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पहला अफेयर- करवा चौथ की मेहंदी… (Love Story- Karva Chauth Ki Mehndi…)

प्रेम सृष्टि की अनोखी अनुभूति है, जिसके एहसास धमनियों में प्रवाहित होते रहते हैं. कुछ एहसास तो इतने गहरे होते हैं कि यदा-कदा उनकी स्मृति भी रक्तप्रवाह को तेज़ कर देती है, जो जीवन में एक नई ऊर्जा का संचार करती है. प्रेम को परिभाषित करना तो असंभव है, लेकिन इसको जीना एक अदभुत आनंद है. ऐसी ही प्रेमपगी अनुभूति मेरे जीवन की डायरी से जुड़ी है, जिसके पन्ने जब-तब पलटते ही रहते हैं और मन को मुहब्बत के एहसास से महका देते हैं.


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मेरा पहला प्यार मेरे पति ही थे. मुझे पतिदेव से ही पहले प्रेम का एहसास हुआ था और शायद उनको भी. शादी के बाद मेरा पहला करवा चौथ था. संयुक्त परिवार होने की वजह से पहले प्यार की कुछ अनुभूतियां, अभिव्यक्ति से वंचित रह जाती थीं. ऐसा ही करवा चौथ पर हुआ. शादी के बाद मेरा पहला करवा चौथ होने की वजह से मेरा मन मेहंदी लगवाने का था, लेकिन घर में कुछ तनाव का माहौल चल रहा था. जॉइंट फैमिली थी, तो कभी-कभी तनाव हो जाना लाज़मी है. तनाव की वजह से मैं अपनी सासू मां से मेहंदी के लिए कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी. मैंने अपने पतिदेव से कहा, तो उन्होंने भी कोई जवाब नहीं दिया
मेरा मन कुछ उदास था. मेरे पति ने मेरी उदासी पढ़ ली, पर कहा कुछ नहीं. मैंने शाम का खाना बनाया और सास-ससुर को भोजन सर्व कर दिया. तभी पतिदेव आए और बोले, “चलो आइसक्रीम खाकर आते हैं.” मैंने कहा, “खाना खाकर चलते हैं.”
वो बोले, “नहीं पहले चलो थोड़ा घूमकर आते हैं.” हम आइस्क्रीम खाने चल दिए.
उन्होंने मुझे एक अच्छे मेहंदी लगाने वाले के यहां ले जाकर खड़ा कर दिया.
मैंने कहा, “हम तो आइसक्रीम खाने आए थे…” सब समझते हुए मैं हंसने लग गई थी.
वे बोले, “मैं इसी हंसी के लिए तो तुम्हें यहां लाया हूं.” मैंने दोनों हाथों में मेहंदी लगवाई.

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मेहंदी लगवा कर घर पहुंचे, तो सासू मां भी बहुत ख़ुश हुईं. उन्होंने प्यार से कहा, “अच्छा हुआ मेहंदी लगवा ली. मैं तो तनाव में भूल ही गई थी कि बहू का तो पहला करवा चौथ है.”
फिर उन्होंने हम दोनों के लिए प्यार से खाना परोसा.
पहले प्यार की, पहली करवा चौथ की ये अनोखी अनुभति भुलाए नहीं भूलती. सच्चा प्यार चाहे कम समय के लिए मिले, लेकिन इसकी अनुभूति ताउम्र रहती है.

- रश्मि वैभव गर्ग

Photo Courtesy: Freepik

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