गणेशजी से जुड़े रोचक तथ्य (19 Surprising Things You Didn’t Know About Lord Ganesha)
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* कुण्डलिनी योग के अनुसार, सात कुण्डलिनी चक्रों में से पहला चक्र, जो हमारी रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले हिस्से या आधार में स्थित मूल चक्र गणेशजी का निवास स्थान है.
* महर्षि व्यास की महाभारत गणेशजी ने लिखी थी. वे बोलते गए, गणेशजी लिखते रहे. लिखने के लिए उनके पास कुछ नहीं था, तो उन्होंने अपना एक दंत तोड़कर महाभारत लिखी, जिससे वे एकदंत कहलाए.
* गणेश भगवान के कानों में वैदिक ज्ञान, मस्तक में ब्रह्म लोक, आंखों में लक्ष्य, दाएं हाथ में वरदान, बाएं हाथ में अन्न, सूंड में धर्म, पेट में सुख-समृद्धि, नाभि में ब्रह्मांड और चरणों में सप्तलोक है.
* हर युग में गणेश भगवान के अलग-अलग रूप की आराधना की गई है. गणेश पुराण के अनुसार, सतयुग में उनका दस भुजाओंवाला सिंह की सवारीवाला विनायक रूप, त्रेता युग में श्वेत वर्ण छह भुजाओंवाले मयूर की सवारी मयूरेश्वर रूप, द्वापर युग में चार भुजाओंवाले लाल वर्ण व मूषक की सवारीवाले गजानन, कलियुग में दो भुजाएं अश्व वाहन धूम्र वर्ण धूम्रकेतु रूप प्रचलित रहेगा.
* घर में गणेशजी का फोटो लगाते समय ध्यान दें कि फोटो मेें मोदक व चूहा ज़रूर हो. इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
* जीवन में शांति बनी रहे, इसके लिए स़फेद गणपति की पूजा-अर्चना करें.
* कामयाब व मशहूर होने के लिए पन्नावाले भगवान गणेश की आराधना करें.
* बच्चे की कामना के लिए बाल गणेश की पूजा करें.
* डर व शत्रुओं से बचने के लिए मूंगावाले गणेश भगवान की स्तुति करें.
* धन-वैभव के लिए चांदी के गणपति घर में रखें. साथ ही कमल पर बैठे गणेशजी की भी पूजा कर सकते हैं.
* परिवार में आपसी स्नेह, प्यार, सहयोग बना रहे, लड़ाई-झगड़े, कलह आदि न हो, इसके लिए चंदन के गणपति की पूजा करें.
* सिंदूरी रंग के गणेश भगवान की आराधना करने से घर के सभी कार्य निर्विघ्न रूप से होते हैं.
* घर के सेंटर में पूर्व दिशा में गणपतिजी को रखना शुभ होता है.
* मुख्यद्वार पर गणेशजी की दो मूर्ति लगाएं, जिनकी पीठ आपस में मिली हो. इससे सभी तरह के वास्तु-दोष दूर हो जाते हैं.
* घर में गणपतिजी की बैठी मुद्रा और शॉप-ऑफिस में खड़ी मुद्रा शुभदायक होती है.
* गणपति भगवान का मुंह दक्षिण दिशा की तरफ़ न हो.
* एक घर में 3 गणपति की पूजा न करें.
* घर-ऑफिस में गणपति रखते समय ध्यान दें कि इनका मुंह दक्षिण-पश्चिम दिशा में न हो.
* गणेशजी की मूर्ति की स्थापना करते समय उनकी सूंड बाएं हाथ की ओर घूमी हुई हो.