इसमें कोई शक नहीं है कि टेक्नोलॉजी के बढ़ते प्रभाव ने हमारे रोज़मर्रा के कई कामों को आसान बना दिया है. उससे ज़्यादा बच्चों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है. टेक्नोलॉजी ने बच्चों का स्क्रीन टाइम इस कदर बढ़ा दिया है कि इसका बुरा असर उनकी पढ़ाई पर नहीं ही पड़ रहा है, बल्कि उनकी फिजिकल एक्टिविटी भी बहुत कम हो गई है.
आजकल के बच्चों को बड़ों की अपेक्षा टेक्नोलॉजी के बारे में ज़्यादा जानकारी है. लेकिन अपनी पढ़ाई के बजाय बच्चे अपना अधिकतर समय कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्ट फोन पर वीडियो देखने, गेम्स खेलने या फिर इंस्टाग्राम रील्स देखने में बिताते हैं, जिसकी वजह से बच्चों की पढ़ाई कम हो गई है और उनका स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है.
अब सवाल ये उठता है कि बच्चों का स्क्रीन टाइम कैसे कम किया जाए. क्या इतना अधिक स्क्रीन टाइम आपके बच्चे की सेहत के लिए ठीक है? क्योंकि अधिक स्क्रीन टाइम होने की वजह से बच्चों की आंखें कमज़ोर हो रही हैं, वे पढ़ाई में पिछड़ते जा रहे हैं. उनकी आउटडोर एक्टिविटीज़ बहुत कम हो गई हैं. अपने फैमिली मेंबर्स और फ्रेंड्स से मिलना-जुलना बहुत कम हो गया है. बच्चे रिश्तेदारों से मिलने से कतराने लगे हैं.
काफी समय से इस विषय पर गंभीर अध्ययन हो रहा है कि बच्चों को स्क्रीन से दूर रहने की ज़रूरत है. लेकिन कैसे? बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधक बनने वाले इस स्क्रीन टाइम को कम करने के लिए हम यहां पर कुछ फन एक्टिविटीज़ के बारे में बता रहे हैं.
ब्रेन टीज़र एक्टिविटीज़
बच्चों को स्क्रीन पर व्यस्त रखने की बजाय उनके साथ पहेली, बोर्ड गेम्स, कार्ड गेम्स, पजल्स सॉल्व करने वाले गेम्स खेलें. इस तरह के खेल खेलने से न केवल उनका ब्रेन शार्प होगा, बल्कि वे हार-जीत को समझेंगे और हेल्दी कॉम्पटीशन के बारे में भी उन्हें समझ आएगा. इसके अलावा वे केवल घर में खेले जाने वाले गेम्स में ही नहीं, बल्कि फ्रेंड्स के साथ खेले जाने वाले आउटडोर गेम्स का भी मज़ा लेंगे.
साइंस एक्टिविटी
बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करना चाहते हैं, तो उन्हें एक्सपेरिमेंट करना सिखाएं. यानि कि साइंस से जुड़ी हुई बातों के बारे में बताएं. साइंस के प्रोजेक्ट्स बनाना सिखाएं. बच्चों के साथ मिलकर उन्हें छोटे-छोटे एक्सपेरिमेंट करना सिखाएं. साइंस के बारे में बच्चों की रुचि जानें. क्लास में पढ़ी हुई चीज़ों के बारे में उनसे पूछें और उसे घर पर एक्सपेरिमेंट करने दें. ऐसा करने से बच्चों को मजा भी आएगा और वे स्क्रीन से दूर रहकर नई-नई चीज़ों और बातों को सीखेंगे.
क्राफ्ट एंड क्रिएटिव आर्ट्स
यदि बच्चों का मूड घर से बाहर जाने का नहीं है, तो उन्हें स्मार्ट फ़ोन पर बिजी न रहने दें, बल्कि उन्हें क्राफ्ट और क्रिएटिव आर्ट्स सिखाएं. उन्हें क्राफ्ट बॉक्स, कलर्स, फिंगर फैब्रिक बॉक्स, फैब्रिक पेंट्स और बीड्स लाकर दें, ताकि वे अलग-अलग तरह की पेंटिंग, एम्ब्रॉयडरी वर्क, यूनीक टाइप के कार्ड्स बनाना, पपेट बनाना, बीड्स आर्ट और क्रिएटिव वर्क्स सीखें. इसमें बच्चों को बहुत मजा आएगा और नई-नई चीज़ें बनाना भी सीख जाएंगे.
जर्नल और स्क्रैपबुक
स्मार्ट फोन और इलेट्रॉनिक्स डिवाइस से बच्चों को दूर रखना चाहते हैं, तो उन्हें जर्नल और स्क्रैपबुक से रूबरू कराएं. जर्नल और स्क्रैपबुक बनाने के लिए उनसे डिफरेंट टाइप के स्टिकर्स, टैब, कलर्ड मार्कर और कलर्ड पेन का उपयोग कराएं. बच्चों को अपनी क्रिएटिविटी दिखाने के लिए कहें.
हेल्दी और एक्टिव लाइफस्टाइल
बच्चे स्क्रीन पर बिज़ी न रहें, इसके लिए पैरेंट्स उन्हें हेल्दी और एक्टिव लाइफस्टाइल अपनाने के लिए प्रोत्साहित करें. उन्हें हेल्दी और एक्टिव लाइफस्टाइल के लाभ बताएं. रोज़ाना शाम को बाहर खेलने के लिए भेजें. आउटडोर स्पोर्ट्स खेलने के फ़ायदे बताएं. उन्हें साइकिलिंग, स्विमिंग, डांसिंग, म्यूज़िक, कराटे, टेनिस, बैडमिंटन जैसे स्पोर्ट्स में हिस्सा लेने के प्रोत्साहित करें. आउटडोर स्पोर्ट्स से बच्चे फिजिकली भी फिट और हेल्दी रहेंगे. बच्चे जितना दौड़ेंगे, खेलेंगे, उतने ही हेल्दी और एक्टिव रहेंगे.
प्लांटिंग और गार्डनिंग एक्टिविटीज़
बच्चों को नेचर के बारे में बताएं. उन्हें प्लांटिंग और गार्डनिंग एक्टिविटीज़ सिखाएं. बच्चों में गार्डनिंग का शौक डेवलप करें. ऐसा करने से वे प्रकृति के प्रति सजग और सतर्क रहेंगे और पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदार भी बनेंगे. जब भी बच्चे स्क्रीन पर बिज़ी पर हों तो उन्हें इंडोर, आउटडोर प्लांट्स लगाना सिखाएं. प्लांट्स लगाने में उनकी मदद करें. समय-समय पर पानी और खाद डालने को कहें.
फोर्ट बनाएं
लिविंग रूम या किड्स रूम में घर के सारे पिलो, बेडशीट्स, कलरफुल लाइट्स, सॉफ्ट टॉयज़, रग्स की मदद से बच्चों के साथ मिलकर ख़ूबसूरत और कोज़ी फोर्ट बनाएं. कोज़ी फोर्ट बनने के बाद बच्चे उसमें छिप जाएं, फ्रेंड्स के साथ मिलकर कोई खेल खेलें. उसमें बैठकर स्टोरी सुनें और रॉयल ट्रीटमेंट फील करें.
घर में लें कैंपिंग का मज़ा
घर के लिविंग रूम, बालकनी या टैरेस में कैंप लगाएं. साथ में कैंप के लिए कुछ लाइट स्नैक्स, फूड और स्वीट्स रखें. बच्चे अपनी बनाई हुई रेसिपी कैंप के लिए रखें. फन और बोर्ड गेम्स खेलें. कैंप में बैठकर बच्चों को कुछ नया सिखाएं, स्टोरी सुनाएं.
कुकिंग सिखाएं
10-12 साल की उम्र के बाद बच्चों को सैंडविच, सलाद, टोस्ट, शेक जैसी रेसिपी बनाना सिखाएं. ऐसी चीज़ें भविष्य में भी उनके काम आएंगी. खाली समय में बच्चों के साथ मिलकर उन्हें ये चीज़ें सिखाएं और बच्चों को अपनी क्रिएटिविटी दिखाने के लिए कहें. धीरे-धीरे इस काम में उन्हें मज़ा आने लगेगा. वे इंडिपेंडेंट बन जाएंगे और उनका स्क्रीन टाइम भी कम हो जाएगा.
- देवांश शर्मा