ऐसा अक्सर होता है कि बेटी को ससुराल में थोड़ी भी परेशानी हो या किसी चीज़ की कमी हो, तो माता-पिता तुरंत मदद के लिए आगे आ जाते हैं. यही ज़रूरत बाद में आदत बन जाती है. बेटी-दामाद अनावश्यक मांगें करने लगते हैं, जिनको पूरा न करने की स्थिति में बेटी को परेशानी भी झेलनी पड़ती है या फिर रिश्तों में खटास आ जाती है.
बेटी को उपहार देना ग़लत नहीं, पर हर बार उसकी छोटी-छोटी ज़रूरतें पूरी करना बच्चों को पंगु बना देता है और उन्हें सहारे की आदत पड़ जाती है. आपने बेटी की शादी की है. अब उसका सुख-दुख में साथ दीजिए, पर कुछ परेशानियों का सामना उन्हें ख़ुद भी करने दीजिए.
अपनी गृहस्थी ख़ुद बसाने दें
बेटी ने अपने पार्टनर के साथ नई ज़िंदगी शुरू की है, तो उसकी कम सहूलियतों के चलते घबराना कैसा. ये उसका घरौंदा है, उसकी गृहस्थी है, इसे ख़ुशी-ख़ुशी उन्हें अपने हिसाब से चलाने दीजिए. बार-बार आपके दख़ल देने से वह अपनी गृहस्थी ख़ुद चलाना कभी नहीं सीख पाएंगे.
आपकी मदद आदतें बिगाड़ देंगी
अगर बार-बार आप उनकी मदद के लिए खड़ी हो जाएंगी, तो उन्हें लगेगा कि उनका सपोर्ट सिस्टम बहुत बड़ा है. अपने पास इतना बजट न होते हुए भी वह ख़ूब ख़र्च करेंगे, क्योंकि पता है पेमेंट तो आप कर ही देंगे. जब घर पर ही एटीएम लगा है, तो फिर क्या सोचना.
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दामाद लालची बन जाएगा
जब दामाद को लगेगा कि मेरे सास-ससुर के पास बहुत पैसा है और वह हर वक़्त हम पर अपना पैसा ख़र्चने के लिए तैयार हैं, तो दामाद का मुंह भी खुल जाएगा. वह भी आपकी बेटी को बोलकर हर दिन नई मांगें रखेगा. इस तरह की बढ़ती मांगों से फिर आप भी परेशानी में पड़ जाएंगे.
पैसा देते रहेंगे तोे अच्छे, न देने पर बुरे बन जाएंगे
ये समाज का नियम है. जब तक आप किसी चीज़ के लिए हां कर रहे हैं, तब तक तो ठीक है. लेकिन अगर आपने एक बार भी किसी चीज़ के लिए मना कर दिया, तो आपके द्वारा किए गए दस उपकार भी उस एक इंकार के आगे भुला दिया जाएगा. कल तक जो दामाद आपके गुण गाते नहीं थकता था, अब आपकी शक्ल देखने से भी इंकार कर देगा. बेटी को भी हर वक़्त इसी बात को लेकर ताने देता रहेगा.
मांगने की आदत पड़ जाएगी
कई बेटियां जब देखती हैं कि मां का झुकाव मेरी तरफ़ ज़्यादा है, तो उन्हें भी मांगने की आदत हो जाती है. उन्हें पता होता है कि पहले की तरह मेरी हर मांग पूरी होगी, तो फिर क्या सोचना. उन्हें अपने भविष्य की भी कोई चिंता नहीं रहती, क्योंकि उन्हें पता है कि कोई इमरजेंसी होगी, तो घरवाले उस समय हर तरह से साथ खड़े होंगे. और उन्हें जॉब में भी ज़्यादा मेहनत करना नहीं पसंद, क्योंकि इसकी ज़रूरत ही क्या है. जब बिना हाथ-पैर हिलाए सब कुछ मिल रहा है, तो ऐसे में मेहनत कर पैसा कमाने की भी ज़रूरत ख़त्म हो जाती है. उन्हें जब भी किसी चीज़ की आवश्यकता होगी, तब आपके आगे हाथ फैलाए खड़े मिलेंगे.
बेटी मनी माइंडेड तो नहीं?
माता-पिता को अपने बच्चों से बेहद लगाव होता है. ऐसे में अगर बेटी आर्थिक रूप से कम पैसेवाले सामान्य घर में ब्याही गई हो, तो माता-पिता को लगता है कि वे अपनी बेटी की ज़िंदगी की हर कमी को ख़ुद पूरा कर दें.
पैरेंट्स के लिहाज़ से सोचें, तो यह उनका अपनी औलाद के लिए प्रेम ही है, लेकिन एक बार ज़रा देख-परख लें कि कहीं बेटी अपनी कमियों का रोना रोकर अपना मतलब तो नहीं निकाल रही. कई बेटियां पूरी ज़िंदगी ऐशोआराम से काटना चाहती हैं. इसके लिए वे सबको बेवकूफ़ बनाती हैं.
स्वाभिमान से जीना सिखाएं
बेटी को बताएं कि उसकी गृहस्थी अब उसे ही चलानी है. जो भी कम या ज़्यादा है, उसी में मैनेज करना होगा. उसे समझाएं कि धीरे-धीरे घर की सब चीज़ें जुड़ जाती हैं, लेकिन इन छोटी-छोटी चीज़ों के लिए किसी के भी आगे हाथ फैलाना सही नहीं है. कम खा लो कम पहन लो, परंतु अपेक्षा भरी नज़र किसी पर नहीं डालो, फिर चाहे वह अपने मां-पिता ही क्यों न हों, क्योंकि कोई कभी-कभी कुछ दे देगा, उससे ज़िंदगी नहीं कटती. इसके लिए ख़ुद ही कमाना पड़ता है. समझदारी से ख़र्च करके और बचत करके घर चलाना पड़ता है.
किसी पर डिपेंड होने का मौक़ा न दें
अगर आप ही बेटी-दामाद की मदद करते रहेंगे, तो उन्हें अपनी ज़िम्मेदारियां निभाना कभी आएगा ही नहीं. जब वे देखेंगे कि उन्हें किसी की कोई मदद नहीं मिलनेवाली, अपनी गृहस्थी उन्हें ख़ुुद ही बनानी है, तो वे अपने लाइफस्टाइल को अच्छा करने के लिए मेहनत करेंगे और ज़िंदगी में आगे बढ़ेंगे, वरना आपकी मदद करते रहने से वे हमेशा आपके ही पीछे खड़े रह जाएंगे.
बच्चों के साथ पक्षपात न करें
अगर आप बेटी पर हद से ज़्यादा ख़र्च करते रहेंगे, तो यक़ीनन यह बात आपके बेटे को अच्छी नहीं लगेगी. भले ही आप लाख कह लें कि बेटी की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. अगर उसका हाथ तंग है, तो उसे नया बिज़नेस खड़ा करने या फिर जॉब आदि दिलवाने में मदद करें, ना कि उसके ख़र्चे आप स्वयं उठाने लगें. यह बात घर के बाकी मेंबर्स को अच्छी नहीं लगेगी. अपने सभी बच्चों पर बराबर ख़र्च करें.
मेहनत के महत्व को समझाएं
मेहनत के महत्व को समझाकर आप बेटी की पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों तरह से मदद कर सकती हैं. शादी के बाद भी बेटी को अपने सपनों और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए मेहनत करने का महत्व समझाना ज़रूरी है. मेहनत की आदत से वे कभी परेशानियों से नहीं घबराएंगी और हमेशा प्रॉब्लम का सोल्यूशन ढूंढ़ने की कोशिश करेंगी.
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बेटी को लायक बनाएं
अपनी बेटी को शुरू से ही करियर ओरिएंटेड बनाएं. उसे अपने पैरों पर खड़ा करें, तभी उसकी शादी करें, ताकि ज़िंदगी में वह कभी परेशान हो, तो ख़ुद अपना घर संभाल ले. लेकिन अगर शादी के बाद कोई परेशानी आ गई है, तो बेटी को अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद करें. उसे पढ़ाएं, कोई कोर्स कराएं. शादी हो गई, तो क्या हुआ, अपने पैरों पर तो कभी भी खड़ा हुआ जा सकता है.
मनी मैनजेमेंट सिखाएं
मनी मैनेजमेंट सीखना बेहद ज़रूरी है, ख़ासकर शादी से पहले. यह उन्हें स्वतंत्रता तो देती ही है, साथ में उन्हें भविष्य के लिए इंवेस्ट करने में भी मदद करती है. इससे वे आने वाले समय में कोई भी पैसे से जुड़ी समस्या का सामना करने के लिए तैयार हो सकती हैं और अपने परिवार को मैनेज कर सकती हैं.
मां की गुहार
जनवरी 2023 में यूपी के मुजफ्फरनगर में एक बुज़ुर्ग मां को मुर्दा दिखा कर बेटी और दामाद ने उसकी ज़मीन हड़प ली. 70 साल की मां शांति देवी अब आला अधिकारियों के सामने गुहार लगाते हुए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गई है. मां का कहना था कि उसकी बेटी और दामाद ने पटवारी के साथ मिलकर मां को मृत दिखाकर उसके हिस्से की ज़मीन हड़प ली है.
पीड़ित बुज़ुर्ग दंपति
अप्रैल 2022 में भी कुछ इसी तरह की घटना हुई थी, जहां मध्य प्रदेश में इकलौती बेटी की यातनाओं से परेशान एक बुज़ुर्ग दंपति पुलिस के पास अपनी फ़रियाद लेकर पहुंचे थे. उन्होंने पुलिस अधिकारियों से अपनी बेटी से ख़ुद की जान बचाने की गुहार लगाई थी. पीड़ित दंपति का कहना था कि उनकी बेटी उनके मकान पर कब्ज़ा करना चाहती है. वह दोनों से गाली-गलौज करती है. गुंडों से पिटवाने की धमकी देती है. इतना ही नहीं जब पड़ोसी उन्हें बचाने आते हैं, तो उन्हें भी झूठे केस में फंसा देने की धमकी देती है. बुज़ुर्ग दंपति ने पुलिस अधिकारियों से मिलकर उनसे अपनी ही बेटी के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की गुहार लगाई थी.
- शिखा जैन
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