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पर्सनल प्रॉब्लम्स: बिना सर्जरी ब्लैडर प्रोलैप्स का क्या इलाज है? (How To Fix A Prolapsed Bladder Without Surgery?)

मैं 38 वर्षीया महिला हूं. मेरी पिछली डिलीवरी हॉस्पिटल पहुंचने से पहले घर पर ही हो गई थी, जिसके बाद से ही मुझे पीठदर्द और शरीर के निचले हिस्से में भारीपन महसूस हो रहा है. डॉक्टर के मुताबिक़ मेरा गर्भाशय और यूरिनरी ब्लैडर (Bladder) का कुछ हिस्सा नीचे की ओर खिसक गया है. मैं सर्जरी (Surgery) नहीं करवाना चाहती, इसलिए उन्होंने मुझे रिंग पेसरी (ring pessary) इंसर्ट करवाने की सलाह दी है, पर इसे हर 3 महीने में बदलना होगा. मुझे क्या करना चाहिए? आप क्या सलाह देंगी.
- मोहिनी राव, नोएडा.
आपके द्वारा बताए लक्षणों से लग रहा है कि आपको गर्भाशय व यूरिनरी ब्लैडर का प्रोलैप्स हुआ है. जैसा कि आपने बताया रिंग पेसरी आपकी समस्या का एक अस्थायी विकल्प है, जो गर्भाशय को उसकी जगह पर वापस पहुंचा देता है, पर इसे हर 3 महीने में या इंफेक्शन होने पर निकलवाना पड़ता है. सर्जरी इसका स्थायी इलाज है, पर चूंकि आप सर्जरी नहीं करवाना चाहतीं, इसलिए इसे ट्राई कर सकती हैं. यह भी पढ़ें: शारीरिक संबंध के बाद १-२ दिन तक ब्लीडिंग क्यों होती है?
Prolapsed Bladder Without Surgery
हमारे दूसरे बच्चे के जन्म के बाद ही मेरे पति ने नसबंदी करवा ली थी, पर हाल ही में एक एक्सीडेंट में हमने अपना एक बच्चा खो दिया. अब हम बहुत दुखी व परेशान हैं. क्या किसी सर्जरी के ज़रिए हम एक बार फिर बच्चा पैदा कर सकते हैं? ऐसी सर्जरी में सफलता की कितनी संभावना है? कृपया वो भी बताएं.
- वर्णिका राणा, भुज.
नसबंदी स्थायी गर्भनिरोधक है, पर वैसोवैसोस्टॉमी सर्जरी (नसबंदी को दोबारा खोलना) में नसबंदी के दौरान कट की गई नसों को दोबारा जोड़ा जाता है. इसकी सफलता कई बातों पर निर्भर करती है, जैसे कि नसबंदी को कितना समय हो गया, उसके पहले आपके पति का फर्टिलिटी लेवल कैसा था आदि. नसबंदी के 3 साल के भीतर अगर यह सर्जरी की जाए, तो सफलता की संभावना अधिक होती है. इन सबके अलावा डॉक्टर और अस्पताल के चुनाव और आपकी फर्टिलिटी जैसी बातों का भी आपको ध्यान रखना होगा. इन सभी बातों पर ग़ौर करके ही कोई निर्णय लें. यह भी पढ़ें: फैलोपियन ट्यूब्स न होने पर भी क्या मैं मां बन सकती हूं?

यूं पाएं पीएमएस (PMS) की परेशानी से छुटकारा

पीएमएस यानी प्री मेन्सट्रुअल सिंड्रोम, जो आपके पीरियड्स के 14वें दिन से पहले दिन तक रहता है. शरीर में कई शारीरिक व मानसिक बदलावों के कारण पीएमएस के दौरान अक्सर लड़कियों में चिड़चिड़ापन, झुंझलाहट, थकावट और बेवजह ग़ुस्सा दिखाई देता है. पीएमएस आप पर भारी न पड़े, इसलिए आपको इस दौरान ख़ास ध्यान देने की ज़रूरत है.
  • अपने भोजन में मैग्नीशियम को शामिल करके आप पीएमएस के लक्षणों को बड़ी ही आसानी से कम कर सकते हैं. मस्तिष्क में सेरोटॉनिन नामक रसायन होता है, जो आपके मिजाज़ और दर्द की अनुभूति में अहम भूमिका निभाता है. मैग्नीशियम सेरोटॉनिन को नियंत्रण में रखता है, ताकि मानसिक बदलावों को नियंत्रण में रखकर आप पीएमएस के नकारात्मक प्रभाव से बच सकें.
  • मैग्नीशियम से भरपूर पदार्थ: ब्राउन राइस, मसूर की दाल, काजू, सूरजमुखी के बीज, पालक और बीन्स.
  • अपने डायट से फैट कम करने की बजाय हेल्दी फैट को शामिल करें. पीरियड्स के दो हफ़्ते पहले अपने डायट में हेल्दी फैट शामिल करें.
  • हेल्दी फैट से भरपूर पदार्थ: कद्दू के बीज, अखरोट, टूना और साल्मन फिश.
  • पोटैशियम भी आपके पीएमएस मूड स्विंग्स को कंट्रोल करने में बहुत फ़ायदेमंद साबित होता है. इसके लिए आप पोटैशियम के गुणों से भरपूर केला, संतरा, सेब, नींबू पानी, नारियल पानी आदि को अपने डायट में शामिल कर सकती हैं.
  • लौकी, ककड़ी और तरबूजे में पानी की भरपूर मात्रा होती है, इसलिए इनके सेवन से शरीर में पानी की कमी नहीं होती.
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डॉ. राजश्री कुमार
स्त्रीरोग व कैंसर विशेषज्ञ
[email protected]
   

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