बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए इन्वेस्टमेंट गाइड (Ways to save for your child future)
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सभी पैरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो. यदि आप चाहते हैं कि बच्चों को लेकर आपके सारे सपने पूरे हों, तो उनके भविष्य (Ways to save for your child future) के लिए ज़रूरी निवेश की जानकारी आपको अवश्य होनी चाहिए.
पिछले कुछ सालों में शिक्षा और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ख़र्च लगातार बढ़ा है. शिक्षा के अलावा एक बड़ी रक़म की ज़रूरत होती है बच्चों की शादी के समय. इसके अलावा माता-पिता अपने बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति भी चिंतित रहते हैं, इसलिए बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए एक बढ़िया योजना की ज़रूरत होती है. निवेश में सबसे पहले बीमा को प्राथमिकता देनी चाहिए. इसके बाद किसी अन्य जगह निवेश करना चाहिए.
पॉलिसी ख़रीदने से पहले ध्यान रखें
इंश्योरेंस तथा आर्थिक सलाहकार विशेषज्ञ वीरेन्द्र अग्रवाल के अनुसार, “अपने बच्चों और परिवार का भविष्य संवारने के लिए हर व्यक्ति को बीमा कराना चाहिए, लेकिन पॉलिसी ख़रीदने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातों का ख़्याल रखना चाहिए, जैसे- पॉलिसी में बीमा सुरक्षा उसके जीवन के लिए हो. यदि पॉलिसीधारक यानी पैरेंट की मृत्यु हो जाती है, तो उस स्थिति में प्रीमियम समाप्त करने की योजना हो, बच्चों को मज़बूत आर्थिक आधार देने के लिए 120 दिनों यानी 4 महीने के अंदर चाइल्ड इंश्योरेंस प्लान शुरू कर देना चाहिए.”
एलआईसी की कई ऐसी योजनाएं हैं, जो ख़ासतौर से बच्चों के लिए तैयार की गई हैं-
जीवन अनुराग: यह पॉलिसी ख़ासकर बच्चों की शिक्षा को देखते हुए तैयार की गई है. इस पॉलिसी के तहत आपको समय-समय पर 20% रक़म हर साल एकमुश्त वापस मिलती है. आप ज़रूरत पड़ने पर बच्चों के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं और मैच्योरिटी यानी 20 साल के बाद आपको बेसिक रक़म के अलावा ऐश्योर्ड रक़म, टमिर्र्नल और रिवर्सनरी बोनस भी मिलता है. इस बीच यदि पॉलिसीधारक की मौत हो जाती है, तो उसके बच्चों को या परिवार को ऐश्योर्ड धन के अलावा, जितना आपने भुगतान किया है, वह भी पूरा मिल जाएगा.
कोमल जीवन:बच्चों की पढ़ाई-लिखाई दिन-प्रतिदिन महंगी होती जा रही है. आप अपने बच्चों को उच्च शिक्षा देने के पक्ष में हैं, तो आप ये पॉलिसी ले सकते हैं. बच्चों के जन्म के निर्धारित महीने के बाद यदि जल्दी ही इस पॉलिसी को ले लेते हैं, तो 18 साल के बाद आपको एक अच्छी-ख़ासी रक़म मिल जाती है. यानी 18 साल बाद पॉलिसी अपने आप बच्चों के नाम हो जाएगी. आपको पैसे किस्तों में मिलेंगे यानी 18 साल, 20 साल, 24 साल से लेकर 26 साल तक के लिए किस्त में विभाजित होंगे.
जीवन किशोर: इस पॉलिसी के तहत यदि किसी बच्चे की उम्र 10 साल से कम है, तो उसके लिए किसी मेडिकल चेकअप की ज़रूरत नहीं होती है. यह पॉलिसी भी बच्चों के 18 साल पूरे होने पर अपने आप उनके नाम ट्रांसफर हो जाती है. इसमें पहले दिन से ही अच्छा-ख़ासा बोनस मिलना शुरू हो जाता है, लेकिन इस पॉलिसी का रिस्क कवर पॉलिसी लेने के या तो 2 साल बाद शुरू होता है या 7 साल ख़त्म होने के बाद. बच्चों की शिक्षा शुरू करनी हो या उनकी शादी करनी हो, तो उसके लिए यह बेहतर पॉलिसी है.
जीवन छाया:1 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए यह बढ़िया प्लान है. इसमें यदि पॉलिसी होल्डर यानी गार्जियन की किसी कारणवश मृत्यु हो जाती है, तो आगे का प्रीमियम भरने की ज़रूरत नहीं पड़ती.
गोल्ड में निवेश
भारत में विवाह के शुभ अवसर पर सोने का काफ़ी लेन-देन होता है. आंकड़े बताते हैं कि गोल्ड का निवेश आपको कभी निराश नहीं करता. चूंकि अब सोने में निवेश काफ़ी फ़ायदे का सौदा नज़र आ रहा है, तो अब आप बेटे-बेटी दोनों के लिए ही सोने की पारंपरिक ख़रीदारी के अलावा गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) भी ख़रीद सकते हैं. ईटीएफ में निवेश करने से आपको 20 से 28 प्रतिशत तक रिटर्न मिल जाता है, वहीं आपको सोना ख़रीदने या उसे सुरक्षित रखने के लिए चिंता करने की भी ज़रूरत नहीं होती.
इस समय भारत में 6 गोल्ड ईटीएफ मौजूद हैं- एसबीआई म्यूचुअल फंड का ईटीएफ, गोल्ड बेंचमार्क ईटीएफ, कोटक गोल्ड ईटीएफ, क्वांटम गोल्ड, रिलायंस गोल्ड ईटीएफ और यूटीएफ गोल्ड ईटीएफ.
बैंक एफडी समेत अन्य जमा योजनाएं
आमतौर पर लोग बैंकों में अपने धन को एक निर्धारित समय के लिए एफडी, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) और पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ) में निवेश करना बेहतर समझते हैं, क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार का जोख़िम नहीं होता है. एनएससी और पीपीएफ में आमतौर पर जहां 8% का ब्याज मिलता है, वहीं बैंकों की कोशिश होती है कि वे अपनी ब्याज दर को 5 साल तक की बचत योजना पर 8.5% तक बनाए रखें, ताकि ग्राहक बैंक एफडी की ओर आकर्षित रहें. बैंकों की ब्याज दर में उतार-चढ़ाव होते रहने की वजह से लोगों का रुझान एनएससी की ओर भी होता है.
निवेश में प्राथमिकता किसे दें?
विशेषज्ञों के अनुसार, निवेश में पहली प्राथमिकता इंश्योरेंस को देनी चाहिए. यह आपकी जड़ को मज़बूत करता है और परिवार को सुरक्षा देता है. आपको अपने बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए उनके जन्म के बाद से ही निवेश शुरू कर देना चाहिए. इसके लिए कुछ ऐसी जगहों पर निवेश करें, जहां से कभी अचानक ज़रूरत पड़ने पर आप पैसा निकाल सकें, जैसे- एफडी, ईटीएफ. कुछ लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट बच्चों की उम्र के मुताबिक़ करें. जब आपका बच्चा हाईस्कूल में पहुंचेगा या उसके 12वीं कक्षा पास करे, उसके बाद आपको पैसों की सबसे अधिक ज़रूरत पड़ सकती है, तब इंश्योरेंस का पैसा हाथ आए, तो आपके लिए आसानी होगी.
बच्चों की पढ़ाई के लिए इन्वेस्टमेंट ज़रूर करें
कोई भी इन्वेस्टमेंट प्लान लेने से पहले आपको यह ज़रूर जान लेना चाहिए कि आपका बच्चा किस उम्र तक आप पर निर्भर रहेगा. दरअसल आपको बच्चे के जन्म से छह महीने पहले से उसकी शादी की उम्र तक की तैयारी कर लेनी चाहिए. कुछ मामलों में यह प्लानिंग तब तक की जानी चाहिए, जब तक बच्चा अपनी पढ़ाई जारी रखता है. बेहतर हो कि आपने अपने बच्चे की पढ़ाई के लिए जो अनुमान लगाया हो, उससे ज़्यादा की तैयारी कर लें. उदाहरण के तौर पर अशोक कुमारजी ने अपनी बेटी सुरभि की पढ़ाई की तैयारी कुछ इस तरह कर रखी है-जूनियर कॉलेज तक 55,000 रुपए प्रतिवर्ष, चार साल के इंजीनियरिंग कोर्स के लिए 3 लाख रुपए और यदि वह साइंस में मास्टर्स या एमबीए करना चाहे, तो उसके लिए वे पूरे 20 लाख का इंतज़ाम’ रख रहे हैं.
ख़र्चों का हिसाब-क़िताब
आंकड़े दर्शाते हैं कि बच्चे जब 1-5 साल की उम्र के बीच में होते हैं, उस दौरान ख़र्च ज़्यादा होते हैं. जब बच्चा 5 साल का हो जाता है, उसके बाद ख़र्च धीरे-धीरे कम होने लगते हैं, लेकिन जैसे ही बच्चा 15 साल के आसपास का होता है, ख़र्च फिर बढ़ने लगते हैं. उसके बाद के स्टेज में पैरेंट्स अपने बच्चों के ट्यूशन और कोचिंग क्लासेस पर कुछ हज़ार से लेकर एक लाख रुपए तक ख़र्च करते हैं. कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि माता-पिता चाहते हैं कि बोर्ड की परीक्षा की तैयारी के लिए वे अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी सुविधाएं दे सकें, ताकि वे अच्छे नंबरों से पास हो सकें.
ग्रैजुएशन
इस स्टेज पर आकर ख़र्च काफ़ी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि बच्चा कौन-सी पढ़ाई करना चाहता है. प्रोफेशनल डिग्री, जैसे- मेडिकल और इंजीनियरिंग ग्रैजुएशन की तुलना में काफ़ी महंगे होते हैं. इसके अलावा बच्चा अपने देश में रहकर पढ़ रहा है, तो ख़र्च कंट्रोल में रहता है, पर यदि वह विदेश में पढ़ना चाहता है, तो ख़र्च आसमान छूने लगता है.
जल्दी प्लानिंग ज़रूरी है
यदि बच्चे की शिक्षा के ख़र्च की प्लानिंग जल्दी शुरू कर दी है, तो यह आपके लिए वाकई फ़ायदेमंद साबित होगा. आप अपने बच्चे के नाम पर शुरू से ही 8-10 हज़ार रुपए हर महीने बचत कर सकते हैं. बचत करते हुए यह ध्यान में रखें कि मैच्योर होने पर आपकी राशि 10 लाख से ज़्यादा हो.
सिंपल प्लान अपनाएं
आपके लिए डाइवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स अपनाना सबसे अच्छा ऑप्शन साबित हो सकता है और इससे आपके बच्चे की सारी ज़रूरतें भी पूरी हो सकेंगी. इसमें सबसे अच्छी बात इस प्लान की फ्लेक्सिबिलिटी है. आप जब चाहें, पैसे विड्रॉ कर सकते हैं. इसमें ऐसी कोई शर्त नहीं होती है कि आप अपने बच्चे के 18 साल की आयु होने तक अपनी जमा राशि को छू ही नहीं सकते. आप जब चाहें, इस इन्वेस्टमेंट प्लान से बाहर आ सकते हैं. साथ ही इसमें रिटर्न्स काफ़ी हद तक टैक्स फ्री होते हैं.