान के दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम हिस्से में होना चाहिए. मकान के उत्तर-पूर्व कोने में तो बिल्कुल नहीं होना चाहिए.
* कई ऐसे घरों में जहां दो मंज़िला मकान होता है, वहां अक्सर यह देखने में आता है कि लोग ऊपर का घर किराए पर दे देते हैं और नीचे की मंज़िल में स्वयं रहते हैं और वहां तक पहुंचने के लिए सीढ़ी घर के सामने ही बना देते हैं, यह एकदम ग़लत है. ऐसे में मकान मालिक को आर्थिक तकलीफ़ से गुज़रना पड़ता है, जबकि उसका किराएदार फ़ायदे में रहता है.
* हमेशा मकान के दक्षिण या पश्चिम हिस्से में ही सीढ़ियां बनाएं. साथ ही इस बात का ध्यान भी रखना चाहिए कि सीढ़ियां उत्तर से दक्षिण की ओर तथा पूर्व से पश्चिम की ओर जाती हों और जब पहली मंज़िल की ओर निकलती हों तो हमारा मुख उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व में होना चाहिए.
* जहां तक हो सके, अंदरूनी या बाहरी सीढ़ियां उत्तर या पूर्वी दीवार से जुड़ी हुई नहीं होनी चाहिए. उनके बीच कम-से-कम तीन इंच का अंतर होना चाहिए. यदि आपके घर के भीतर सीढ़ियां बनी हुई हों तो ध्यान रखें कि वह आपके लिए लाभदायी कोण में हों अन्यथा परिवार में अनबन रहती है.
* ग़लत स्थान पर ग़लत ढंग से ग़लत नियमों के आधार पर यदि सीढ़ियों का निर्माण होता है, तो पागलपन, विवाद, नीलामी, आयकर के छापे, बीमारी एवं निर्धनता का प्रवेश शनै:-शनै: होने लगता है.
ध्यान रखें
* भवनों में सीढ़ियां वास्तु के अनुरूप बनाएं.
* सीढ़ियों का द्वार पूर्व व दक्षिण दिशा में होना चाहिए.
* सीढ़ियां घुमावदार निर्मित करानी हों तो घुमाव सदैव पूर्व से दक्षिण, दक्षिण से पश्चिम, पश्चिम से उत्तर और उत्तर से पूर्व दिशा में हों.
* सीढ़ियों में घुमाव चाहे कितने भी हों, संख्या विषम ही रहे यानी 5,11,17,23 आदि संख्या में सीढ़ियां हों. सीढ़ियों के शुरू और अंत में द्वार बनाना चाहिए.
* उतरते समय सीढ़ियों की समाप्ति पर हमारा मुंह पूर्व वा उत्तर की ओर होना चाहिए.