महत्वपूर्ण बातें
- दाख़िले के व़क्त बच्चे की उम्र तीन साल होनी चाहिए, क्योंकि तीन साल से कम उम्र होने पर दाख़िला रद्द कर दिया जाएगा. - अधिकतम उम्र तीन से चार साल के बीच हो सकती है. - राइट टु एजुकेशन एक्ट (2009)के अनुसार, पहली कक्षा में प्रवेश के समय बच्चे की उम्र छह साल होनी चाहिए. - राइट टु एजुकेशन एक्ट के सेक्शन 14(2) के अनुसार, बर्थ सर्टिफिकेट या अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों के बिना स्कूल में किसी बच्चे को दाख़िला नहीं मिलेगा. - इस एक्ट के अनुसार, सभी स्कूलों को अपने कोटे की 25% सीटें आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (इकोनॉमिकली वीक सेक्शन-ईडब्ल्यूएस) के बच्चों के लिए रिज़र्व करनी होगी. - प्रत्येक स्कूल में दाख़िले की प्रक्रिया अलग-अलग होती है, जैसे- लॉटरी सिस्टम, पॉइंट्स सिस्टम, मेरिट बेस आदि. इसलिए पैरेंट्स रजिस्ट्रेशन और एडमिशन फॉर्म भरने से पहले ही सारी जानकारियां एकत्रित कर लें. - पैरेंट्स सबसे पहले यह निर्णय लें कि दाख़िले के लिए किस-किस स्कूल में आवेदन भरना है, फिर स्कूल के स्तर पर आवेदन की प्रकिया शुरू करें. - पहले दाख़िले से जुड़ी सारी जानकारियां और सूचनाएं स्कूल के नोटिस बोर्ड पर दी जाती थीं. आजकल हर स्कूल की अपनी वेबसाइट होती है. स्कूल के नोटिस बोर्ड पर देखने की बजाय पैरेंट्स समय-समय पर वेबसाइट्स चेक करें.पैरेंट्स जानें अपने अधिकारों के बारे में
- शिक्षा निदेशालय के आदेशानुसार, पैरेंट्स को यह जानने का पूरा अधिकार है कि स्कूलों में एडमिशन का क्या प्रोसेस है. सभी स्कूलों की यह ज़िम्मेदारी बनती है कि वे अपने स्कूल के नोटिस बोर्ड या वेबसाइट पर एडमिशन प्रोसेस की पूरी जानकारी दें. - दाख़िले के नाम पर कोई भी स्कूल बच्चों का इंटरव्यू नहीं ले सकते. - स्कूलों को सिबलिंग्स (करंट एकेडेमिक ईयर में बच्चे के बड़े भाई-बहन, जो पहले से ही उसी स्कूल में पढ़ते हैं) और ट्रांसफर के मामले में बच्चों को प्राथमिकता देनी होगी. - स्कूल के नज़दीक रहनेवाले बच्चों को प्राथमिकता मिलेगी. स्कूल चाहे तो उन्हें स्कूल बस की सुविधा उपलब्ध कराकर उन्हें दाख़िला दे सकता है. - इसके अतिरिक्त स्कूलों को कुछ अन्य स्थितियों में भी बच्चे के दाख़िले को प्राथमिकता देनी होगी, जैसे- पैरेंट्स में से कोई एक उसी स्कूल में पढ़ा हुआ हो, सिंगल पैरेंट या गर्ल चाइल्ड हो तो. - ट्रांसफर के मामले में पैरेंट्स को स्कूल द्वारा तय की गई तारीख़ तक ट्रांसफर सर्टिफिकेट जमा कराना अनिवार्य है, अन्यथा दाख़िले की सीट को रद्द करके वेटिंग में डाल दिया जाएगा. - केवल दाख़िले के समय बच्चे के ओरिजनल डॉक्यूमेंट्स स्कूल में जमा कराने होंगे. - हाल ही में आए नए नियमों के अनुसार, जिन बच्चों का दाख़िला चाहे किसी भी कारण से रद्द हुआ हो (चाहे सभी दस्तावेज़ जमा न कराने के कारण हुुआ हो या फिर अन्य कारण से), स्कूल की ज़िम्मेदारी है कि ऐसे बच्चों की रजिस्ट्रेशन फीस को छोड़कर बाकी की पूरी फीस लौटाए. - इसके अतिरिक्त ऐसे पैरेंट्स, जिन्होंने एक महीने के अंदर ही अपने बच्चे का दाख़िला वापस ले लिया है, तो स्कूलों को रजिस्ट्रेशन फीस, दाख़िला फीस और एक महीने की ट्यूशन फीस काटकर अभिभावकों को लौटानी होगी. यदि स्कूल ऐसा नहीं करते हैं, तो पैरेंट्स उनके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज करा सकते हैं. - यदि पैरेंट्स के मनचाहे स्कूल में बच्चे का दाख़िला नहीं हुआ है, तो पैरेंट्स को अधिकार है कि वे अपने बच्चे के सर्टिफिकेट्स और अन्य डॉक्यूमेंट्स वापस लें. - अगर अभिभावक अपने बच्चे के एडमिशन प्रोसेस से संतुष्ट नहीं हैं, तो वे शिक्षा निदेशालय में आरटीआई एक्ट 2005 के तहत जानकारी पा सकते हैं.गाइडलाइन फॉर एडमिशन
- स्कूल द्वारा जारी किए गए प्रॉस्पेक्टस और वेबसाइट पर पैरेंट्स निम्न जानकारियां हासिल कर सकते हैं- 1. कुल सीटों की संख्या. 2. रजिस्ट्रेशन फॉर्म मिलने की तारीख़ और फॉर्म जमा करने की तारीख़. 3. स्कूल फीस का पूरा ब्यौरा व अन्य ख़र्चों की जानकारी. 4. स्कूल द्वारा बच्चों को दी जानेवाली सुविधाओं की जानकारी. 5. दाख़िले के समय जमा कराए जानेवाले ओरिजनल दस्तावेज़ों (बच्चे का ओरिजनल बर्थ सर्टिफिकेट, रेसीडेंस एडे्रस प्रूफ (टेलीफोन बिल, बिजली/पानी का बिल आदि) की फोटोकॉपी, फिटनेस सर्टिफिकेट, एडमिशन फीस का डिमांड ड्राफ्ट आदि) का पूरा ब्योरा. -
- सभी स्कूलों द्वारा जारी किए गए एडमिशन फॉर्म की एक स्टैंडर्ड क़ीमत 25 रुपए तय की गई है. -
- पैरेंट्स चाहें तो स्कूल की वेबसाइट पर जाकर एडमिशन फॉर्म डाउनलोड करके ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी करा सकते हैं.
- स्कूल द्वारा चार्ज किए गए रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान नकद करना पड़ता है और यह रजिस्ट्रेशन फीस नॉन रिफंडेबल होती है. चाहे बच्चे का दाख़िला हो या न हो.
- दाख़िले से पहले कोई भी स्कूल बच्चे या उसके पैरेंट्स का इंटरव्यू नहीं ले सकते हैं. हां, पैरेंट्स के साथ औपचारिक बातचीत कर सकते हैं.
- पैरेंट्स द्वारा भरा गया अधूरा फॉर्म स्वीकृत नहीं किया जाएगा.
शिकायत कहां दर्ज कराएं
स्कूल में दाख़िले को लेकर शिक्षा मंत्रालय ने कठोर क़दम उठाए हैं. उनके ख़िलाफ़ पैरेंट्स यहां पर अपनी शिकायत करा सकते हैं. - कोई भी स्कूल दाख़िले के लिए आवेदन की अंतिम तिथि से पहले आवेदन प्रक्रिया बंद नहीं कर सकता. यदि करता है, तो पैरेंट्स इसकी शिकायत उस ज़ोन के डिप्टी डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन से कर सकते हैं. - यदि पैरेंट्स को ऐसा महसूस होता है कि स्कूल में दाख़िले की प्रक्रिया के दौरान उनके साथ कोई धोखाधड़ी, बदसलूकी हुई है या फिर उन्हें मैनेजमेंट कमिटी या प्रिंसिपल से कोई शिकायत है, तो वे इसकी लिखित शिकायत उस ज़ोन के डिप्टी डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन के पास दर्ज करा सकते हैं. - पैरेंट्स अपने राज्य (जहां पर अभिभावक रहते हैं, उस राज्य का नाम, जैसे- दिल्ली, मुंबई आदि) के एजुकेशन डायरेक्टर को भी लिखित रूप से शिकायत दर्ज करा सकते हैं. - इसके अलावा राज्य सरकार के शिक्षा मंत्री को भी लिखित रूप में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.- पूनम नागेंद्र
Link Copied