क्यों ज़रूरी है समझदारी की सेल्फी?
अमूमन हमारे जितने मन-मुटाव होते हैं, अधिकतर में हम दूसरों पर सारा दोष मढ़ कर बड़ी आसानी से आगे बढ़ जाते हैं. लेकिन आगे बढ़ते समय हम यह भूल जाते हैं कि कई सारे रिश्ते पीछे ही छूट गए. हमें ऐसा लगता है कि हमें इन रिश्तों की, सगे-संबंधियों की कोई ज़रूरत ही नहीं, पर क्या आप जानते हैं कि आपकी यही सोच आपकी सबसे बड़ी ग़लती है. और ना स़िर्फ ग़लती है, बल्कि समाज के लिए यह सोच बहुत बड़ा ख़तरा भी है, क्योंकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. रिश्तों से अपने आपको अलग कर लेना या उनसे दूर जाना हमारे सामाजिक, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. तो यह तो तय है कि रिश्तों को सहेजना बहुत ही आवश्यक है, तो क्यों ना रिश्तों की इस तस्वीर को सुंदर बनाएं. आजकल किताबी ज्ञान की हम में कोई कमी नहीं, पर याद रखिए किताबें समझदारी नहीं बांटतीं, इसके लिए हमारे अंतर्मन का जागृत होना ज़रूरी है. लेकिन इसे जागृत किया कैसे जाए, यह बहुत आसान नहीं, पर हां मुश्किल भी नहीं. इसके लिए आपको किसी और को नहीं, बल्कि ख़ुद को पहचानने की ज़रूरत है. साथ ही यह कोई एक दिवसीय कार्यक्रम ना होकर निरंतर प्रक्रिया है. आपको बस, करना इतना है कि रोज़ अपनी एक सेल्फी खींचनी है और यह सेल्फी आप कैसे और कौन-से कैमरे से खीचेंगे, यह हम आपको बताएंगे.कैसे खींचें समझदारी से सेल्फी?
सच्चाई की फ्लैश लाइट चमकाएं
सच्चाई बहुत ज़रूरी है, क्योंकि झूठ आपको कमज़ोर बनाता है. झूठा अहंकार आपको बार-बार झूठ बोलने पर मजबूर करेगा. इसलिए जब भी किसी से बात करें, तो अपना सच के फ्लैशवाला कैमरा साथ ले जाना ना भूलें. सच बोलना आपको ताक़त देगा. जब कभी आप झूठ का सहारा लेने की कोशिश करें, तो अपने आपको रोक लें. यह स़िर्फ आप कर सकते हैं, क्योंकि केवल आप ही जानते हैं कि आप कब झूठ का सहारा ले रहे हैं. इसके लिए आप ख़ुद को एक छोटी-सी चुनौती भी दे सकते हैं. सोने से पहले किसी काग़ज़ पर दिनभर में आपके द्वारा बोले छोटे से छोटे झूठ की ़फेहरिस्त बनाएं और अगले दिन पिछले दिन से कम झूठ बोलने की कोशिश करें.अपनी तस्वीर में लाएं अच्छाई की ब्राइटनेस
बेवजह की जलन, दूसरों की नाकामयाबी में ख़ुश होना... ये सभी चीज़ें आपकी अच्छाई को ख़त्म करती है. इस तरह की भावनाएं आपके समझदारी के आईने को धूमिल कर सकती हैं. ये सभी भावनाएं ना स़िर्फ आपके रिश्ते को प्रभावित करती हैं, बल्कि आपके सोचने-समझने की क्षमता को कमज़ोर करती हैं. जब आपकी अच्छाई चमकेगी, तो आपके अंतर्मन की तस्वीर भी उजली-उजली होगी. इसके लिए भी एक काम किया जा सकता है. रोज़ कम से कम एक अच्छा काम करें, जैसे- बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की मदद.दूर करें शिकायतों की उदासी
अपनी सेल्फी में यह ज़रूर ध्यान से देखें कि कहीं आप हमेशा जीवन से शिकायतें तो नहीं करते रहते. जिसे अपने जीवन से हमेशा स़िर्फ शिकायतें ही होती हैं, उसका ख़ुश रहना असंभव है. शिकायतों पर ध्यान केंद्रित करने से अच्छा है कि आप उन उपायों पर ध्यान दें, जिनसे शिकायतों को दूर किया जा सकता है. इसके अलावा यह ध्यान में रखें कि कुछ भी परफेक्ट नहीं होता. अपने जीवन को कुछ कमियों के साथ स्वीकार करें. यह भी पढ़ें: ज़िद्दी पार्टनर को कैसे हैंडल करेंः जानें ईज़ी टिप्सखींचें हाई डेफिनेशन तस्वीर
जब समझदारी के कैमरे से सेल्फी लेनी है, तो कोशिश करें कि आपकी तस्वीर हाई डेफिनेशन हो यानी छोटी-छोटी बातों में ना फंसें. यही छोटी बातें हमें छोटा बना देती हैं. अपने जीने के स्तर को ऊंचा उठाएं. झगड़े या छोटी-मोटी नोंक-झोंक, मान-अपमान इन चीज़ों से ऊपर उठकर सोचें. अगर यह छोटी बातें तस्वीर से चली जाएं, तो ख़ुशियों के रंग निखरकर आएंगे.कहीं तस्वीर में शिकन ना आ जाए
अगर आप जल्दी किसी को माफ़ नहीं कर सकते हैं या किसी बुरी घटना को जल्दी भूल नहीं सकते, तो संभल जाएं, आपकी सेल्फी की ख़ूबसूरती ख़तरे में है. तो करना बस इतना है कि जल्दी से अपनी समझदारी के कैमरे को चार्ज करिए और अपने चेहरे पर आई इस शिकन को मिटा दीजिए. दरअसल, दूसरों को माफ़ करना और कुछ क़िस्से-कहानियों को भूल जाना किसी और के लिए नहीं, बल्कि आपके अपने मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ज़रूरी है. अंग्रेज़ी में कहते हैं ना ‘फॉरगेट एंड फॉरगिव’ ये चीज़ें ना स़िर्फ आपको ऊपर उठाती हैं, बल्कि कई सारे रिश्तों को फिर से संवारने का एक और मौक़ा भी देती हैं.माफ़ी मांग लें
जिस तरह माफ़ करके आगे बढ़ना महत्वपूर्ण है, उसी तरह अपनी ग़लती होने पर या कभी-कभी स़िर्फ परिस्थितियों को संभालने के लिए माफ़ी मांगना ज़रूरी है. माफी मांगने को अपने अहम् के साथ ना जोड़ें यानी माफ़ी मांगने से आप छोटे नहीं होते.संवार लें बिगड़ी हुई तस्वीर
अगर इतनी जद्दोज़ेहद के बाद भी सेल्फी बिगड़ ही जाए, तो उसे वैसा ही मत छोड़ें, बल्कि अपनी समझदारी से उसे ठीक कर लें. कई बार ऐसा होता है कि लाख संभालने के बावजूद कुछ रिश्ते हाथ से फिसलने लगते हैं. ना चाहते हुए भी हममें वह चीज़ें आ जाती हैं, जो हमारे व्यक्तित्व को ख़राब करती हैं. अगर ऐसा होता भी है, तो वहीं पर रुककर पहले आत्मविश्लेषण करें. अपने स्वभाव की बुरी आदतों को दूर करने की कोशिश करें और फिर आगे बढ़ें. इस सेल्फी में आपको ख़ूबसूरत तो दिखना है, पर बाहरी मेकअप से नहीं, बल्कि प्राकृतिक निखार से. याद रखिए कि आपको तस्वीर में सुंदर कैमरा या तस्वीर खींचनेवाला नहीं बनाता, बल्कि आप ख़ुुद बनाते हैं. कहने का तात्पर्य यह है कि जब आप अपने जीवन में ख़ुश ना हों, तो किसी और पर दोष मढ़ने से पहले एक बार ख़ुद को परख लें.- विजया कठाले निबंधे
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