
अनुपम खेर और उनकी मां दुलारी का बेपनाह प्यार, स्नेह, शरारतें और रुठना-मनाना जगज़ाहिर है. वे हमेशा ही अपनी मां दुलारी से जुड़ी खट्टी-मीठी बातों, शरारतों, प्यार-दुलार को अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर तस्वीरों व वीडियो के ज़रिए साझा करते रहते हैं.

आज भी अनुपमजी ने मां दुलारी और अपने भाई राजू खेर के साथ एक ख़ूबसूरत वीडियो भावपूर्ण शब्दों के साथ शेयर किया. एक मां की अपने बच्चे के प्रति प्यार-स्नेह व चिंता को बहुत सुंदर तरी़के से उन्होंने बयां किया. कैसे मां दुलारी उन्हें प्रतिदिन फोन करके हालचाल पूछती हैं. उनकी बातें और भावनाएं हर किसी को भावुक कर दे रही हैं. मां के गोद में अनुपम और उनके भाई राजू सिर रखे हुए हैं और मां दुलारी उन्हें दुलार कर रही हैं. इन मनभावन दृश्यों के साथ सुमधुर संगीत रिश्तों की गहराई को ख़ूबसूरती से प्रतिबिंबित करता है. लोगों ने अनुपम खेर की इस पोस्ट पर जमकर अपनी भावनाओं से ओतप्रोत प्रतिक्रियाएं दी हैं.

किसी ने कहा कि उन्होंने उनकी मां की याद दिला दी... तो किसी ने अपने बच्चे को भी इसी तरह से दुलार करने की बात कही... कइयों ने तो मुंबई आकर अनुपमजी की मां दुलारी से मिलने की इच्छा भी जताई और ढेर सारी दुआएं दीं.

सच, अनुपम खेर की मां दुलारी ने अपनी बातों और स्नेह से हर किसी का दिल जीता है. जब-जब उनके वीडियो अनुपमजी ने शेयर किए हैं, तब-तब फैंस ने जीभर के अपने प्यारे इमोशनल कमेंट्स किए और मां-बेटे को दुआओं से भर दिया.



आइए जानते हैं उन बातों को जो अनुपम खेर ने अपनी मां दुलारी के स्नेह-ख़्याल को लेकर बयां की है.
अनुपम खेर- “मां रोज सुबह 8 बजे फोन करके पूछती है, “कैसा है तू?”
और अगर मैं केवल, “ठीक हूं!” बोलता हूं तो ग़ुस्सा होकर बोलती है, “ठीक है क्या होता है?” वही बोल ना जो रोज़ बोलता है!”
“रोज़ क्या बोलता हूं मां?”
“फर्स्ट क्लास!!”
और जब मैं फर्स्ट क्लास बोल देता हूं, तो वो तुरंत फोन रख देती है!
सब मांएं ऐसी ही होती हैं. उनके दिन की शुरुआत और अंत बच्चों के ख़्यालों से होती है! इसीलिए तो मैं हमेशा कहता हूं- सभी माताओं की जय!”
यह सब देख-सुनकर तो हर किसी की चाह होती होगी कि उनका अनुपमजी जैसा बेटा और दुलारीजी जैसी मां हो. दुनिया के हर मां-बेटे के प्यार, रिश्ते और बंधन को हमारा सलाम! अनुपमजी के अंदाज़ में ही सभी माताओं-पुत्रों की जय हो!


आइए, मां की महानता से जुड़े कुछ ख़ूबसूरत अल्फ़ाज़ों से रू-ब-रू हुआ जाए...
हम एक शब्द हैं वह पूरी भाषा है
बस यही मां की परिभाषा है
जब भी कोई रिश्ता उधड़े करती है तुरपाई मां
दुनिया के सब रिश्ते ठंडे गरम-गरम रजाई मां
इस दुनिया में मुझे उससे बहुत प्यार मिला है
मां के रूप में मुझे भगवान का अवतार मिला है
मैं तन पर लादे फिरता दुसाले रेशमी
लेकिन तेरी गोदी की गर्माहट कहीं मिलती नहीं मां
ये जो सख़्त रास्तों पे भी आसान सफ़र लगता है
ये मुझको मां की दुआओं का असर लगता है
एक मुद्दत हुई मेरी मां नहीं सोयी
मैंने एक बार कहा था कि मुझे अंधेरे से डर लगता है
मुझे अपनी दुनिया, अपनी कायनात को एक लफ़्ज़ में बयां करनी हो, तो वो लफ़्ज़ है मां
सहनशीलता पत्थर सी और दिल मोम सा
ना जाने किस मिट्टी की बनी है मां
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फरिश्ता हो जाऊं
मां से इस तरह लिपट जाऊं कि बच्चा हो जाऊं
हालात बुरे थे मगर अमीर बनाकर रखती थी
हम गरीब थे, ये बस हमारी मां जानती थी
मांगने पर जहां पूरी हर मन्नत होती है
मां के पैरों में ही तो वो जन्नत होती है
गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुज़ारे है कितने
भला कैसे कह दूं मां अनपढ़ है मेरी
घर में ही होता है मेरा तीरथ
जब नज़र मुझे मां आती है
स्याही ख़त्म हो गई मां लिखते-लिखते
उसके प्यार की दास्तान इतनी लंबी थी
- ऊषा गुप्ता

Photo Courtesy: Social Media
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