Close

बेहतर रिश्तों के लिए करें इन हार्मोंस को कंट्रोल (Balance Your Hormones For Healthy Relationship)

हमारे शरीर में हार्मोंस महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. पुरुषों व महिलाओं में ऐसे कई हार्मोंस पाए जाते हैं, जिनका प्रभाव उनकी सेहत के साथ-साथ रिश्तों पर भी पड़ता है, इसलिए इसे कंट्रोल में रखना बेहद ज़रूरी है. आइए, इसके बारे में संक्षेप मेें जानते हैंएस्ट्रोजेन, प्रोजेस्टेरॉन, टेस्टोस्टेरॉन, थायरॉइड, कार्टिसोल, इंसुलिन आदि हार्मोंस हमारे शरीर में मौजूद कोशिकाओं व ग्रन्थियों से निकलनेवाले केमिकल्स हैं, जो शरीर के दूसरे हिस्से में मौजूद कोशिकाओं या ग्रंथियों को प्रभावित करते हैं. हेल्थियंस की लाइफस्टाइल मैनेजमेंट कंसल्टेंट डॉ. स्नेहल सिंह ने इसके बारे में हमें विस्तृत जानकारी दी. Balance Your Hormones, For Healthy Relationship हमारे शरीर में कुल 230 तरह के हार्मोंस होते हैं, जो शरीर में अलग-अलग कार्यों को संतुलित करते हैं. ये एक केमिकल मैसेंजर की तरह एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक सिग्नल पहुंचाते हैं, लेकिन एक ग़लत मैसेज हार्मोंस को असंतुलित कर सकता है, इसलिए इस पर ध्यान देना ज़रूरी है. इनका सीधा असर हमारे मेटाबॉलिज़्म, इम्यून सिस्टम, रिप्रोडक्टिव सिस्टम, शरीर के विकास, मूड आदि पर पड़ता है. डॉ. स्नेहल के अनुसार, हार्मोंस असंतुलन से रिश्तों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. आजकल की भागती-दौड़ती ज़िंदगी में विभिन्न बीमारियों ने हर किसी की ज़िंदगी को प्रभावित किया है. ऐसे में भागदौड़, तनाव, थकान व खानपान के साथ-साथ हार्मोंस भी रोज़मर्रा की दिनचर्या व रिश्तों को प्रभावित करते हैं.

हार्मोंस और रिश्ते

हार्मोंस की कार्यशैली या इसकी प्रणाली जटिल होती है. जब यह संतुलन में रहते हैं, तो सब कुछ अच्छा रहता है और चीज़ें जैसे चमत्कारी तौर पर काम करती हैं, लेकिन हार्मोंस असंतुलन उतना ही प्रतिकूल प्रभाव डालता है. असंतुलन से अजीब मूड स्विंग्स होते हैं. स़िर्फ स्त्रियों में ही नहीं, पुरुष भी हार्मोंस असंतुलन से प्रभावित होते हैं, जो सेक्सुअल लाइफ को भी प्रभावित करते हैं. हार्मोनल संतुलन पीरियड के पहले के सिंड्रोम, बाद के डिप्रेशन, मेनोपॉज़ या एंड्रोपॉज़ को मैनेज करने के लिए ही नहीं, बल्कि बेहतर रिश्तों के लिए भी आवश्यक है. रिश्तों को प्रभावित करनेवाले मुख्य हार्मोंस में ऑक्सीटोसिन, टेस्टोस्टेरोन, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन शामिल हैं.

ऑक्सीटॉसिन

ऑक्सीटॉसिन, जिसे आमतौर पर लव हार्मोन कहा जाता है, आपको प्यार का एहसास देता है, जिसके चलते आप रिश्तों में बेहतर कनेक्टिविटी महसूस करते हैं. व्यक्ति को ख़ुशी और संतुष्टि का एहसास करानेवाला यह फील-गुड हार्मोन है. अपर्याप्त ऑक्सीटॉसिन नकारात्मक प्रभाव डालता है, जिसके चलते चिड़चिड़ापन, अलगाव की भावना, अनिद्रा और असंतुष्ट सेक्स लाइफ आदि समस्याएं होने लगती हैं. सामान्य ऑक्सीटॉसिन का स्तर रिश्तों में ख़ुशियां देता है, जो बेहतर रिश्तों के लिए अच्छा है.

टेस्टोस्टेरॉन

टेस्टोस्टेरॉन पुरुषों में मर्दानगी (मैस्कूलिनिटी की ज़रूरत पूरी करता है, जिससे वे रिलेशनशिप एंजॉय करते हैं. कम टेस्टोस्टेरॉन का स्तर मूड की समस्याएं, चिड़चिड़ापन और ईगो को जन्म देता है. ये नकारात्मक भावनाएं निजी संबंधों को प्रभावित करती हैं. बढ़ती उम्र, तनाव, पुरानी बीमारियां और हार्मोंस की समस्याएं पुरुषों में कम टेस्टोस्टेरॉन का कारण बन सकती हैं. यह सेक्सुअल रिलेशन और प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित करते हैं.

एस्ट्रोजेन

युवावस्था में महिलाओं में एस्ट्रोजेन का स्तर बढ़ जाता है, जो उनके विकास, यौन गतिविधि और फर्टिलिटी को प्रभावित करता है, जबकि मेनोपॉज़ के दौरान इसका स्तर घटता है. एस्ट्रोजेन का स्तर सामान्य होने पर महिलाओं में सेक्स की इच्छा जागती है और वे अपने साथी के साथ अच्छे संबंधों का आनंद ले सकती हैं, लेकिन जब एस्ट्रोजेन का स्तर कम होता है, तो इससे योनि में सूखापन और सेक्स ड्राइव में कमी आती है. ऐसे में उनको चिड़चिड़ापन होता है. दूसरी तरफ़ कुछ महिलाओं में एस्ट्रोजेन का स्तर अधिक होता है, जिससे रिश्ते और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, सिरदर्द, थकान आदि शिकायतें होती हैं, जिसका उनके रिश्तों पर ख़राब असर होता है.

प्रोजेस्टेरॉन

प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन का स्तर गर्भावस्था और मातृत्व के शुरुआती दिनों में सबसे अच्छा होता है. यह गर्भवती महिलाओं में अन्य संबंधों की तुलना में बच्चे की देखभाल करने की इच्छा को अधिक बढ़ाता है. इसके कारण बच्चे के जन्म के आरंभिक कुछ वर्षों के दौरान कपल्स में यौन आकर्षण कम हो जाता है. यह भी पढें: पति की इन 7 आदतों से जानें कितना प्यार करते हैं वो आपको

यूं रखें हार्मोंस को नियंत्रित...

- ओमेगा 3 फैटी एसिड हार्मोंस को बैलेंस करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. - ओमेगा 3 फैटी एसिड फिश, अलसी के बीज, अखरोट, सोयाबीन, टोफू, ऑलिव ऑयल आदि में मिलता है. यदि आप चाहें, तो डॉक्टर की सलाह पर ओमेगा 3 की गोलियां भी ले सकती हैं. - विटामिन डी पिट्यूटरी ग्लैंड को प्रभावित करता है. इसकी कमी से पैराथायरॉइड हार्मोंस असंतुलित होने लगता है. रोज़ाना कम से कम 20 से 30 मिनट तक एक्सरसाइज़ करें, जिससे हार्मोंस को संतुलित होने में मदद मिलेगी. - इसके अलावा नियमित रूप से योग, प्राणायाम, जॉगिंग, स्विमिंग भी कर सकती हैं. - एक्स्ट्रा वर्जिन कोकोनट ऑयल नेचुरल तरी़के से हाइपोथायरॉइडिज़्म को संतुलित करता है. साथ ही ब्लड शुगर ठीक करने के साथ वज़न को भी संतुलित रखता है. इसे 2-3 टीस्पून नियमित रूप से लेना चाहिए. - एक टीस्पून मेथीदाना एक कप गरम पानी में 20 मिनट के लिए भिगोकर रखें, फिर छानकर दिनभर में तीन बार पीएं. यदि मेथीदाना की तासीर गरम होने के कारण आपको सूट न करे, तो इसकी जगह सौंफ ले सकते हैं. - तुलसी बॉडी के कार्टिसोल के लेवल को ठीक करता है. इसका लेवल बढ़ने पर थायरॉइड, ओवरीज़ व अग्नाशय प्रभावित होते हैं. इसके अलावा मूड भी स्विंग होता रहता है, जिसे संतुलित करने के लिए तुलसी की पत्तियों का सेवन सबसे बेहतरीन उपाय है. - इसके अलावा आप तुलसी को उबालकर दिनभर में तीन कप पी सकते हैं. - अश्‍वगंधा भी हार्मोंस को संतुलित करता है. साथ ही थकान व तनाव भी मिटाता है. डॉक्टर की सलाह पर ही इसे लें. वैसे कुछ दिनों तक 300 एमजी अश्‍वगंधा ले सकते हैं. - हार्मोंस को संतुलित रखने का सबसे बेहतर उपाय यही है कि संतुलित भोजन करें, वज़न पर नियंत्रण रखें और बेवजह का तनाव न लें. - अपने भोजन में फल, अंकुरित अनाज, हरी सब्ज़ियां, दालें आदि नियमित रूप से लें. - भरपूर नींद लें. ख़ुश रहें. बेवजह किसी बात को दिल में न रखें. तन-मन जितना हल्का रहेगा, शरीर उतना ही संतुलित व फिट रहेगा. - न्यूट्रीशियस फूड हार्मोंस को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. - जंक व ऑयली फूड, स्टेरॉयड व अधिक एंटीबायोटिक्स न लें. - ज़्यादा चाय, कॉफी, अल्कोहल और चॉकलेट आदि कैफीन मिली हुई चीज़ें खाने से बचें. - पनीर, दूध से बनी और मीट जैसी फैटवाली चीज़ें कम लें. - दवाइयों के अलावा योग व प्राणायाम द्वारा भी हार्मोंस को नियंत्रण में रख सकते हैं. इसके लिए अनुलोम-विलोम प्राणायाम, उज्जयी प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम, शवासन, कपालभाति, कटिचक्रासन, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, धनुरासन, मंडूकासन, पश्‍चिमोत्तान आसन आदि करें. - पुरुष हार्मोंस को कंट्रोल करने के लिए अश्‍वगंधा चूर्ण 1 चम्मच रात में खाना खाने के आधा घंटे बाद दूध और मिश्री में ले सकते हैं. - इसके अलावा वे सर्दियों में अश्‍वगंधारिष्ट और अमृतारिष्ट 3-3 चम्मच भोजन के बाद दिन में दो बार एक कप गुनगुने दूध के साथ ले सकते हैं. - महिलाएं यदि अशोकारिष्ट 2-2 चम्मच दिन में दो बार लें, तो पीरियड नियमित रहते हैं. - साल में तीन महीने अशोकारिष्ट व दशमूलारिष्ट 3-3 चम्मच पानी के साथ भोजन के दो घंटे बाद दिन में दो बार लें, पर ध्यान रहे, इसे प्रेग्नेंसी में न लें.

- ऊषा गुप्ता

यह भी पढ़ें:  क्या करें जब पति को हो जाए किसी से प्यार? यह भी पढ़ें: अपने दरकते रिश्ते को दें एक लव चांस

Share this article