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जानें कपल थेरेपी के फ़ायदे (Know The Benefits Of Couple Therapy)

कपल थेरेपी का मतलब सिर्फ पार्टनर्स के बीच की समस्याओं को सुलझाने तक सीमित नहीं है, बल्कि दोनों के बीच के रिश्ते और इमोशनल बॉन्डिंग को मज़बूत बनाना भी है.

क्या है कपल थेरेपी?

कपल थेरेपी को मैरिज काउंसलिंग भी कहते हैं. यह थेरेपी का एक ऐसा स्पेशलाइज़्ड फॉर्म है, जिसे इस तरह से क्रिएट और डिज़ाइन किया गया है कि पार्टनर्स के बीच में विवाद ख़त्म हों और उनके बीच होने वाले कम्युनिकेशन्स में सुधार हो. इस थेरेपी में पार्टनर्स के लिए गाइड सेशंस होते हैं. इन सेशंस में कपल्स के बीच के छोटे-छोटे इश्यूज़ को सुलझाने और आपसी रिश्ते को मज़बूत बनाने के लिए दोनों मिलकर काम करते हैं.

शादी के बाद जब कपल्स को आपस में या अन्य कारणों से अपने रिश्ते को मैनेज करने में मुश्किलें आती हैं, तो ऐसे में कपल थेरेपी की ज़रूरत पड़ती है. अपने रिश्ते को बचाने के लिए पार्टनर्स को कपल थेरेपी का सहारा लेना चाहिए. रिश्तों को बचाने के लिए एक्सपर्ट्स उनकी मदद करते हैं. पार्टनर्स को कपल थेरेपी कब लेनी चाहिए, जब-

- जब दोनों के बीच हर छोटी-छोटी बात पर लड़ाई होने लगे.

- रिश्ते में कड़वाहट आनी शुरू हो जाए.

- दोनों के बीच बातचीत बंद हो जाए.

- पार्टनर्स एक-दूसरे से बातें छिपाने लगें.

- एक ही मुद्दे पर अलग और ग़लत डिसीज़न लेने लगें.

- दोनों पार्टनर्स एक-दूसरे को छोड़ना भी नहीं चाहते हों.

- सेक्स लाइफ ठीक नहीं चल रही हो.

- पार्टनर्स साथ तो रहते हैं, लेकिन भावनात्मक रूप से अकेलापन महसूस करते हैं.

- पार्टनर के दिमाग़ में अलगाव या तलाक जैसी बातें आने लगें.

- जब उन्हें इस बात का एहसास होने लगे कि लाख कोशिशें करने के बाद भी उनका रिश्ता नहीं बच पा रहा है.

कपल थेरेपी के होते हैं ये फ़ायदे

कपल के बीच बेहतर कम्युनिकेशन विकसित होता है

हेल्दी रिलेशनशिप की नींव है कम्युनिकेशन. बढ़ते वर्कलोड, घर-ऑफिस की ज़िम्मेदारी निभाने के चक्कर में अक्सर कपल के बीच कम्युनिकेशन गैप आ जाता है, इसलिए कपल्स इस थेरेपी को लेते हैं, ताकि उनके बीच बेहतर कम्युनिकेशन विकसित हो. थेरेपी के दौरान एक्सपर्ट्स कपल को ये सिखाते हैं कि ज़रूरत के समय किस तरह से और प्रभावी तरी़के आपस में कम्युनिकेट करें. थेरेपी का दूसरा लाभ यह होता है कि पार्टनर एक-दूसरे को सुनने और समझने का महत्व सीखते हैं.

रिश्ते की गहराई समझ आती है

इस थेरेपी का सबसे बड़ा फ़ायदा यह होता है कि दोनों पार्टनर्स अपने रिश्ते की गहराई समझना शुरू कर देते हैं. जिन मुद्दों पर लड़ाई हुई या हो सकती है, उन पर कैसे रिएक्ट करना है, उन्हें ये तरीका समझ में आता है. अच्छे-बुरे समय में रिश्ते को कैसे संभालना है. किस तरह से रिश्ता मजबूत बनाना है- ये स्किल विकसित होती है.

अपने और अपने साथी के लिए सेफ प्लेस बनाएं: जब पार्टनर्स का किसी बात को लेकर विवाद चल रहा होता है, तो दोनों पार्टनर अपने लिए सेफ प्लेस ढूंढ़ रहे होते हैं. ऐसी स्थिति में कपल थेरेपी पार्टनर्स के बीच सेफ प्लेस क्रिएट करती है. एक्सपर्ट की देखरेख में इस सेफ प्लेस में सीमाएं तय की जाती हैं कि टकराव की स्थिति में दोनों को कितना बोलना है और किस प्रकार से प्रभावशाली तरीके से बात कर ग़लतफहमी को दूर करना है.

चीज़ों को एक-दूसरे के नज़रिए से देखना शुरू करते हैं : थेरेपी लेने से पहले पार्टनर रिश्ते को अपने तरीके से देखता है, क्योंकि ये उसकी भावनाएं हैं, जो उसके लिए मायने रखती हैं. जबकि दूसरे पार्टनर के नज़रिए को समझना और स्वीकार करना आसान नहीं होता. कपल थेरेपी का लाभ ये होता है कि पार्टनर्स चीज़ों को एक-दूसरे के दृष्टिकोण सेे देखना शुरू करते हैं. एक्सपर्ट्स पार्टनर्स को किसी भी चीज़ को निष्पक्ष रूप से देखने में मदद करते हैं, ताकि उनके बीच मिसअंडरस्टैंडिंग न हो और उनके बीच किसी तरह की कोई समस्या न हो.

रिश्ते में आने वाली बाधाओं को दूर करना सीखते हैं: रिश्तों में उतार-चढ़ाव तो लगा रहता है. कभी एक पार्टनर एक फैसले पर सहमत होता है, तो दूसरा दूसरे पर. अगर पार्टनर किसी खास मुद्दे पर बात कर रहे हैं और उन्हें उस मुद्दे का समाधान नहीं मिल रहा है, तो कपल्स व्यक्तिगत या ऑनलाइन थेरेपी की मदद ले सकते हैं. लेकिन बच्चों की पढ़ाई, पैरेंट्स की ज़िम्मेदारी, घर-बाहर की ज़िम्मेदारियां रिश्तों पर बोझ डालते हैं, जिससे रिश्तों में समस्याएं आने लगती हैं. कपल थेरेपी की मदद से असल समस्या की जड़ तक आसानी से पहुंचकर उनका हल निकाल सकते है.

रिश्ते से जुड़ी समस्याओं का हल करना सीखते हैं: कोई भी रिश्ता अपने आपमें परफेक्ट नहीं होता है. कई बार रिश्ते में कठिन समय, तनाव, क्रोध, उदासी, बाधा पैदा करने वाली स्थितियां पैदा हो जाती हैं. ऐसी स्थितियों में ये थेरेपी रोडमैप के तौर पर मार्गदर्शन का काम करती है.

कपल थेरेपी लेने का सही समय कब होता है?

रिलेशनशिप एक्सपर्ट्स के अनुसार- कपल थेरेपी लेने का सही समय शादी से पहले का होता है. यदि लड़का-लड़की शादी से पहले मैरिज काउंसलर के पास जाते हैं तो वे एक-दूसरे की पर्सनैलिटी, स्वभाव, मूड, शौक़, पसंद-नापसंद को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं. और शादी के बाद वे अपने रिश्ते को मजबूत बनाए रखने के लिए सही प्रयास कर पाते हैं.

कपल थेरेपी के बारे में क्या सोचते हैं लोग?

रिलेशनशिप एक्सपर्ट्स का मानना है कि कपल थेरेपी के बारे में लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया है. कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि थेरेपी की ज़रूरत तब पड़ती है, जब रिश्तों में मुश्किलें और दूरियां आती हैं. जबकि ऐसा नहीं है. कपल थेरेपी लेने से कपल के बीच में खुलापन और इमोशनल बॉन्डिंग बढ़ती है. एक-दूसरे के लिए मन में दया और सहानुभूति का भाव पैदा होता है.

आज की यंग जेनेरशन में कपल थेरेपी का चलन बढ़ रहा है. शादी के बाद किसी तरह की कोई गलतफहमियां पैदा न हों, इसलिए कपल मैरिज कॉउंसलर के पास जा रहे हैं, जिस से उनके रिश्ते में सकारात्मक सोच विकसित हो और आपसी कम्यूनिकेशन को मजबूत करने में मदद मिल सके.

साल 2023 में किए गए वेरीवेल माइंड के रिलेशनशिप और थेरेपी सर्वेक्षण ये परिणाम निकले हैं कि-

1. कपल थेरेपी में शामिल 99% लोगों का यह मानना था कि इस थेरेपी का उनका रिलेशनशिप पर सकारात्मक असर हुआ है, जबकि बचे हुए 1% लोगों का कहना है कपल थेरेपी का उनकी शादीशुदा जीवन पर बहुत अधिक गहरा प्रभाव पड़ा है. 2. रिलेशनशिप काउंसलर या एक्सपर्ट के पास जाने के लिए ज़रूरी नहीं है कि पार्टनर के साथ आपका रिश्ता बहुत ख़राब हो. ये थेरेपी दोनों पार्टनर के लिए एक इन्वेस्टमेंट की तरह है, ताकि दोनों अपने रिश्ते को मज़बूत बनाने के तरीके ढूंढ़ सकें. 3. शादीशुदा जीवन में अपने रोमांटिक रिलेशनशिप की क्वालिटी में सुधार करना कपल्स के लिए चुनौतीपूर्ण काम है, लेकिन कपल थेरेपी की मदद से यह काफी हद तक मैनेज हो जाता है.

- पूनम नागेंद्र शर्मा

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