ज्योतिष विज्ञान के अनुसार आंख फड़कने का मतलब किसी शकुन और अपशकुन का संकेत होता है. अंधविश्वास को दरकिनार कर दें, तो आंखों का फड़कना आम बात है. लेकिन कुछ स्थितियों में ऐसा होना किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है.
किन कारणों से फड़कती हैं आंखें
- बहुत अधिक तनाव के कारण.
- बहुत थकावट महसूस होने पर.
- नींद की कमी के कारण.
- आंखों पर ज़ोर पड़ने पर और पलकों में जलन होने पर.
- प्रदूषित हवा के कारण.
- किसी दवा का साइड इफेक्ट होने पर.
- खाने में पोषक तत्वों की कमी होने पर.
- ऑटोइम्यून डिसऑर्डर और मेटाबॉलिक डिसऑर्डर होने पर.
- कैफ़ीन (चाय, कॉफी, सॉफ्ट ड्रिंक्स और चॉकलेट आदि) का बहुत अधिक सेवन.
- शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने पर.
- डिस्टोनिया, सर्वाइकल डिस्टोनिया, मल्टीपल स्केलेरोसिस, पार्किंसन डिसीज और टॉरेट सिंड्रोम जैसी नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारियों के कारण.
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक- यदि आपकी आंख बहुत अधिक दिनों तक लगातार फड़कती है, तो ये किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है. चिकित्सा के क्षेत्र में आंख फड़कने की तीन स्थितियां होती हैं. पहली- मायोकेमिया, दूसरी- ब्लेफेरोस्पाज्म, तीसरी- हेमीफेशियल स्पाज्म.
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आईलिड मायोकेमिया
इस स्थिति में आंख फड़कती तो है, लेकिन हल्के-हल्ल्के फड़कती हैं. ऐसा बिज़ी लाइफस्टाइल के कारण कभी-कभी, एक-दो दिन के लिए या फिर कुछ घंटों के लिए हो सकता हैे और ये स्थिति अपने आप ठीक भी हो जाती है. ये स्थिति स्ट्रेस, आंखों की थकावट, कैफीन का बहुत अधिक सेवन, नींद का पूरा न होना और मोबाइल व कंप्यूटर का बहुत ज़्यादा इस्तेमाल करने की वजह से होती है.
बिनाइन इसेन्शियल ब्लेफेरो स्पाज्म
ये स्थिति आंखों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है. इस बीमारी में आंखों की मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं, जिससे आंखों को नुकसान हो सकता है. इस बीमारी से पलकें झपकाने पर दर्द महसूस होना, बड़ी मुश्किल से आंखें खोलना, आंखों में सूजन होना, धुंधला दिखना और पलक के साथ आंखों के आसपास की मांसपेशियों का फड़कना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.
हेमीफेशियल स्पाज्म
हेमीफेशियल स्पाज्म में चेहरे का आधा हिस्सा सिकुड़ जाता है. इसका साइड इफेक्ट आंखों पर भी पड़ता है. इस बीमारी के कारण पहले आंखें फड़कती हैं और फिर गाल और मुंह की मांसपेशियां फड़कने लगती हैं. ऐसा चेहरे की नसों के सिकुड़ने के कारण होता है. यदि ये स्थिति लगातार कुछ दिनों तक बनी रहती है, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. ऐसा बैन पल्सी, सर्वाइकल डिस्टोनिया, मल्टीपल सेलोरोसिस और पार्किन्सन के कारण हो सकता है.
आंख फड़कने पर क्या करें?
- यदि आप लगातार स्क्रीन पर काम करते हैं, तो हर दो घंटे बाद 20 मिनट आंखों को आराम दें.
- दोनों हथेलियों को आपस में रगड़कर आंखों के ऊपर कुछ सेकंड तक रखें. ऐसा करने से आंखों को आराम मिलता है
- अच्छी नींद लें, जिससे आंखों को आराम मिले, ताकि फड़कना कम हो सके.
- मोबाइल, वीडियो गेम्स, लैपटॉप और कंप्यूटर का उपयोग न करें.
- लगातार टीवी न देखें.
- डायट में जंक फूड न खाएं. डेली डायट में हरी सब्ज़ियां और मौसमी फलों को शामिल करें.
- कैफीन वाले ड्रिंक्स पीने से बचें.
- दिनभर में 8-10 ग्लास पानी पीएं, जिससे शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन हो. बॉडी हाइड्रेटेड रहे और उसे ज़रूरी पोषक तत्व मिल सकें.
- आंखों में ड्राइनेस महसूस हो रही हो, तो डॉक्टर की सलाह अनुसार समय-समय पर आई ड्रॉप डालें.
कब जाएं डॉक्टर के पास?
- जब आंख फड़कते हुए 2 सप्ताह से अधिक हो जाएं.
- जब आंख खोलने में तकलीफ हो.
- जब आंख में सूजन और लालिमा हो.
- जब आंखों से बार-बार गंदगी निकल रही हो.
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आंखों का फड़कना- शकुन या अपशकुन?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार- आंखों का फड़कना मतलब कुछ शगुन या अपशगुन होने वाला है. ये हमारे भविष्य में होने वाली घटनाओं की ओर संकेत करता है-
महिलाओं की बाईं आंख का फड़कना शुभ माना जाता है. महिलाओं की बाईं आंख फड़कने का मतलब है कि उनके जीवन में सुख-शांति आने वाली है. जबकि महिलाओं की दाईं आंख का फड़कना कुछ अपशगुन होने का संदेश देता है. इसलिए दाईं आंख फड़कने पर महिलाएं सावधान हो जाएं. यह खराब स्वास्थ्य की ओर संकेत करता है.
पुरुषों के बारे में इसका ठीक उल्टा माना जाता है. पुरुषों की बाईं आंख फड़कने का मतलब है- कुछ अशुभ होने की आशंका. जब किसी पुरूष की बाईं आंख फड़के, तो इसका मतलब है कुछ अप्रिय घटने वाला है. या फिर वह किसी मुसीबत में फंसने वाला है. इसलिए बाईं आंख फड़कने पर पुरुषों को सतर्क हो जाना चाहिए. जब पुरुष की दाईं आंख का फड़के, तो समझें कि कुछ शुभ होने का संकेत है. मतलब है कि उनका कोई सपना जल्द ही पूरा होने वाला है.
