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यह सोच ही दरअसल ज़िम्मेदार है, किसी भी स्त्री के मन में बेवजह अपराधबोध की भावनाओं के बीज बोने के लिए. उसे न जाने क्यों कटघरे में खड़ा कर दिया जाता है... क्या मां बनना अपराध है? क्या सेलिब्रिटी होना गुनाह है? मां बनने के बाद क्यों ये मान लिया जाता है कि अब करियर ख़त्म हो गया? क्यों हर व़क्त उस स्त्री के शरीर व उसमें हुए बदलावों पर ताने कसे जाते हैं? मां बनना किसी भी स्त्री के लिए प्रकृति की सबसे ख़ूबसूरत कृति है... उसके बाद शरीर और मन दोनों बदलता है, तो इसमें ग़लत क्या है... क्यों नहीं किसी भी स्त्री को इस अनोखे एहसास के साथ जीने दिया जाता? क्यों बेवजह सवालों की बौछार उस पर कर दी जाती है... उसे कम से कम अपने मातृत्व के अनोखे पलों को शिद्दत से महसूस तो करने दो... व़क्त के साथ सारे सवाल हल हो जाएंगे... वो ख़ुद तय करेगी कि उसे आगे कब, कैसे और क्या करना है... सालों पहले जब मेरी बड़ी बेटी ईशा का जन्म हुआ था, तब सबसे पहले मुझसे भी यही पूछा गया था कि क्या मैं अब अपने करियर को प्राथमिकता नहीं दूंगी? क्योंकि हमारे समाज में यही मान्यता है कि मां बनने का अर्थ है आपको अपने सपनों से, अपनी रचनात्मकता और अपनी ख़्वाहिशों से समझौता करना पड़ेगा! मैंने ख़ुशी-ख़ुशी मातृत्व को चुना, क्योंकि उस व़क्त मेरी प्राथमिकता वही थी. मैं यह जानती थी कि कुछ समय के लिए मुझे अपने काम से ब्रेक लेना ही होगा, और वैसे भी यह मेरी चॉइस थी और मैंने अपनी ख़ुशी से अपने मातृत्व को स्वीकारा था. वैसे भी मैं जो भी करती हूं, उसमें अपना शत-प्रतिशत देती हूं, चाहे वो करियर हो या फिर परिवार. मैं उस समय मां बनने के उस एहसास को पूरी तरह से जीना चाहती थी. मेरे लिए यह बात कोई मायने नहीं रखती थी कि मैं लंबे समय के लिए स्पॉटलाइट में नहीं रहूंगी, क्योंकि मेरे ज़ेहन में कभी यह बात नहीं आई कि मेरा करियर और मेरा मातृत्व एक-दूसरे के ख़िलाफ़ हैं. मैं पूरी तरह से आश्वस्त थी कि जब समय व हालात सही होंगे, तो मैं अपने काम पर दोबारा ज़रूर लौटूंगी, मुझे कुछ सामंजस्य बैठाने होंगे, कुछ एडजेस्टमेंट्स करने होंगे और वो मैं ज़रूर करूंगी.यह भी पढ़ें: हेमा मालिनी… मेरी ख़ूबसूरती का राज़… देखें वीडियो
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