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…ताकि सलामत रहें बच्चों की आंखें (Take Care Of Your Kids Eyes)

eye Care, Kids Eyes care, eyes health आंखें इंसान के शरीर का वो ख़ास अंग हैं- जिससे वो इस ख़ूबसूरत दुनिया को देखता है, लेकिन कई बार लोग आंखों में दर्द, जलन, खुजली और पानी आने की समस्या को गंभीरता से लेने की बजाय नज़रअंदाज़ कर देते हैं. ख़ासकर छोटे बच्चों की आंखों में होनेवाली इन समस्याओं को आम समझने की ग़लती उन्हें आंखों के कैंसर का मरीज़ बना सकती है. कई बार बच्चों में होनेवाले आंखों के कैंसर का पता एडवांस स्टेज में जाकर चलता है और ऐसी स्थिति में कीमो थेरेपी देना लगभग नामुमक़िन हो जाता है, जिसके चलते कई बच्चे हमेशा-हमेशा के लिए अपने आंखों को रोशनी गंवा बैठते हैं. क्या है रेटिनोब्लास्टोमा? 5 साल से कम उम्र के बच्चों के रेटिना में होनेवाले कैंसर को रेटिनोब्लास्टोमा कहते हैं. ये रोग आंख में असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि के कारण होता है और क़रीब 20 हज़ार बच्चों में से 1 बच्चा ही इसका शिकार होता है. हालांकि अधिकांश लोग यह भी नहीं जानते कि बच्चों की आंखों में भी कैंसर होता है, लेकिन समय रहते अगर इसके लक्षणों को पहचानकर इलाज कराया जाए, तो आंखों के बचने की संभावना 90 फ़ीसदी तक होती है. कैसे पता लगाएं? आपके बच्चे की आंखों में कहीं यह समस्या तो नहीं है, इसका पता आप ख़ुद भी बेहद आसानी से लगा सकते हैं. इसके लिए बच्चे के दोनों आंखों की मध्यम रोशनी के फ्लैश से फोटो खींचें. अगर इस तस्वीर में एक आंख लाल और दूसरी स़फेद नज़र आए, तो समझ लीजिए कि बच्चे को इस बीमारी का ख़तरा है. बच्चे की आंखों की सलामती के लिए आपको फ़ौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. यह भी पढ़े: मदर केयरः जब शिशु को हो गैस-कब्ज़ की समस्या लक्षण अगर आपके बच्चे की आंखों में नीचे दिए गए लक्षण दिखाई देने लगें, तो संभल जाएं और वक़्त रहते इलाज करवाएं. * रोशनी पड़ने पर रेटिना में स़फेद धब्बा दिखाई देना. * आंखों का लाल होना और उसमें दर्द महसूस होना. * दिखाई देने में दिक्कत और आंखों का बाहर उभर आना. * दोनों आंखों की पुतलियों का रंग अलग हो जाना. * आंखों का भेंगापन भी इस रोग का एक लक्षण है. कारण विशेषज्ञों की मानें तो 40 फ़ीसदी मामलों में यह बीमारी जेनेटिक कारणों से होती है. अगर किसी के पहले बच्चे को बीमारी हो, तो दूसरे बच्चे के जन्म के तुरंत बाद उसके आंखों की जांच करानी चाहिए. टेस्ट हर तीन महीने में होना चाहिए. व़क्त पर लेज़र ट्रीटमेंट और कीमो थेरेपी से आंखों को बचाया जा सकता है, लेकिन कई बार ट्यूमर फैलने की वजह से आंख निकालने तक की नौबत आ जाती है. यह भी पढ़े: बच्चों का दिमाग़ तेज़ करने के उपाय  अलर्ट * 5 साल से कम उम्र के बच्चों में रेटिना का कैंसर सामान्य. * 20 हज़ार बच्चे में से एक में दिखता है यह रोग. * इलाज में देरी छीन सकता है आंखों की रोशनी.

- डॉ. जे. एल. गुप्ता

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