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पुराने साल के साथ इन्हें भी कहें अलविदा (Say Goodbye To The Old Year To This Things Also)

पुराना साल बीत जाएगा. नया साल दस्तक दे रहा है. ऐसे में इस वर्ष आपने ज़रूर महसूस किया होगा कि हमारी ज़िंदगी के कुछ ऐसे अंधेरे पक्ष, नकारात्मकताएं और अड़चनें ऐसी हैं, जिन्हें समय रहते हम पहचान न पाए. अब जब आपने इन्हें समझ लिया है, तो बारी है एक्शन लेने की. तभी आपकी ज़िंदगी रोशन होगी, इसमें नयापन आएगा और आपको सफलता, समृद्धि और सुकून की प्राप्ति होगी.

एनर्जी ड्रेनर्स को दूर करें
कई बार हम दिखने में तो भले-चंगे लगते हैं, मगर न तो मन लगाकर काम कर पाते हैं न हमारे शरीर में स्फूर्ति और उत्साह रहता है. ज़ाहिर है, ऐसा होने पर हमारी प्रोडक्टिविटी प्रभावित होती है और इसका सीधा असर हमारी सफलता और समृद्धि पर पड़ता है. जानते हैं ऐसा क्यों होता है? कुछ ऐसी चीज़ें हैं, जो अनजाने में ही हमारी ऊर्जा का क्षय करती रहती हैं. इन्हें पहचानना और दूर करना ज़रूरी है, जैसे लगातार मल्टीटास्किंग करना, ओवरथिंकिंग में इंवॉल्व रहना, हर वक़्त ईमेल या व्हाट्सएप नोटिफिकेशन चेक करना, जान-बूझकर अपने सामने ज़्यादा विकल्प खड़े करना और फिर डिसीजन लेने में वक़्त की बर्बादी करना आदि. ऐसे में जल्द से जल्द एनर्जी ड्रेनर्स की पहचान करें और इन्हें दूर करें.

टॉक्सिक लोग
आपके आसपास अगर कुछ ऐसे लोग रहने लगे हैं, जो आपकी तुलना दूसरों से करके आपको नीचा दिखाते हैं या आपके मन में हीनभावना उत्पन्न करते हैं तो इनसे दूर रहें. ये लोग हमेशा आपकी आलोचना करते हैं या आपको कमतर आंकते हैं. साथ ही आपके हर काम, प्लान, उपलब्धि या कमज़ोर पक्ष की चुगली दूसरों के सामने करते हैं. वे ऐसा कभी आपके समक्ष प्रतिद्वंदी खड़ा करने के लिए, तो कभी आपका उपहास उड़ाने के लिए ऐसा करते हैं. ये लोग हमेशा नकारात्मक बातें भी करते हैं, जिससे आपका उत्साह कमज़ोर पड़ता है. ऐसे लोगों से दूर रहने की ज़रूरत है. इन्हें जितना कम रिस्पॉन्स देंगे आप, उतना ही सुखी रहेंगे.

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ख़ुद को भूलना और उपेक्षित करना
अपनी मानसिक व शारीरिक स्ट्रेंथ की ज़िम्मेदारी पूरी तरह आपकी है. अगर आप हमेशा दूसरों के सामने अच्छा बने रहने के लिए अपने लिए ज़रूरी चीज़ों को भुला देते हैं या सुविधा, समय, ऊर्जा और इच्छा न होने पर भी दूसरों को किसी काम के लिए हमेशा हां कह देते हैं, ख़ुद को छोटा दिखाकर लोगों को ख़ुश करते हैं, अपने अपमान को चुपचाप सह लेते हैं, अपने नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों की बलि देकर लोगों को ख़ुश करने में जुटे रहते हैं, तो समय है इन सबसे मुक्ति पाने और अपनी बेहतरी के लिए अपनी ऊर्जा, समय और संसाधन ख़र्च करने का.

टॉक्सिक हैबिट्स
कुछ बुरी आदतें न आपको स्वस्थ रहने देती हैं, न सफल होने देती हैं. इन्हें जल्द से जल्द पहचान लें और इनसे दूर रहें. अगर आप सुबह देर से उठते हैं और रात को देर से सोते हैं, सुबह सवेरे टीवी चला लेते हैं या मोबाइल खोलकर बैठ जाते हैं, अक्सर किसी काम को शुरू तो जल्दीबाज़ी में कर देते हैं, लेकिन कई काम बीच में छोड़कर फिर किसी नए काम में लग जाते हैं, अपने खान-पान और पौष्टिकता का ध्यान नहीं रखते, तो समय है इनसे दूरी बनाने का.

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नेगेटिव सेल्फ टॉक
अपनी तक़दीर को हर वक़्त कोसना, ख़ुद में कमियां खोजते रहना और अपने आपको नकारा समझना, ये सभी ऐसी आदतें हैं जो आपको कभी चैन से नहीं रहने देती हैं. इस बेचैनी का सीधा असर आपकी सफलता और समृद्धि पर पड़ता है. कई मोटिवेशनल लेखक और वक्ता बता चुके हैं कि आप जैसा सोचते हैं, वैसे ही परमाणु और तरंगें ब्रह्मांड से आपकी तरफ़ खींची हुई चली आती हैं. इसलिए हमेशा सकारात्मक सोचें और ख़ुद को सक्षम व काबिल समझें. आपका आत्मविश्‍वास ही आपको सफलता, समृद्धि और सुकून दिलाएगा.

अनुपयोगी सामान
घर में अनुपयोगी सामानों की भरमार यानी कबाड़ आपके घर के स्पेस को ही नहीं, दिमाग़ के स्पेस को भी नेगेटिविटी से भर देता है. कई शोध हो चुके हैं जिनके नतीजे बताते हैं कि कम सामान रखने से जीवन में सुकून रहता है. अनावश्यक चीज़ों से मुक्ति पाने से घर के साथ मन भी हल्का होता है और आप सुकून से काम कर पाते हैं. अच्छा होगा बेकार की चीज़ों से इमोशनल अटैचमेंट छोड़ दें और उन्हें या तो कबाड़ में बेच दें या फिर किसी ऐसे व्यक्ति को दे दें जो उनका उपयोग कर सके.

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परिस्थितियों के प्रति सदैव चिढ़ न हो
आप अपने आसपास की हर चीज़ को अपने हिसाब से बदलना चाहते हैं, कुढ़ते हैं और असंतुष्ट रहते हैं, तो समझ जाइए कि सुकून आपसे कोसों दूर है. इसके उलट जो लोग चीज़ों, लोगों और परिस्थितियों को सहज भाव से जैसा है, जहां है उस रूप में स्वीकार कर लेते हैं, वे हरदम ख़ुशमिजाज़ रहते हैं. यह निष्कर्ष साइकोलॉजी टुडे में प्रकाशित एक शोध में निकाला गया है. दी फाइव थिंग्स वी कैन नॉट चेंज एण्ड दी हैपिनेस वी फाइंड बाय एम्ब्रेसिंग देम (पांच चीजें जो हम बदल नहीं सकते और ख़ुशी जो उन्हें चाह कर हमें मिलती है) के लेखक डेविड रिचो कहते हैं, चीज़ों को स्वीकार करने की आदत सीखना हमारे हाथ की बात है. जब हम विरोध करते हैं, तो असल में सच से मुंह मोड़ते हैं. इस प्रकार ज़िंदगी असंतोष, निराशा और दुख की श्रृंखला बनकर रह जाती है. जबकि स्वीकार कर लेने की आदत हमें संतुष्ट और प्रसन्न कर देती है. इस बात को समझने के लिए दो छोटे उदाहरण काफ़ी होंगे. मान लीजिए आपकी मेड गैरहाज़िर हो गई. अब आप उसे लाख कोसें, वो तो आने वाली नहीं, लेकिन झुंझलाने पर आपका मूड चौपट हो जाएगा. काम की वैकल्पिक व्यवस्था दोनों ही स्थिति में आपको ही करनी है, चाहे आप इसे सहज रूप से लेकर करें या अपना मूड ऑफ करके करें. इसी प्रकार सब्ज़ी वाला आज मिर्च महंगी बेच रहा है, तो आपको मान लेना चाहिए कि आज के उसके यही भाव हैं. ख़रीदना या न ख़रीदना दोनों ही परिस्थितियों में आपके बस की बात है, लेकिन उसे कल के भाव में बेचने के लिए आप मजबूर नहीं कर सकते, चाहे ग़ुस्सा करके अपना मूड कितना भी बिगाड़ लें.
- शिखर चंद जैन

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