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ऑनलाइन प्राइवेसी और सिक्योरिटी के बारे में कितना जानते हैं आप? (How Much Do You Know About Online Privacy And Security?)

क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि जब आप किसी ऑनलाइन शॉपिंग साइट पर कोई प्रोडक्ट सर्च करते हो, लेकिन थोड़ी देर बाद बिना ख़रीदे आप किसी और वेबसाइट पर जाकर कुछ और देखने लगते हो, तब आपकी स्क्रीन के राइट साइड या टॉप साइड में आपको वही प्रोडक्ट हर वेबसाइट पर दिखता रहता है, जिसे आपने पहले सर्च किया था. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इंटरनेट पर आप जो कुछ भी करते हैं, उस पर न सिर्फ़ उस वेबसाइट वालों की, बल्कि और भी कई लोगों की नज़र रहती है. आप ऑनलाइन क्या सर्च करते हो, क्या ख़रीदते हो, क्या बेचते हो, कैसा कॉन्टेंट देखना पसंद करते हो, क्या शेयर करते हो आदि पर बहुत से लोगों की नज़र रहती है, जिससे आप चाहकर भी बच नहीं सकते. ऐसे में भला आप अपनी ऑनलाइन प्राइवेसी और सिक्योरिटी को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं, आइए जानते हैं.

ऑनलाइन किस तरह के ख़तरे हैं?

  1. आइडेंटिटी थेफ्ट: हाल ही में आपने कई सेलिब्रिटीज़ के डीप फेक वीडियोज़ के बारे में सुना होगा. ऑनलाइन मौजूद उनके फोटोज और वीडियोज़ से साइबर क्रिमिनल्स आपका कैसा भी वीडियो बना सकते हैं. आप ऑनलाइन अपना नाम, पहचान, शहर, फोटो, जन्म तारीख़, पसंद-नापसंद सब कुछ बयां कर देते हैं, ऐसे में क्रिमिनल्स के लिए आपकी पहचान चुराकर आपके नाम से अपराध करना बहुत आसान हो जाता है. अगर जांच-पड़ताल होगी भी, तो आप पकड़े जाओगे, क्योंकि पहचान तो आपकी है, इसलिए अपने बारे में बहुत ज़्यादा शेयर न करें. कुछ भी शेयर करने से पहले सोच लें, आप दुनिया को क्या बता रहे हैं.
  2. ऑनलाइन स्कैम: आए दिन मीडिया में ऑनलाइन स्कैम्स का खुलासा होता ही रहता है, अगर प्राइवेसी और सिक्योरिटी का ध्यान नहीं रखा, तो ऑनलाइन मौजूद आपकी जानकारी के ज़रिए आप किसी भी ऑनलाइन स्कैम के शिकार हो सकते हैं.
  3. मालवेयर और वायरस: ऑनलाइन फ्रॉड में मालवेयर और वायरस काफ़ी पुराने तरी़के हैं. इसमें आपके सिस्टम को हैक करके या किसी वायरस के ज़रिए आपके कम्प्यूटर को लॉक कर देते हैं और जब तक आपसे अच्छी-ख़ासी रक़म वसूल नहीं कर लेते, तब तक उसे डिकोड नहीं करते.

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  1. फिशिंग और ईमेल स्कैम: अक्सर आपके ईमेल पर आपने लकी ड्रॉ के विजेता या आपके बैंक अकाउंट में लाखों रुपए जमा करनेवाले ईमेल देखे होंगे, जिसमें किसी लिंक पर क्लिक करके आपसे आपका बैंक अकाउंट नंबर जैसी सेंसिटिव जानकारी मांगी जाती है, अगर आप लालच में आ गए, तो चुटकियों में आपका अकाउंट खाली हो जाएगा.
  2. रोमांस स्कैम: सोशल मीडिया के ज़रिए भोली-भाली लड़कियों को फंसाकर कभी उन्हें मेडिकल या ट्रैवलिंग के खर्चे के नाम पर इमोशनली ब्लैकमेल करना, तो कभी उनके प्राइवेट वीडियो या फोटो को लीक करने की धमकी देकर ब्लैकमेल करना आदि इस स्कैम का हिस्सा हैं.

कैसे बचाएं ऑनलाइन प्राइवेसी?
उपरोक्त ख़तरों से बचने के लिए बहुत ज़रूरी है कि आप ऑनलाइन प्राइवेसी टिप्स का सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करें.

कम से कम शेयर करें: ऑनलाइन प्राइवेसी और सिक्योरिटी के लिए सबसे ज़रूरी है कि आप सोशल मीडिया और अन्य ऐप्स पर अपनी पर्सनल जानकारियां, जैसे- मिडल नेम, फोन नंबर, फोटोज़ और वीडियोज़ आदि कम से कम शेयर करें, क्योंकि इन्हीं के ज़रिए हैकर्स और साइबर क्रिमिनल्स अपने शिकार को फांसते हैं.

स्ट्रॉन्ग पासवर्ड बनाएं: अक्सर लोग याद रखने के लिए सबसे आसान पासवर्ड बनाते हैं, जिन्हें क्रैक करना हैकर्स के लिए आसान होता है, इसलिए कभी भी अपना नाम, बर्थ डेट, 12345 जैसे पासवर्ड न रखें और न ही सभी अकाउंट्स के लिए एक ही पासवर्ड रखें.

इंटरनेट कनेक्शन का ध्यान रखें: कोई भी फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन या बैंकिंग ऐक्टिविटी हमेशा प्राइवेट और सेफ इंटरनेट कनेक्शन पर ही करें. कभी भी ऐसे कामों के लिए पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल न करें. टेक एक्सपर्ट्स इंटरनेट कनेक्शन के लिए वीपीएन यानी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क की सलाह देते हैं.

सॉफ्टवेयर और ऑपरेटिंग सिस्टम अपडेटेड रखें: अपने मोबाइल ऐप्स को हमेशा अपडेटेड रखें, ख़ासतौर से बैंकिंग और यूपीआई से जुड़े ऐप्स. इन ऐप्स को साइबर अटैक से बचाने के लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स नए-नए अपडेट्स लेकर आते हैं, जो ख़ासतौर से आपकी सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं. इसके अलावा अपने मोबाइल, लैपटॉप या कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम पर आनेवाले अपडेट्स को भी अपडेट करते रहें.

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टू फैक्टर ऑथेंटिफिकेशन: किसी भी ख़तरे से बचने के लिए अपने मोबाइल, ईमेल आईडी, बैंकिंग ऐप्स, यूपीआई आदि के लिए टू फैक्टर ऑथेंटिफिकेशन हमेशा ऑन रखें.

एंटी वायरस को भूलें नहीं: एंटी वायरस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल आपको कई ऑनलाइन ख़तरों से बचाता है, इसलिए इस पर पैसे ख़र्च करने में कभी कंजूसी न करें.

लोकेशन ऑफ कर दें: जाने-अनजाने आपका लोकेशन एक बार ऑन हो गया और अगर आप गूगल पर लॉग इन हैं, तो आपकी सारी लोकेशन गूगल ट्रैक करता रहता है, इसलिए अपने मोबाइल में लोकेशन ऑफ कर दें. सोशल मीडिया पर कोई पोस्ट शेयर करते वक़्त उसकी ऑटोमैटिक जिओ लोकेशन ऑफ कर दिया करें.

इंस्टॉल करते समय परमिशन सोच-समझकर दें: जब भी आप कोई नया ऐप डाउनलोड करते हैं, तो उसमें वो हमारे कॉन्टैक्स, इमेज गैलरी, वीडियो, कैमरा जैसे एक्सेस की परमिशन मांगता है. आपको सभी परमिशन देने की ज़रूरत नहीं है. जो ज़रूरी लगे, वही परमिशन दें, बाकी के लिए परमिशन न दें, वरना आपका सारा डेटा उस ऐप के पास पहुंच जाता है.

सर्च इंजन को ट्रैक न करने दें: हम सभी अपने मोबाइल में सुविधा के लिए गूगल और जीमेल में लॉग इन ही रहते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि जब आप गूगल अकाउंट में लॉग इन होते हैं, तो आप ऑनलाइन जो भी करते हो, गूगल वो सब ट्रैक करता है. अभी देखना है, तो ऑनलाइन myactivity.google.com पर जाकर देख लें, आपको अपनी सारी एक्टिविटीज़ एक साथ दिख जाएंगी. ये सारा डेटा गूगल के पास जमा होता रहता है, जिसे बड़ी-बड़ी डेटा कंपनियां अपने प्रोडक्ट लॉन्च, सर्वे या स्टडी के लिए इस्तेमाल करती हैं. सिर्फ़ गूगल ही नहीं, याहू और माइक्रोसॉफ्ट जैसे सभी सर्च इंजन्स के पास आपका डेटा जमा होता रहता है. अपनी प्राइवेसी के लिए myactivity.google.com पर जाकर सारा डेटा डिलीट कर दें.

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ऑनलाइन शेयरिंग से पहले डबल चेक: ऑनलाइन ख़ुद से जुड़ी कोई भी जानकारी, कोई पोस्ट या कोई कॉन्टेंट कुछ भी शेयर करने से पहले दस बार सोच लें कि इस जानकारी के लीक होने से कहीं मुझे कोई ख़तरा तो नहीं होगा और तभी शेयर करें.

डाउनलोड का ख़्याल रखें: आमतौर पर हैकर्स मालवेयर और वायरस ईमेल के ज़रिए स्कैम शेयर करते हैं. अगर आप अनजाने में किसी ऐसे लिंक पर क्लिक करते हैं, तो आपका सिस्टम हैक हो सकता है, इसलिए कुछ भी डाउनलोड या क्लिक करने से पहले कंफर्म कर लें कि वो ईमेल विश्‍वसनीय सूत्र से आया है.

गैरज़रूरी और पुराने अकाउंट बंद कर दें: अक्सर लोग शौकिया अलग-अलग वेबसाइट्स पर अलग-अलग प्रोफाइल बना लेते हैं, लेकिन सभी प्रोफाइल इस्तेमाल नहीं करते. आप भूल जाते हैं कि आपका डेटा पुराने अकाउंट में पड़ा रहता है, जो कभी भी किसी थर्ड पार्टी के ज़रिए किसी हैकर तक पहुंच सकता है. इसलिए ऑनलाइन सावधानी बरतें और जो अकाउंट इस्तेमाल में नहीं हैं, उन्हें डिलीट कर दें.

रेग्युलर डेटा बैकअप लें: आपके कंप्यूटर और लैपटॉप में बहुत सी सेंसिटिव जानकारी होती है, इसलिए रोज़ाना किसी एक्सटर्नल हार्ड ड्राइव में उसका डेटा बैकअप करते रहें.
अपने मोबाइल डिवाइस को सिक्योर रखें: आजकल ज़्यादातर लोग मोबाइल से ही ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं और उनके मोबाइल में ही उनके डेबिट/क्रेडिट कार्ड डिटेल्स, बैंक अकाउंट डिटेल्स आदि जमा रहते हैं, ऐसे में आपके मोबाइल डिवाइस का सेफ होना बहुत ज़्यादा ज़रूरी है. मोबाइल में पासवर्ड, पासकोड या फिंगर ऑथेंटिफिकेशन हमेशा ऑन रखें.

प्राइवेसी सेटिंग्स पर ध्यान रखें: आजकल हर कोई फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स, यूट्यूब जैसे ऐप्स का इस्तेमाल दिन-रात कर रहा है, पर क्या कभी आपने उन ऐप्स की प्राइवेसी सेटिंग्स में जाकर देखने की ज़हमत उठाई है कि आपने उन ऐप्स को क्या-क्या प्राइवेसी छूट दे रखी है. अभी अपने फेवरेट ऐप की प्राइवेसी सेटिंग चेक करें और जो भी आपको ग़ैरज़रूरी लगे वो परमिशन बंद कर दें.

- दिनेश सिंह

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