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क्या आपको भी लगता है पैथोलॉजी टेस्ट से डर? (Do You Also Feel Afraid Of Pathology Test?)

पैथोलॉजी टेस्ट द्वारा शरीर में होने वाली बीमारियां, इंफेक्शन, असामान्यता आदि के बारे में पता लगाया जाता है. जब कभी डॉक्टर को चेकअप करने के बाद व्यक्ति के शरीर में किसी गड़बड़ी की आशंका होती है, तब उसकी तह तक जाने के लिए वे मरीज़ को कुछ ज़रूरी टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं. फिर रिपोर्ट आने के बाद उसे देखते हुए डॉक्टर ज़रूरी मेडिसिन प्रिस्क्राइब करने के साथ मरीज़ का इलाज करते हैं.

एकबारगी देखें तो पैथोलॉजी टेस्ट आजकल हमारे जीवनशैली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है. इसमें ब्लड, यूरिन, सलाइवा आदि जांच के लिए दिए जाते हैं. इन टेस्ट्स की रिपोर्ट से बीमारी की गंभीरता से लेकर मरीज़ के ट्रीटमेंट से हो रहे लाभ तक की जानकारी प्राप्त होती है. इन टेस्ट द्वारा डॉक्टर इलाज में बदलाव करने के निर्णय भी लेते हैं. अतः पैथोलॉजी टेस्ट हमारे इलाज का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है.

पैथोलॉजी का अर्थ होता है बीमारी का अध्ययन. इसके तहत बीमारियों के प्रकार, प्रभाव व कारणों का विश्‍लेषण किया जाता है. साथ ही रोग, उससे बचाव के उपाय व इलाज को लेकर भी निर्णय लिया जाता है.

लेकिन अक्सर लोग टेस्ट करवाने का सुनकर ही घबरा जाते हैं. कुछेक को तो टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल लेते समय चुभाए जाने वाली सुई तक से डर लगता है. कइयों में दिल की धड़कन बढ़ जाना, सांस फूलने लगना जैसी समस्या भी देखने को मिलती है. कह सकते हैं कि यह एक फोबिया की तरह है. इस तरह के बेवजह के डर के कारण जहां मरीज़ का टेस्ट ठीक से नहीं हो पाता, वहीं अन्य परेशानियां भी होने लगती हैं. इस भय में सबसे अधिक ट्रीपानोफोबिया यानी सुई का डर देखा गया है.

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टेस्ट करवाते समय रखें इन बातों का ख़्याल

  • लेबोरेटरी में पहुंचने पर सबसे पहले अपने सांसों की प्रक्रिया को सहज करें. यदि चाहें तो हल्की ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ कर सकते हैं.
  • यदि इंजेक्शन यानी सुई को देखकर डर लगता हो, तो उधर न देखते हुए अपना ध्यान कहीं और लगाएं. ऐसे में आप कोई बीती बातें या घटना याद कर सकते हैं, जब आप बहुत ख़ुश हुए थे.
  • मुंह या गला सूख रहा हो, तो पानी पीने के बाद ही ब्लड सैंपल दें.
  • कोशिश करें कि परिवार के किसी सदस्य या फिर दोस्त को टेस्ट करवाते समय साथ ले जाएं.
  • वेटिंग में रहने पर कोई पत्रिका पढ़ने के लिए साथ ले जाएं या फिर मोबाइल पर अपनी पसंद की चीज़ें देखें.
  • हाई टेक्नोलॉजी की सुई व मशीनों के कारण आजकल बहुत सी चीज़ें आसान हो गई है. सुई की चुभन ना के बराबर मालूम पड़ती है. इसलिए घबराएं नहीं, बल्कि शांत मन से टेस्ट करवाएं.

टेस्ट के रिपोर्ट को यूं समझें…

  • रिपोर्ट के एक तरफ़ जांच किए गए हर टेस्ट के सामने रेफरेंस रेंज या नॉर्मल वैल्यू दी गई होती है.
  • हर लेबोरेटरी में अलग तरी़के व मशीनें इस्तेमाल की जाती हैं. इसी तरह हमारी बॉडी में भी भिन्न-भिन्न समय या मेटाबोलिक फेज में परिणाम के थोड़ी बहुत भिन्नता होती है. इसी कारण प्रत्येक लेबोरेटरी अपनी मानक वैल्यू आपके सैंपल की रिपोर्ट के साथ लिखते हैं.
  • बेहतर होगा कि आप अपना टेस्ट नियमित अंतराल पर एक ही लेबोरेटरी से करवाएं.
  • प्रायः नॉर्मल वैल्यू बड़ों व बच्चों में अलग होती है. इसलिए ध्यान रहे कि टेस्ट रिपोर्ट में दिए गए वैल्यू रेंज के अंदर नहीं है, तो यह न समझें कि गड़बड़ वाली स्थिति है यानी असामान्य है.
  • कुछेक टेस्ट ऐसे होते हैं, जो अंकों की बजाय पॉजिटिव व नेगेटिव में होते हैं. ऐसे में पॉजिटिव से तात्पर्य यह है कि जो टेस्ट लिया गया है वो बीमारी है. इसके विपरीत नेगेटिव का अर्थ होता है कि आपको वो बीमारी नहीं है.

नोटः कई बार टेस्ट की रिपोर्ट इस बात पर निर्भर होती है कि टेस्ट का सैंपल देने से पहले आपने क्या खाया-पीया था? आप कौन सी मेडिसिन लेते हैं? आपकी लाइफस्टाइल कैसी है? साथ ही मानसिक स्थिति और एक्सरसाइज़ भी मायने रखता है.

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टेस्ट करवाने के फ़ायदे

पैथोलॉजी टेस्ट से आपको बीमारियों के बारे में जानने के अलावा आपकी बॉडी की सामान्य एक्टिविटीज़ का भी रिकॉर्ड पता चलता है. इससे एक बेनेफिट्स यह होता है कि जब कभी आपको कोई बीमारी होती है, तो डॉक्टर के पास आपके शरीर की सामान्य स्थिति का डिटेल के साथ पहले के रिपोर्ट होने से तुलना करने और मर्ज को गहराई से समझने में मदद मिलती है. इसलिए आवश्यकता होने पर समय-समय पर न केवल टेस्ट्स करवाएं, बल्कि अपने सभी रिपोर्ट्स भी संभालकर फाइलिंग करके रखें.

  • पैथोलॉजी टेस्ट में से सबसे महत्वपूर्ण टेस्ट होता है ब्लड टेस्ट. इसके द्वारा बॉडी के सभी हेल्थ का आकलन करने के साथ अन्य ख़तरों के बारे में भी पता लगाया जा सकता है. पैथोलॉजी में कार्यरत डॉक्टर बीमारी के विशेषज्ञ होते हैं.
  • सीबीसी टेस्ट जिसे कंप्लीट ब्लड काउंट टेस्ट कहते हैं, इसमें खून में पाए जाने वाले अलग-अलग सेल्स के लेवल की जांच की जाती है, जैसे- रेड ब्लड सेल्स, हिमोग्लोबिन, प्लेटलेट, व्हाइट ब्लड सेल्स आदि. इससे ब्लड इंफेक्शन से लेकर एनिमिया, ल्यूकेमिया का पता चलता है.

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  • जब हम फुल बॉडी चेकअप की बात करते हैं, तब इसमें ब्लड टेस्ट, शुगर टेस्ट, यूरिन टेस्ट, लिपिड प्रोफाइल, लिवर-किडनी फंक्शन टेस्ट, कान-आंख का टेस्ट, कैंसर टेस्ट आदि होते हैं. डॉक्टर आपके बॉडी का चेकअप करने के बाद ज़रूरत के अनुसार टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं.
  • एंजियोग्राफी टेस्ट सबसे महंगा मेडिकल टेस्ट माना जाता है. प्राइवेट हॉस्पिटल या फिर लैब में इसे करवाने में बीस से पच्चीस हज़ार तक का ख़र्चा आ सकता है.

- ऊषा गुप्ता

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