दिल की बातें… प्रेमपत्र (Dil Ki Baatein… Prempatra)
Share
5 min read
0Claps
+0
Share
तुम्हें याद है वो बारिश का मौसम, जब मैं तुमसे पहली बार मिली थी. रिमझिम-रिमझिम फुहारें बरस रही थीं रह-रहकर और मैं सड़क के उस ओर खड़ी थी. तुमने चुपके से मेरा हाथ पकड़ा और सड़क पार करके मुस्कुराते हुए चल दिए. पता हैं तब मेरे ह्रदय में मंज़िल फिल्म का गाना बज उठा था- रिमझिम गिरे सावन... लता मंगेशकर की आवाज़ में. मैं खुद को मौसमी चटर्जी और तुम्हें अमिताभ बच्चन समझ रही थी. तुम्हारा कद लम्बा नहीं था, पर तुम्हारे व्यक्तित्व में कुछ बात थी. मैं तुम्हें अपना मानने लगी थी. क्या इसे ही प्यार कहते हैं? चाय कुछ ज्यादा ही मीठी बनने लगी थी और मेरी दुनिया सपनीली होने लगी थी. मुझे नया-नया सोशल नेटवर्किंग करने का चस्का लगा था. और ये क्या तुम मुझे मिल गए थे... बिना नाम जाने? अरे, मैंने तुम्हें अपना अमिताभ माना था. कितने प्यारे लगते हैं ना अमिताभ बच्चन-जया बच्चन इस गाने में- लूटे कोई मन का नगर... गाने में. लगता हैं कितना प्यार उड़ेल दिया था दोनों ने निगाहों में. तुम कहोगे कि मैं कितनी फ़िल्मी बातें करती हूं न? पर पता है मैंने यह गाना सुनाने के लिए कितना रियाज़ किया था. बस तुम्हारे लिए. तुम नाराज़ हुए थे. मैंने भी सोचा था कि एक गाने पर इतना नाराज़. मैं तुमसे कभी बात नहीं करूंगी, पर मैं भी तो अच्छी लगती थी न तुम्हें. तुमने जानने के लिए कॉल किया था कि मैं अब तक नाराज़ हूं, पर मैं कहां नाराज़ रह पाती. तुम्हारी कवितायें सब मैंने पढ़ी थी. मुझे पता था ये मेरे लिए नहीं लिखी गई थी, पर मैंने उसे अपना मानकर ही पढ़ा. पता है, आज फिर बारिश का मौसम हैं... मैं यहां घर पर हूं और तुम दिल्ली... तुम्हारे साथ बारिश में भीगने का मन है, जैसे आशिकी 2 में भीगते हैं न... तुम कहोगे मैं फिर फ़िल्मी हो रही हूं, पर मन का क्या करें... मन तो बेचैन हैं... तुमसे मिलने को बेचैन...
तुम्हारे इंतज़ार में,
तुम्हारी जीवनसंगिनी
- श्रुति
मेरी सहेली वेबसाइट पर श्रुति की भेजी गई रचना को हमने अपने वेबसाइट पर प्रकाशित किया है. आप भी अपनी शायरी, गीत, ग़ज़ल, लेख, कहानियों को भेजकर अपनी लेखनी को नई पहचान दे सकते हैं…यह भी पढ़े: Shayeri