"महाराज, धरती फट रही है आप भी भाग कर अपनी जान बचाइए.” बंदर ने बड़े सयाने ढंग से कहा.
“किसने बताया तुम्हें?” शेर ने जानवरों के झुंड पर नज़र घुमाते हुए पूछा.
सब जानवर एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे.
एक दिन धोबी को अपने काम से कहीं दूर जाना पड़ गया. अतः गधे को उस दिन कोई काम न था और वह एक पेड़ की छाया में लेट गया.
लेटे-लेटे गधे के दिमाग़ में कई फालतू विचार आने-जाने लगे.
‘यदि धरती फट जाए, तो मेरा क्या होगा?’ उसने सोचा.
ऐसे उल्टे-सीधे विचारों के बीच उसे नींद आ गई कि उसी समय ज़ोर के धमाके की आवाज़ हुई.
नींद में तो था ही, वह नींद में ही भागने लगा और ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा, “भागो भागो, धरती फट रही है.”
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सामने एक बंदर आ रहा था. गधे को भागते देख उसने गधे से भागने का कारण पूछा.
भागते-भागते ही गधा चिल्लाया, “देखते नहीं कि धरती फट रही है. जान प्यारी है तो तुम भी यहां से कहीं दूर भाग जाओ.”
उन दोनों को भागता देख अन्य जानवरों ने भी भागने का कारण पूछा एवं जवाब सुन इनके पीछे भागने लगे. चारों तरफ़ चीख-पुकार और भगदड़ मच गई. सियार, लोमड़ी, हाथी, घोड़े सब भाग रहे थे.
शेर अपनी गुफा में चैन की नींद सो रहा था.
शोरगुल सुन वह बाहर निकला और दहाड़ कर इस भगदड़ का कारण पूछा.
“महाराज, धरती फट रही है आप भी भाग कर अपनी जान बचाइए.” बंदर ने बड़े सयाने ढंग से कहा.
“किसने बताया तुम्हें?” शेर ने जानवरों के झुंड पर नज़र घुमाते हुए पूछा.
सब जानवर एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे.
“मुझे तो लोमड़ी ने बताया.” हाथी बोला.
और लोमड़ी को घोड़े ने बताया था. पूछते-पूछते बात गधे तक पहुंची. उसी ने तो इसकी शुरुआत की थी.
“तुम्हें कैसे पता चला?” शेर ने गधे से पूछा.
गधा थोड़ा घबराया. फिर हिम्मत करके बोला, “मैंने अपने कानों से धरती फटने की आवाज़ सुनी है महाराज." गधे ने कुछ हकलाते हुए उत्तर दिया.
शेर ने कहा, “ठीक है मुझे तुम वहां ले चलो.” अत: गधा उसे बरगद के उस पेड़ के पास ले गया, जहां सोते हुए उसने धमाका सुना था.
“मैं यहां सो रहा था जब मैंने ज़ोर का धमाका सुना. और उस तरफ़ से कुछ धूल उड़ती भी दिखाई दी थी.”
यह कहकर उसने उस दिशा की ओर इंगित कर दिया. उस दिशा में जाने पर शेर ने पाया कि वहां नारियल का एक ऊंचा वृक्ष था, जिससे कुछ नारियल तेज़ हवा चलने के कारण एक साथ ही नीचे पड़ी चट्टान पर आन गिरे. इससे चट्टानें टूटी ही, तेज़ हवा के कारण धूल भी ख़ूब उड़ी.
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वह तो गधा था, परन्तु हम मनुष्यों को तो ईश्वर ने मस्तिष्क भी दिया है और सोचने की शक्ति भी.
आइंदा अफ़वाहों (rumours) पर यक़ीन करने से पहले बात की सच्चाई पक्की अवश्य कर लें.
ऐसी अफ़वाहों के कारण ही अनेक बार दंगे हो जाते हैं और अनेक निर्दोष व्यक्तियों की मृत्यु भी हो जाती है.
- उषा वधवा

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