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महाकुंभ में डुबकी लगाकर इमोशनल हुए आशुतोष राणा, स्नान के बाद किया ध्यान और दान, बोले- स्नान से तन, ध्यान से मन और दान से धन पवित्र होता है (Ashutosh Rana Takes Holy Dip At Triveni Sangam, Gets Emotional, Actor Prays, Meditates And Donated At Maha Kumbh)

महाकुंभ (Maha Kumbh 2025) में श्रद्धा की डुबकी लगाने आम लोग ही नहीं, बी टाउन के लोग भी पहुंच रहे हैं और यहां संगम में स्नान करके सोशल मीडिया पर अपना अनुभव भी शेयर कर रहे हैं. इसी कड़ी में अब एक्टर आशुतोष राणा (Ashutosh Rana) का नाम भी जुड़ गया है, जो बीते दिनों कुंभ स्नान के लिए त्रिवेणी संगम पहुंचे और आस्था (Ashutosh Rana Takes Holy Dip At Triveni Sangam) की डुबकी लगाई.

आशुतोष राणा मंगलवार को महाकुंभ में स्नान करने प्रयागराज पहुंचे. उन्होंने यहां आकर पवित्र स्नान किया. स्नान के साथ साथ उन्होंने दान भी किया और इस क्षण को बेहद भावुक (Ashutosh Rana gets emotional at Maha Kumbh) क्षण बताया.

यहां मीडिया इंटरेक्शन से बातचीत के दौरान आशुतोष राणा ने गंगा स्नान के अपने अनुभव के बारे में बात की. आशुतोष राणा ने कहा- "मैंने आज महाकुंभ में आकर स्नान किया है. सभी जानते हैं कि मेला क्षेत्र में आकर सभी लोगों को संतों के दर्शन करने चाहिए. इसी उद्देश्य से आज मैं भी यहां आया हूं और संतों के दर्शन करके काफी खुश हूं. मैंने पहली बार शंकराचार्य के दर्शन किए हैं और उन्होंने मुझे बहुत सारा आशीर्वाद दिया है."

आशुतोष ने आगे कहा, "सब जानते हैं कि देश में महाकुंभ चार जगहों पर लगता है, लेकिन प्रयागराज को तीर्थराज कहा जाता है. यहां मां गंगा, मां यमुना और विलुप्त सरस्वती का संगम होता है, इसलिए इस स्थान को तीर्थराज कहा जाता है. मेरा यही मानना है कि महाकुंभ में जब भी हम आते हैं तो स्नान, ध्यान और दान की अहमियत है, स्नान से तन, ध्यान से मन और दान से धन पवित्र होता है. ये तीनों चीजें जहां होती हैं, वहां अमृत होता है. अमृत का संबंध सांसों से नहीं बल्कि आनंद का संचार एक-दूसरे के हृदय में करने से हैं. कुंभ में यह विश्वास है. आस्था में हमारे ऐब छिप जाते हैं. आस्था का निर्णय कोई दूसरा नहीं कर सकता है. अच्छे मन का होना जरूरी है."

हालांकि आशुतोष ने कुंभ स्नान की कोई तस्वीर अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर नहीं की है, लेकिन उन्होंने अपने X हैंडल पर जीवन, मृत्यु और मोक्ष को लेकर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है, "मोक्ष और मृत्यु में अंतर होता है. इच्छाएं बची हों और सांसें खत्म हो जाएं तो मोक्ष नहीं मिलता. मोक्ष तब मिलता है जब इच्छाएं खत्म हों, और सांसें बची हों. मोक्ष मृत्यु के बाद नहीं मिलता, बल्कि यह पहले की अवस्था है. मोक्ष जीते जी मिलता है."

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