एक ज़माना था जब लड़का हो या लड़की, कम उम्र में यानी 18-20 साल में शादी कर दी जाती थी. भारतभर के कई राज्यों में तो छोटी उम्र में ही लड़कियों का ब्याह कर दिया जाता था, जो कमोबेश कई जगहों पर अब भी ज़ारी है. लेकिन जहां तक लड़कों की शादी की बात है, तो उसमें देर-सवेर चलता है. परंतु उनके विवाह के सही उम्र की बात करें, तो लड़कों की पच्चीस-तीस की उम्र के बीच विवाह करना उपयुक्त माना जाता है. क्योंकि तब तक लड़के एजुकेशन, करियर आदि को लेकर प्लानिंग कर लेते हैं और निर्णय लेने में भी उनमें मैच्योरिटी आ जाती है.
अमूमन इस बात पर चर्चा होती रहती है कि लड़के और लड़कियों की मैरिज की सही उम्र क्या होनी चाहिए. एक वर्ग का यह मानना है कि लड़कियों की 23-25 तक शादी हो जानी चाहिए और लड़कों का 27-32 की उम्र के अंदर तक विवाह हो जाना चाहिए.
अमेरिका द्वारा किए गए एक रिसर्च के अनुसार, जो जोड़े 27-32 की उम्र तक शादी कर लेते हैं, वे कामयाब वैवाहिक जीवन बिताते हैं. इस उम्र के कपल्स के बीच तलाक़ भी बहुत कम होते हैं.
शादी को उम्र से नहीं जोड़ते
भारतीय समाज में देखें तो लड़के की पढ़ाई के बाद नौकरी लगी नहीं कि उसकी शादी की योजना बनने लगती है. लेकिन आज की जनरेशन ऐसी नहीं चाहती. अब वे पढ़ाई-करियर के साथ-साथ अपने पर्सनल स्पेस को भी अधिक महत्व देने लगे हैं. उनका यह मानना है कि एक बार शादी हो गई, तो उनकी आज़ादी ख़त्म हो जाएगी. साथ ही ज़िम्मेदारियां भी बढ़ जाएंगी. अब वे अपनी आज़ादी और काम को लेकर अधिक पजेसिव हो गए हैं. वैसे भी वे शादी को उम्र से नहीं जोड़ते. इसी का नतीज़ा है कि आज के दौर में मिडल एज व उम्रदराज़ होने पर भी लड़के शादी करने से नहीं हिचकते. आज भी सोसायटी में ऐसे तमाम लड़कों के उदाहरण मिल जाएंगे, जिन्होंने 35-38 की उम्र होेने पर शादी की और ख़ुशहाल वैवाहिक ज़िंदगी भी बिता रहे हैं.
लेकिन यह भी उतना ही कड़वा सच है कि उम्र बढ़ने पर रिश्तों में बंधने पर आपसी टकराव व ईगो भी ख़ूब आड़े आता है. हाल ही में किए गए एक शोध के अनुसार 35-40 की उम्र के बाद शादी करने पर डिवोर्स की संभावना पांच प्रतिशत बढ़ जाती है.
लाइफ में सेटल होना ज़रूरी
भारतीय समाज की दृष्टिकोण से देखा जाए, तो 28-32 तक की उम्र लड़कों की मैरिज के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है, जहां अधिकतर लड़के 22-23 की उम्र तक अपनी मास्टर्स की स्टडी कंप्लीट करके जॉब पर लग जाते हैं. नौकरी व करियर में अच्छी तरह सेटल हो जाने के बाद शादी करना उनके लिए कंफर्टबेल हो जाता है. अधिकतर लड़के शादी से कहीं ज़्यादा ज़रूरी ज़िंदगी में फाइनेंशयली स्ट्रॉन्ग होने को मानते हैं.
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चूंकि शादी के बाद लड़कों के जीवन में कई परिवर्तन होते हैं. वे मेंटल व फिजिकल स्तर पर उस बदलाव को लेकर पूरी तरह से तैयार हैं कि नहीं, इस पर भी ध्यान देना ज़रूरी हो जाता है. और ख़ुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए ये बातें बेहद महत्व रखती हैैं. उस पर 30-32 की उम्र तक लड़कों का शरीर इस तरह के परिवर्तन के लिए तैयार हो जाता है. अतः इस उम्र में शादी करना बेहतर रहता है. यदि पारंपरिक भारतीय नज़रिए से देखा जाए, तो 20 से लेकर 25 साल तक की उम्र विवाह के लिए बेस्ट मानी जाती है.
एक नज़र क़ानूनी पहलू पर
अब क़ानूनी रूप से देखें, तो एडवोकेट योगिता पाटिल के अनुसार, लड़के व लड़की की शादी की उम्र 21 व 18 है. यानी दोनों की उम्र में तीन साल का अंतर रखा गया है. लड़की की 18 साल और लड़कों की 21 साल. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 2006 में बाल विवाह को अपराध बताते हुए क़ानून में संशोधन करते हुए लड़कियों की शादी की उम्र 18 व लड़कों की 21 तय की गई थी. परंतु अब लड़कियों की उम्र में भी संशोधन हो रहा है. लड़कियों की शादी की उम्र को लेकर भी अच्छी-ख़ासी बहस चल रही है कि इसे 18 से अब 21 साल की जाए, क्योंकि आजकल अपनी पढ़ाई पूरी करने और करियर को लेकर लड़कियां बेहद जागरूक हो गई हैं. उनकी भी इच्छा होती है कि एजुकेशन पूरा होने और करियर में सेटल होने के बाद ही शादी की जाए, तो बेहतर है. साल 2021 में बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक प्रस्तुत किया गया था. इस विधेयक में लड़कियों के विवाह की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव रखा गया था. किंतु अब तक इस विधेयक को पारित नहीं किया जा सका है.
ज़िम्मेदारियों को उठाने के लिए तैयार
अमेरिका में किए गए एक सर्वे में पुरुषों की विवाह की आयु 30-32 आंकी गई. लेकिन आज के संदर्भ में 35 की उम्र सही मायने में लड़कों की शादी के लिए उपयुक्त कही जा रही है. इसके कई कारण हैं. इस एज तक लड़के करियर में सेट हो जाते हैं. नौकरी भी स्थायी हो जाती है. वे मानसिक रूप से ज़िम्मेदारियों को उठाने के लिए भी तैयार हो जाते हैं. यानी परिवार व बच्चों को संभालने की स्थिति में हो जाते हैं.
उम्र के साथ एडजस्टमेंट भी ज़रूरी
शादी की उम्र के साथ-साथ कपल्स को समझौते के लिए तैयार रहने और एक-दूसरे को समय देना भी ज़रूरी है. देखा जाए, तो शादी अरेंज्ड हो या लव मैरिज, दोनों ही स्थितियों में लड़के व लड़की दोनों को ही कई तरह के एडजस्टमेंट करने पड़ते हैं. उन पर सोशल प्रेशर के साथ-साथ भावनात्मक दबाव भी अधिक रहता है. ऐसे में इसे कम करने के लिए दोनों को एक-दूसरे के साथ अधिक समय बिताना और क्वालिटी टाइम देना ज़रूरी होता है.
रही बात करियर की, तो नौकरी में भी शुरुआती दौर में अधिक समय व अटेंशन की ज़रूरत होती है. इस कारण व्यक्तिगत जीवन में कई समझौते करने पड़ते हैं, जिससे शादी के कुछ दिनों बाद ही जोड़ों में कहासुनी और लड़ाई-झगड़े होने लगते हैं. कई बार बात इतनी अधिक बढ़ जाती है कि अलगाव तक की स्थिति पैदा हो जाती है. इसलिए मैरिज एक्सपर्ट का मानना है कि जॉब के बाद शुरुआती कुछ साल सेटल होने, भविष्य की योजना बनाने, बचत करने आदि में लग ही जाते हैं. इसके बाद ही लड़के शादी करने, परिवार बढ़ाने आदि के बारे में सोच पाते हैं और अपने वैवाहिक जीवन का आनंद ले पाते हैं. इतने सारे अनुभव लेने के बाद उन्हें घर-बाहर और परिवार को मैनेज करने की सूझबूझ आ जाती है. इससे मतभेद, तनाव और परेशानियां भी दूर रहती हैं.
28-30 की उम्र लड़कों की शादी के लिए सही मानने की वजह उनका करियर-बिज़नेस सेट हो जाना है. इससे शादी, घर-गृहस्थी, बच्चे आदि से जुड़े ख़र्चों को मैनेज करने में भी उन्हें आसानी होती है. गौर करनेवाली बात है कि यदि 32 की उम्र में आप पिता बनते हैं, तो बच्चे के 25 होने तक आप 57 के हो जाते हैं. इस तरह आप आर्थिक रूप से भी मज़बूत हो जाते हैं. साथ ही बच्चा भी 25 तक एजुकेशन-जॉब आदि के साथ सेटल हो जाता है. इस तरह आप रिटायरमेंट के बाद एक सुकूनभरी ज़िंदगी बिता पाते हैं.
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साइंस का नज़रिया…
साइंस के पहलू से देखें, तो 22 से 25 के बीच लड़कों की फर्टिलिटी अधिक रहती है. डॉक्टरों का भी यह मानना है कि 35 से पहले लड़कों को शादी कर लेनी चाहिए. क्योंकि बाद में उनके स्पर्म की क्वालिटी पर असर पड़ने लगता है, जिससे पिता बनने में परेशानियां आने लगती हैं.
- ऊषा गुप्ता
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