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एंटीबायोटिक्स के साइड इफेक्ट्स से बचने के असरदार उपाय (Natural Ways to Reduce Antibiotic Side Effects )

यह तो हम सभी जानते हैं कि एंटीबायोटिक (Antibiotic) दवाएं काफ़ी स्ट्रॉन्ग होती हैं. लेकिन बैक्टिरियल इंफेक्शन्स के कारण होनेवाली बहुत-सी बीमारियों को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक्स की शरण में जाना ही पड़ता है. वैसे तो ये सुरक्षित होती हैं, लेकिन इनका सेवन करने से बहुतों को छोटे-मोटे साइड इफेक्ट्स (Side Effects), जैसे-पेट फूलना, पेट ख़राब होना, नॉज़िया, उल्टी, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, एलर्जिक रिएक्शन जैसी समस्याएं हो जाती हैं. अगर एंटीबायोटिक्स लेने पर आपको भी किसी तरह की परेशानी होती है, तो घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है. कुछ विशेष उपाय करके आप नैचुरल तरी़के (Reduce Antibiotic Side Effects Naturally) से एंटीबायोटिक्स के दुष्प्रभावों को कम कर सकते हैं. Reduce Antibiotic Side Effects Naturally   प्रोबायोटिक योगर्ट Reduce Antibiotic Side Effects Naturally एंटीबायोटिक्स का सेवन करने से डायरिया की समस्या बहुत आम है. इससे बचने के लिए एंटीबायोटिक्स के कोर्स के दौरान अपने खाने में गुड बैक्टिरिया युक्त योगर्ट यानी दही शामिल करें. इससे शरीर को डायरिया से रिकवर होने में मदद मिलती है. प्रोबायोटिक योगर्ट में गट फ्रेंडली (आंत के लिए फ़ायदेमंद) बैक्टिरिया होते हैं. ये बैक्टिरिया हमारे आंत में सुरक्षा पर्त का निर्माण करते हैं व हानिकारक बैक्टिरिया के कारण एकत्रित हुए विषाक्त पदार्थ को शरीर से बाहर निकालने में मदद करते हैं. वर्ष 2011 में थ्योरोपिटिक एडवांसेज़ इन गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, प्रोबायोटिक्स, एंटीबायोटिक्स के कारण होनेवाले डायरिया को रोकने में बहुत फायदेमंद होते हैं. वर्ष 2015 में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन कहती है कि एंटीबायोटिक्स के सेवन से बच्चों को होनेवाली पेट संबंधी समस्याओं को कम करने में प्रोबायोटिक्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. अतः एंटीबायोटिक्स के कोर्स के दौरान व कोर्स ख़त्म होने के बाद तक़रीबन एक महीने तक प्रोबायोटिक योगर्ट खाएं. यदि आप चाहें तो डॉक्टर की सलाह लेकर प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं. इसके अलावा फर्मेटेड फूड्स मतलब खमीर उठे हुए खाद्य पदार्थ, जैसे-अचार, इडली, दोसा, कंजी इत्यादि का सेवन करने से भी फायदा होता है. लाभकारी लहसुन Reduce Antibiotic Side Effects Naturally लहसुन एक प्रकार का प्राकृतिक एंटीबायोटिक है, जो शरीर को किसी तरह का नुक़सान पहुंचाए बिना हानिकारक रोगाणुओं को नष्ट कर देता है. इसके अलावा इसमें एलिसिन नामक तत्व पाया जाता है, जो एंटीबायोटिक्स के सेवन से किडनी व लीवर को होनेवाली क्षति से सुरक्षा प्रदान करता है. अतः खाने में लहसुन शामिल करें. आप गार्लिक सप्लिमेंट्स का सेवन करके भी एंटीबायोटिक्स के दुष्प्रभावों को कम कर सकते हैं. ये भी पढ़ेंः 7 नैचुरल ट्रिक्स अाज़माइए, कोलेस्ट्रॉल घटाइए मिल्क थिसल सप्लीमेंट्स Reduce Antibiotic Side Effects Naturally एंटीबायोटिक्स लीवर को हानि पहुंचा सकती हैं. ऐसे में लीवर को एंटीबायोटिक्स के दुष्प्रभाव से बचाने में मिल्क थिसल नामक हर्ब फायदेमंद होता है. इस हर्ब में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स लीवर की रक्षा करते हैं. इस हर्ब में सिलिबिनिन नामक सत्व पाया जाता है, जो शरीर को डिटॉक्सिफ़ाई करने में भी मदद करता है. बाज़ार में मिल्क थिसल के सप्लीमेंट्स लिक्विड, कैप्सूल इत्यादि रूपों में उपलब्ध हैं. डॉक्टर से सलाह लेकर इसका सही डोज़ लें. अदरक की चाय Reduce Antibiotic Side Effects Naturally अगर एंटीबायोटिक्स लेने पर नॉ़िजया या वॉमिटिंग की शिकायत होती है तो अदरक आपके लिए काफ़ी फ़ायदेमंद हो सकता है. अदरक में मौजूद नैचुरल एंटीबायोटिक्स हानिकारक बैक्टिरिया के कारण होनेवाले स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं. ताज़े अदरक में एंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं, जो खाने के कारण होनेवाली पैथोजेनिक बैक्टिरिया संबंधी बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं. दिन में तीन बार अदरक की चाय पिएं. अदरक की चाय बनाने के लिए एक इंच लंबी अदरक को डेढ़ कप पानी में 10 मिनट तक उबालें. फिर उसे छानकर शहद व नींबू का रस मिलाकर पिएं. आप डॉक्टर की सलाह लेकर जिंजर सप्लीमेंट्स का भी सेवन कर सकते हैं. सादा खाना जैसा कि पहले भी बताया है एंटीबायोटिक्स हानिकारक बैक्टिरिया के साथ-साथ लाभकारी बैक्टिरिया को भी मार देती हैं. ऐसे में अगर आप ज़्यादा मसालेदार, मीठा या कार्बोहाइड्रेट युक्त हैवी खाना खाएंगी तो डायरिया, नॉज़िया इत्यादि होने की संभावना बढ़ जाएगी. इससे बचने के लिए एंटीबायोटिक्स के कोर्स के दौरान व उसके कुछ दिनों बाद तक कम तेल-मसाला वाला सादा खाना खाएं. ऐसा खाना आसानी से पच जाता है, जिससे पाचन तंत्र पर ज़्यादा जोर नहीं पड़ता. परिणामस्वरूप शरीर को कड़ी एंटीबायोटिक दवाओं से रिकवर होने में मदद मिलती है. एप्पल साइडर विनेगर टॉनिक Reduce Antibiotic Side Effects Naturally एप्पल साइडर विनेगर टॉनिक में एंटीबैक्टिरियल गुण होते हैं, जो शरीर में मौजूद हानिकारक बैक्टिरिया से लड़ने में मदद करते हैं. इससे डायरिया को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है. इसके लिए एक ग्लास में एक या दो टेबलस्पून एप्पल साइडर विनेगर मिलाकर पिएं. ऐसा दिन में दो बार करें. ये भी पढ़ेंः इन 14 चीज़ों को फ्रिज में न रखें लिक्विड से दोस्ती कड़ी दवाओं का सेवन से मुंह सूखने लगता है व डायरिया के कारण शरीर में पानी की कमी भी हो जाती है, इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए दिनभर ख़ूब सारा पानी पिएं. अगर शरीर में ज़्यादा पानी की कमी हो जाए तो शरीर में एल्ट्रोलाइट्स की कमी पूरी करने के लिए पानी में शक्कर व नमक मिलाकर पिएं. इसके अलावा फलों व सब़्िजयों का जूस पिएं. शक्कर युक्त पेय पदार्थ, जैसे- चाय, कॉफी, सोडा, कोल्ड ड्रिंंक के साथ-साथ एल्कोहल से भी दूर रहें. सेहतमंद लाइफस्टाइल हल्की-फुल्की एक्सरसाइज़ करें. तनाव से दूर रहें. पूरी नींद लें व घ्रूमपान इत्यादि से दूर रहें. एंटीबायोटिक्सका सही कोर्स एंटीबायोटिक्स को सही तरी़के से काम करने के लिए सही डो़ज लेना बहुत ज़रूरी होता है. क्योंकि कोर्स के शुरुआत में एंटीबायोटिक्स सबसे कमज़ोर बैक्टिरियां को मराती हैं. ऐसे में दवा ठीक से न लेने या थोड़ा आराम मिलने पर कोर्स को बीच में छोड़ देने पर स्ट्रॉन्ग बैक्टिरिया जीवित रह जाते हैं, जिससे इं़फेक्शन फिर से उभर सकता है. अतः डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार ही एंटीबायोटिक का सेवन करें. कुछ एंटीबायोटिक्सको पानी के साथ ही लिया जा सकता है, जबकि कुछ एंटीबायोटिक्स को खाने के साथ लेना होता है, ताकि ये आसानी से शरीर में एब्जॉर्ब हो जाएं व पेट संबंधी समस्याएं न हो. अंतिम, लेकिन सबसे ज़रूरी बात डॉक्टर की सलाह के बिना कभी भी एंटीबायोटिक्स न लें. क्या आप जानते हैं? * पहली एंटीबायोटिक्स पेनिसिलिन की ख़ोज वर्ष 1928 में एलेक्ज़ेंडर फ्लेमिंग ने की थी. * तब से लेकर मौजूदा समय तक अलग-अलग देशों के वैज्ञानिक 150 प्रकार के एंटीबायोटिक्स डेवलप कर चुके हैं. * एंटीबायोटिक्स रिप्लिकेटिंग बैक्टिरिया (तेज़ी से फैलनेवाले बैक्टिरिया) को ख़त्म करती हैं. लेटेंट (स्थिर) बैक्टिरिया को मिटाने में वे ज़्यादा प्रभावकारी नहीं होतीं. * इन दिनों एंटीबायोटिक्स रेसिस्टेंस तेज़ी से उभर रही स्वास्थ्य संबंधी समस्या हैं. ऐसी स्थिति पर एंटीबायोटिक्स असर करना बंद कर देती है. यह समस्या बार-बार एंटीबायोटिक्स लेने से होती है. * सबसे ज़्यादा एंटीबायोटिक्स फार्म एनिमल्स को दिया जाता है. उसके बाद नंबर आता है बच्चों का. ये भी पढ़ेंः 9 संकेतों से जानें सेहत का हाल   हेल्थ से जुड़ी और जानकारी के लिए हमारा एेप इंस्टॉल करें: Ayurvedic Home Remedies

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